अनुवाद

मंगलवार, 21 अप्रैल 2015

अरविन्द केजरीवाल, मुख्यमंत्री, दिल्ली शासन के नाम खुला ख़त

प्रणाम!
सभी  मित्रों/वरिष्ठ जनों से अनुरोध है कि यदि आप दिल्ली में रहते हैं तो अधोलिखित ईमेल अपने नाम पते के साथ डाक से अथवा ईमेल द्वारा दिल्ली के मुख्य मंत्री को भेजने की कृपा करें।  आशा है आप निराश नहीं करेंगे। 

ईमेल पते हैं:
प्रतिलिपि:
साथ ही भेजे गए ईमेल की प्रति अथवा पत्र की स्कैन की गई प्रति मुझे भेज दें: cs.praveenjain@gmail.com पर 


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पत्र का संभावित प्रारूप 


सेवा में,
श्री अरविन्द  केजरीवाल 
मुख्यमंत्रीदिल्ली शासन


विषय: दिल्ली शासन प्रशासन का कामकाज एवं वेबसाइटें/ऑनलाइन सेवाएँ हिन्दी में करवाने बाबत जनहित याचिका 

महोदय,
मैं और मेरे जैसे लाखों लोग अंग्रेजी की असहनीय अतिशयता के प्रभाव स्वरूप हो रही भारतीय भाषाओं की दुर्दशा और तदजनित सांस्कृतिक पतन से दुखी और चिंतित हैं।  इसे रोकने के लिए तत्काल कुछ किए जाने की महती आवश्यकता है। सरकारी कामकाज एवं सरकारी ऑनलाइन सेवाएँ अंग्रेजी में होने से आम जनता का बहुत अहित किया जा रहा है। जनता पर हर सरकारी काम में अंग्रेजी थोपी जा रही  पिछली सरकार के कार्यकाल में राजभाषा हिन्दी को लगभग समाप्त कर दिया गया है। आपके 'मुख्यमंत्री कार्यालयमें भी पत्रशीर्षरबर की मुहरेंफाइलों के आवरण आदि सभी स्टेशनरी केवल अंग्रेजी में छपवाई गई है और पहले भी यही होता रहा है। 

वर्तमान में दिल्ली शासन की एक भी वेबसाइट अथवा ऑनलाइन सेवा #हिन्दी भाषा में नहीं है तो क्या दिल्ली सरकार को केवल अंग्रेजी जानने वाली जनता की सुविधा की चिंता है पर जो हिंदी भाषी हैं उन्हें किसी भी वेबसाइट अथवा ऑनलाइन सरकारी सेवा को प्रयोग करने का अधिकार नहीं हैआपने हाल में ही जनशिकायत के लिए अंग्रेजी वेबसाइट 'पब्लिक ग्रीवेन्सेसशुरू की हैइसी तरह आपने 'ई-राशन कार्डवेबसाइट भी केवल अंग्रेजी बनाई है। तो क्या आप की पार्टी और आपकी सरकार भी जनता पर जबरन अंग्रेजी थोपना चाहते हैं ताकि भारत से भारत की भाषा और संस्कृति नष्ट हो जाए और हर जगह केवल अंग्रेजी का राज होअपने इस कार्यकाल में अपनी राजभाषा को उसका वास्तविक स्थान दिलाने की दिशा में भी कुछ ठोस काम हो तो यह प्रदेश के लिए एक स्थायी सौगात होगी। 

कुछ कदम तो तत्काल उठाए जा सकते हैं: 

जैसे:- 
१. आप स्वयं तो हस्ताक्षर हिन्दी में ही करते हैं।  आपके मंत्री मंडल के सभी सदस्य भी हस्ताक्षर हिन्दी या अन्य किसी देशी भाषा में ही करें और इस बात को सगर्व मीडिया में प्रचारित भी किया जाए।

२- सभी शासकीय/अर्धशासकीय/अशासकीय निकायों/संस्थानों के अधिकारी/कर्मचा‍रियों को आपके द्वारा अपने हस्ताक्षर हिन्दी/मातृभाषा में करने के लिए प्रेरित किया जाए। यह कार्य शासकीय आदेश या मीडिया या दोनों माध्यमों से किया जा सकता है। 

३-सभी शासकीय प्रारूप केवल हिन्दी/पंजाबी/उर्दू भाषा में में ही तैयार किए जाएं। सभी शासकीय वेबसाइटें/मोबाइल एपएवं ऑनलाइन सेवाएँ हिन्दी/पंजाबी में ही संचालित हों। इससे हिन्दी न जानने वाले भी हिन्दी सीखने के लिए प्रेरित होंगे।

४- सभी शासकीय/अर्धशासकीय/शासकीय निकायों/संस्थानों के नामपट केवल हिन्दी/पंजाबी/उर्दू भाषा में ही बनें।

५-शासकीय आदेश या मीडिया के माध्यम से प्रदेश के दुकानदारों से दुकानों/संस्थानों के नामपट केवल हिन्दी में ही लगाने की अपील आपके द्वारा की जाए। इससे प्रदेश का चेहरा तो कम से कम अपना लगने लगेगा। अभी तो शहरों के बाजारों की भाषा देखकर ऐसा प्रतीत होता है जैसे हम पुन: गुलाम हो गए हैं।

६-आपसे पूर्व शासनकाल में एक शासकीय आदेश के द्वारा भारतीय अंकों को हठात् शासकीय प्रणाली से बाहर कर दिया गया। वह आदेश निरस्त कर भारतीय अंकों को पुनर्जीवित किया जाए। जिस देश ने विश्व को अंक गणित दियाशून्य और दशमलव की सौगातें दीउस देश के अंक मरने तो नहीं चाहिए ना।

७-प्रदेश में राजभाषा विभाग को अधिक सशक्त और साधन संपन्न बनाया जाए।  प्रदेश के सभी शासकीय विभागों और प्रदेश स्थित सभी केन्द्रीय विभागों को राजभाषा विभाग के निर्देशों का पालन करने के लिए बाध्य किया जाए।

८-प्रदेश में हर स्तर पर शिक्षा का माध्यम हिन्दी अथवा यथा संभव पंजाबी/उर्दू माध्यम होअंग्रेजी केवल एक विषय के रूप में ही पढ़ाई जाए तो बहुत से बच्चे आत्महत्या करने से बचाए जा सकेंगे।

९- सभी शासकीय आयोजनों के अतिथि नामपट ,बैनर-पोस्टर-बिल्ले और आमंत्रण पत्र केवल राजभाषा में छपवाए जाएँ।

प्रदेश के सभी लोग मुख्यत:हिन्दी में ही व्यवहार करते हैं एवं पंजाबी लोग भी काफी संख्या में हैं इसी तरह उर्दू भाषा का प्रयोग करने वाले नागरिक भी हैं  आपकी 'आम आदमी पार्टीकी आधिकारिक वेबसाइट एवं मोबाईल एप भी केवल अंग्रेजी में बने हुए हैं और पार्टी ने हिंदी की निरंतर भारी उपेक्षा की है। 

आशा करता हूँ आप आम आदमी की इतनी उपेक्षा नहीं करेंगे और इस बार मुझे समय पर उत्तर प्राप्त होगा।

निवेदक:
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