अनुवाद

मंगलवार, 29 अक्तूबर 2013

दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी अंग्रेज मतदाताओं के हितैषी, देहातियों की ऐसी..................

ceo_delhi@eci.gov.in,
 jatchaudhary1@yahoo.com,
 "Joint Secy, OL" <jsol@nic.in>,
 राष्ट्रपति जी Rashtrapatiji <presidentofindia@rb.nic.in>,

प्रति,
निदेशक (शिकायत)
राजभाषा विभाग, नई दिल्ली 


महोदय 

दिल्ली भारत की राजधानी है और यहाँ की आम जनता की संचार की भाषा एवं प्रदेश की राजभाषा हिंदी है पर आपकी वेबसाइट केवल अंग्रेजी में है. भारत सरकार के नियमानुसार एवं राष्ट्रपति जी के २ जुलाई २००८ के आदेशानुसार आपकी वेबसाइट  अनिवार्य रूप से हिंदी में होनी चाहिए।

प्रदेश के वे मतदाता जिन्हें अंग्रेजी नहीं आती है वे वेबसाइट हिंदी में ना होने के कारण ऑनलाइन पंजीयन जैसी सुविधाओं का लाभ लेने से पूरी तरह से वंचित हो गए हैं. भारत के नागरिक होने के नाते उन्हें अपनी भाषा में जानकारी पाने का पूरा अधिकार हैमुख्य निर्वाचन अधिकारी -दिल्ली द्वारा अंग्रेजी में जानकारी देना एवं हिंदी में कोई भी जानकारी उपलब्ध ना करवाना दिल्ली के मतदाताओं के मूलभूत अधिकारों का सर्वथा हनन है. भाषाई आधार पर अंग्रेजी ना जानने वाले मतदाताओं के साथ भेदभाव किया जा रहा है और वेबसाइट पर सभी नयी सेवाएँ केवल अंग्रेजी जानने वाले मतदाताओं को ध्यान में रखकर बनाई जा रही हैं. 

आपसे अनुरोध है वेबसाइट को अविलम्ब द्विभाषी रूप में उपलब्ध करवाएँ। शीघ्र कार्यवाही की अपेक्षा के साथ 

भवदीय 
प्रवीण जैन 

प्रति: श्री विजय देव,  मुख्य निर्वाचन अधिकारीदिल्ली 

दिल्ली पुलिस द्वारा भाषाई आधार पर नागरिकों के साथ भेदभाव की शिकायत


प्रेषक: tushar kothary <kotharytushar@gmail.com>

दिनांक: 25 अक्तूबर 2013 1:39 pm
विषय: दिल्ली पुलिस द्वारा भाषाई आधार पर नागरिकों के साथ भेदभाव की शिकायत
प्रति: manmohan@sansad.nic.in





दिनांक: २५ अक्तूबर २०१३



प्रति,

आदरणीय प्रधानमन्त्री जी

भारत सरकार, नई दिल्ली



विषय:दिल्ली पुलिस द्वारा भाषाई आधार पर नागरिकों के साथ भेदभाव की शिकायत


आदरणीय महोदय,


प्रधानमन्त्री का अगस्त 1999, राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय का सितम्बर 1999 का आदेश एवं संसदीय राजभाषा समिति की संस्तुति संख्या 44 को स्वीकार करने वाले माननीय राष्ट्रपतिजी के आदेश को प्रसारित करते हुए राजभाषा विभाग के (राजपत्र में प्रकाशित) पत्रांकI/20012/07/2005-रा.भा.(नीति-1) दिनांक 02.07.2008 के अनुसार जब भी कोई मंत्रालय/विभाग या उसका कोई कार्यालय या उपक्रम अपनी वेबसाइट तैयार करे तो वह अनिवार्य रूप से द्विभाषी तैयार की जाए | जिस कार्यालय का वेबसाइट केवल अंग्रेजी में है उसे द्विभाषी बनाए जाने की कार्यवाही की जाए|” 


इसका आशय है कि भारत सरकार के नियमानुसार हिन्दी में वेबसाइट बनाना और उसे समय-२ पर अंग्रेजी वेबसाइट के साथ अद्यतन करना कानूनन अनिवार्य है.


यह राजभाषा अधिनियम १९६३ एवं भारत के संविधान के अनुच्छेद ३४३ एवं ३५१ का स्पष्ट उल्लंघन है. आपसे विनम्र निवेदन है कि हिन्दी वेबसाइट तुरंत उपलब्ध करवाई जाए । हिन्दी वेबसाइट पर  अंग्रेजी सामग्रीअंग्रेजी पीडीएफ /वर्ड फाइलें,अंग्रेजी प्रेस-विज्ञप्तियाँ ना डाली जाएँ एवं उसके स्थान पर हिन्दी सामग्री को डाला जाए. वेबसाइट के बैनर पर "दिल्ली पुलिस"का नाम हिन्दी को ऊपर/आगे रखते हुए हिन्दी में भी प्रदर्शित किया जाए. 


हिन्दी वेबसाइट पर भारत सरकार की अन्य वेबसाइट के लिंक भी संबंधित हिन्दी वेबसाइट के ही दिए जाएँ ना कि अंग्रेजी वेबसाइट के. 


दिल्ली पुलिस द्वारा नागरिकों को कोई भी जानकारी हिन्दी में उपलब्ध नहीं करवाई जा रही है, जिन नागरिकों को अंग्रेजी नहीं आती वे परेशां हो रहे हैं, ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं उनके साथ भाषाई आधार पर अन्याय हो रहा है, सारी सुविधा केवल अंग्रेजी जानने वालों के मिल रही है. पुलिस थानों में छापे हुए फ़ार्म भी केवल अंग्रेजी में होते हैं. इस तरह हिन्दीभाषी समाज के साथ भारी भेदभाव किया जा रहा है. इस सम्बन्ध में कई नागरिकों और संस्थानों ने दिल्ली पुलिस के पदाधिकारियों और आपको भी शिकायत की है पर दिल्ली पुलिस पर अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है.



महोदय, 


ये कैसा देश है जहाँ नागरिकों के जानकारी/जागरूक रहने के मूलभूत अधिकार का अंग्रेजी थोपकर हनन किया जा रहा है, आप ही बताइए आपको जो भाषा ना आती हो और सामने वाला आपको सारी जानकारी उसी भाषा में दे तो ऐसी जानकारी आपके किस काम की? 


क्या सरकार नागरिकों को उनकी भाषा में सूचना/जानकारी पाने के अधिकार को भी सुनिश्चित नहीं कर सकती?


"दिल्ली पुलिस" के  प्रतीक-चिन्ह में अनिवार्य रूप से हिंदी के अक्षर अंग्रेजी के अक्षरों से पहले/आगे होने चाहिएअभी जो चिन्ह है उसमें हिन्दी में 'दिल्ली पुलिसअंग्रेजी के Delhi Police के बाद इस्तेमाल हुआ है इसी तरह 'DP' अक्षर चिन्ह के बीचों बीच अंग्रेजी में है इसलिए कृपया इसमें शीघ्र सुधार किया जाए एवं हिंदी को प्राथमिकता दी जाए.  इस सम्बन्ध में राजभाषा अधिनियम के प्रावधानों को http://rajbhasha.nic.in/ पर देखा जा सकता है.


दिल्ली पुलिस द्वारा राजभाषा हिंदी के उल्लंघन के और भी उदाहरण हैं:


1. पूरी दिल्ली में दिल्ली पुलिस े सभी वाहनों/बैरिकेड्स/ ठहरिये वाले/अवरोध बोर्ड आदि पर 'दिल्ली पुलिसएवं 'ठहरिएशब्द केवल अंग्रेजी में ही इस्तेमाल किया जाता है।

2. कई पुलिस थानों के नाम के बोर्ड पर अंग्रेजी को हिंदी के ऊपर/पहले इस्तेमाल किया जाता है।

3. वेबसाइट पर उपलब्ध सभी फॉर्म केवल अंग्रेजी में उपलब्ध हैं जबकि राजभाषा नियमों के अनुसार ऐसे सभी फॉर्म हिंदी अथवा द्विभाषी होने चाहिए।


चूंकि दिल्ली देश की राजधानी है और देश की राजभाषा हिंदी है और इसलिए दिल्ली पुलिस की भाषा भी हिंदी हुईइन सब कमियों को यथाशीघ्र दूर करवाया जाए।

इस सम्बन्ध में की गई कार्यवाही से मुझे अवगत करवाया जाएऐसी मेरी प्रार्थना है.



निवेदक:

भारत का एक सामान्य नागरिक

तुषार कोठारी


एचडीएफसी बैंक की एंड्राइड फोन हेतु हिंदी में मोबाइल बैंकिंग एप्लीकेशन

देश में अभी हिंदी में मोबाइल बैंकिंग एप्प केवल एक बैंक ने ही शुरू किया हैइस अब तक केवल १० हज़ार लोगों ने ही डाउनलोड किया है जबकि इसी का अंग्रेजी संस्करण १० लाख लोगों ने डाउनलोड  किया हुआ है.

कहने का आशय है कि यदि बैंक ऐसी सेवाएँ दें तो हमें उनका इस्तेमाल भी करना चाहिए और जिन बैंकों ने ऐसी सेवा आरंभ नहीं की है उनके ग्राहक सेवा केंद्र में फोन करें और उनसे मांग करें कि हिंदी सेवा उपलब्ध करवाई जाए.

इन समूहों के वे सदस्य एचडीएफसी बैंक के ग्राहक हैंउन सभी अनुरोध है यदि आप  एंड्राइड फोन का उपयोग करते हैं तो यह एप्प अवश्य डाउनलोड करें.

जो सदस्य अन्य बैंकों के ग्राहक हैं वे अपने बैंक को ईमेल लिखें और फोन करके कहें कि एसएमएस अलर्ट तथा नेट-बैंकिंग/ मोबाइल बैंकिंग की सेवा हिंदी में शुरू की जाएहम सब के प्रयासों से देश का करोड़ों लोग जो बैंक के ग्राहक तो हैं पर अंग्रेजी नहीं जानते हैं उनका भला हो जाएगा. वर्ना अंग्रेजी के दम पर उनका शोषण तो जारी रहेगा क्योंकि बेचारे हिंग्रेजी बोलने वाले ग्राहक सेवा अधिकारी से बहस भी नहीं कर पाते हैं.

बैंक से पैसे निकाले गए और एसएमएस अलर्ट आया अंग्रेजी में तो उनके किस काम काक्या बैंक ग्राहक होने के लिए अंग्रेजी का अनिवार्य है

जिसे अंग्रेजी नहीं आती वह अपने अधिकारों से वंचित रहे.

क्या मेरी मदद करेंगे?

विनम्र अनुरोध:

मेरे भैया गाँव में रहते हैं और एसबीआई के ग्राहक हैं, हाल ही में वे मुंबई आये थे, बैंक के तीन-चार एसएमएस उन्होंने मुझे दिखाए और बोले इन्हें पढ़कर बताओ. मैंने  कहा कि आपको भी तो अंग्रेजी आती है फिर क्यों ? 

उनका जवाब था आती है पर तेरे जितनी नहीं इसलिए कई बार एसएमएस समझ नहीं आता है क्या बैंक ऐसे अलर्ट हिंदी में नहीं भेज सकता? क्या तू बैंक वालों से बात करके इस सेवा को हिंदी में नहीं करवा सकता?

मुद्दा मेरी रुचि का था इसलिए लगा कि भैया की बात एकदम सही है, देश के करोड़ों लोग बैंक ग्राहक हैं पर सारी सूचना उन्हें अंग्रेजी में दी जा रही है इसलिए वे उनका इस्तेमाल ही नहीं कर पाते और जागरूक भी नहीं हो पाते? ग्राहक का शोषण होता है क्योंकि वो बहुत सारी बातें समझ ही नहीं पाता.

क्या हम सब उनके लिए दस मिनट का समय दे सकते हैं ? 
इसलिए यह अभियान शुरू किया है :

यदि आप एसबीआई के ग्राहक हैं तो इस लिंक https://prepaid.onlinesbi.com/CMS/ पर जाकर १. एसएमएस अलर्ट सेवा, २. नेटबैंकिंग एवं ३. मोबाइल एप्प (एसबीआई फ्रीडम/ एसबीआई सिक्योर) को हिंदी में उपलब्ध ना होने की तीन अलग -२ शिकायत दर्ज करवाएँ, (अक्षर सीमा २०० है ).

फॉर्म अंग्रेजी में है इसलिए शिकायत रोमन में लिखें पर याद रहे अंग्रेजी में शिकायत ना लिखें और आप शिकायत करने की सूचना मुझे दें.

बैंक का कहना है कि यदि सौ-दौ सौ ग्राहक मांग करते हैं तो हम इस माँग पर विचार कर सकते हैं?

यदि एसएमएस अलर्ट सेवा हिंदी में शुरू हो जाती है तो उससे देश के करोड़ों ग्राहक [जो हमारी तरह मुंबई-दिल्ली अथवा इंदौर में नहीं रहते और अंग्रेजी नहीं जानते-समझ पाते हैं] लाभान्वित होंगे जो एसएमएस वांच भी नहीं पाते, समझेंगे कहाँ से?

और  बैंक तो बाकायदा इस सेवा के पंद्रह रुपये प्रति तिमाही के हिसाब से वसूल कर रहा है.

आप चाहें तो यह ईमेल आगे अपने समान विचारधारा वाले दोस्तों को भेज सकते हैं. ताकि हमें इस अभियान के लिए अधिक से अधिक लोगों का समर्थन प्राप्त हो सके.

मंगलवार, 8 अक्तूबर 2013

लोक सभा टेलीविजन नहीं देता लोकभाषा को महत्त्व

प्रति,
निदेशक (शिकायत)
राजभाषा विभाग
गृह मंत्रालय, भारत सरकार 


विषय: लोक सभा टेलीविजन एवं लोकसभा की आधिकारिक वेबसाइटचैनल द्वारा  राजभाषा की उपेक्षा की शिकायत 

महोदय,
लोक सभा टेलीविजन चैनल का शुभारंभ भारत की जनता को लोस की कार्यवाही एवं लोस की गतिविधियों से अवगत कराने के लिए किया गया था, यह एक अच्छी बात है. देश को स्वतंत्र हुए ६४ वर्षों से अधिक समय बीत गया है. राजभाषा हिन्दी की उपेक्षा हर स्तर पर हो रही है और आम जनता पर चुपचाप अंग्रेजी थोपी जा रही है.

लोकसभा टीवी और लोकसभा की आधिकारिक वेबसाइट पर भी राजभाषा की निरंतर उपेक्षा की जा रही है. जब तक कोई आवाज़ नहीं उठाता, सुधार करने की सुध नहीं ली जाती इसलिए मै आपके समक्ष अपनी शिकायत रख रहा हूँ और आपके निर्देश पर मेरी शिकायत का निपटारा तुरंत हो सकता है, आपसे अनुरोध है कि आप तुरंत निर्देश जारी कारें ताकि  लोकसभा टीवी एवं लोकसभा की आधिकारिक वेबसाइट पर हिन्दी को प्रथम स्थान दिया जाये हर कार्यवाही में राजभाषा को अंग्रेजी से आगे रखा जाए और उसे प्राथमिकता दी जाए.

 लोकसभा टीवी से संबंधित मेरी शिकायत के बिंदु:

१. लोकसभा टीवी पर सदन की कार्यवाही के सीधे प्रसारण में 'स्क्रीन' पर केवल अंग्रेजी ही दिखाई देती है, स्क्रीन पर चलने वाली पट्टी, दिनांक, समय, सांसदों/ मंत्रियों के नाम पद आदि केवल अंग्रेजी में लिखे/प्रदर्शित किए जाते हैं, जो कि राजभाषा सम्बन्धी प्रावधानों का उल्लंघन है.
२. लोकसभा टीवी के हिन्दी कार्यक्रमों/समाचार आदि में कई बार अनावश्यक रूप अंग्रेजी के शब्दों को ठूँसा जा रहा है जबकि अनुच्छेद ३५१ कुछ और ही निदेश देता है.
३. लोकसभा टीवी की आधिकारिक वेबसाइट अंग्रेजी में पहले खुलती है और हिन्दी की वेबसाइट का विकल्प दिया गया है, जबकि राजभाषा हिन्दी है तो हिन्दी वेबसाइट ही पहले खुलनी चाहिए.
४. लोकसभा टीवी की आधिकारिक वेबसाइट पर अंग्रेजी का वर्चस्व है क्योंकि हिन्दी वेबसाइट पर प्रतिक्रिया भी आप हिन्दी में नहीं लिख सकते सिस्टम हिन्दी अक्षरों को स्वीकार ही नहीं करता, जैसे कि राजभाषा का प्रयोग निषिद्ध हो. इसी तरह हिन्दी वेबसाइट के कार्यक्रम समय तालिका टैब में कोई जानकारी नहीं डाली गयी पर अंग्रेजी का 'प्रोग्राम शेड्यूल' हमेशा अद्यतन रहता है. हिन्दी वेबसाइट पर भारत के राष्ट्रीय पोर्टल की लिंक भी अंग्रेजी वेबसाइट की दी गई है ना कि हिन्दी वेबसाइट की.
५. लोकसभा टीवी के कार्यक्रमों में अतिथियों उपस्थित व्यक्तियों अथवा प्रस्तोताओं के नाम आदि भी केवल अंग्रेजी में ही प्रदर्शित किये जाते हैं. यहाँ भी हिन्दी का प्रयोग वर्जित है.
६. लोकसभा टीवी के कार्यक्रमों के प्रसारण की समय तालिका जो एक पट्टी के रूप में चलती रहती है उसमें एक शब्द भी हिन्दी में प्रदर्शित नहीं किया जाता.

लोकसभा की आधिकारिक वेबसाइट से संबंधित मेरी शिकायत के बिंदु
१. लोकसभा की आधिकारिक वेबसाइट अंग्रेजी में पहले खुलती है और हिन्दी की वेबसाइट का विकल्प दिया गया है, जबकि राजभाषा हिन्दी है तो हिन्दी वेबसाइट ही पहले खुलनी चाहिए.
२. लोकसभा  की आधिकारिक वेबसाइट पर अंग्रेजी का वर्चस्व है क्योंकि हिन्दी वेबसाइट कुछ ऐसी जानकारियां उपलब्ध नहीं हैं जो कि अंग्रेजी वेबसाइट पर हैं , जैसे कि राजभाषा का प्रयोग निषिद्ध हो. इसी तरह हिन्दी वेबसाइट के नई घटनाएं  टैब को समय पर अद्यतन नहीं किया जाता पर अंग्रेजी का 'न्यू ईवेंट्सहमेशा अद्यतन रहता है. 

मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि लोकसभा टीवी और लोकसभा की वेबसाइट का प्रबंध करने वाले अधिकारियों को मेरी शिकायतों का निपटारा करने के निर्देश जारी करें।

यदि आप अंग्रेजी नहीं जानते हैं तो भूल से भी म्युचुअल फंड/शेयर आदि में कतई निवेश ना करें

प्रति,
निदेशक (शिकायत)
राजभाषा विभाग
गृह मंत्रालय, भारत सरकार 

विषय : सेबी द्वारा राजभाषा अधिनियम, राजभाषा नियमावली एवं आदेशों का निरंतर उल्लंघन की शिकायत 

आदरणीय महोदय,

मैं पिछले कई महीनों से लगातार सेबी द्वारा राजभाषा अधिनियम, राजभाषा नियमावली एवं आदेशों का निरंतर उल्लंघन किये जाने की शिकायत राजभाषा विभाग को कर रहा हूँ पर खेद है राजभाषा विभाग से अब तक किसी कार्यवाही की सूचना नहीं मिली है.


भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट राजभाषा में उपलब्ध है  पर उस पर निवेशकों के लिए उपयोग कोई भी जानकारी हिन्दी में नहीं हैसारा कामकाज अंग्रेजी में किया जाता हैनिवेशकों के हित सम्बन्धी सारे नियम/कानून/निर्देश केवल अंग्रेजी में जारी किए जाते हैं और हिन्दी वेबसाइट केवल दिखावे से ज्यादा कुछ नहीं है एवं निवेशक शिकायत वेबसाइट http://scores.gov.in/Complaint.aspx?flag=n अब तक हिंदी में उपलब्ध नहीं करवाई गई।


मैंने १५ मार्च  २०१३ को  संबंधित अधिकारियों को शिकायत भी दर्ज करवाईअनुस्मारक भेजे पर आज तक कोई  कार्यवाही भी नहीं हुई.

कृपया मेरी अधोलिखित शिकायत को संज्ञान में लेकर भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड तुरंत कड़े निर्देश जारी करें कि हिन्दी वेबसाइट पर भी अंग्रेजी वेबसाइट के समान सारी सामग्री हिन्दी में उपलब्ध करवाई जाए और निवेशक शिकायत वेबसाइट हिन्दी में उपलब्ध करवाई जाए तथा हिन्दी में ऑनलाइन  शिकायत दर्ज करवाने की सुविधा दी जाए.

सेबी का प्रतीक-चिन्ह (लोगो) SEBI अभी केवल अंग्रेजी में हैजो  कि  राजभाषा अधिनियम १९६३ एवं उसके अधीन बने नियम आदि के विपरीत है। जिस तरह भारतीय रिज़र्व बैंक के प्रतीक-चिन्ह में हिन्दी सबसे ऊपर है उसी तरह सेबी के प्रतीक -चिन्ह में भी सुधार किया जाना अपेक्षित है.

सेबी द्वारा आयोजित अथवा प्रेरित सभी कार्यक्रमोंबैठकोंसंगोष्ठियों के बैनरपोस्टर तथा आमंत्रण पत्र आदि अब तक केवल अंग्रेजी में ही तैयार किए जाते रहे हैं और अब भी वही प्रथा चल रही  है ।

अंग्रेजी नहीं आती है तो पेट्रोल भरवाने क्यों आते हो?

प्रति,

निदेशक (शिकायत)
राजभाषा विभाग
गृह मंत्रालय, भारत सरकार 
नई दिल्ली 

विषय: भारत सरकार की तेल विपणन कंपनियों द्वारा हिन्दी का प्रयोग बंद करने और अंग्रेजी के तेजी से बढ़ते उपयोग की शिकायत 
महोदय,
सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कम्पनियाँ हैं : 
  1. भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लि, 
  1. हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लि, 
  1. इंडियन ऑइल कॉर्पोरेशन लि

बड़े दुखी मन से कहना पड़ रहा है कि भारत सरकार की तेल विपणन कंपनियों द्वारा हिन्दी का प्रयोग लगभग बंद कर दिया गया, आम ग्राहक जैसे ही किसी पेट्रोल पम्प अथवा गैस एजेंसी के विक्रय केंद्र पर जाता है वहां सारी जानकारी, बिल-देयक-बीजक, भुगतान रसीद पर मुद्रण, पम्प परिसर में समस्त निर्देश-दिशासूचक आदि केवल अंग्रेजी में ही लिखे दिखाई देते हैं यहाँ तक कि पेट्रोल पम्प पर संबंधित कंपनी का नाम उसका प्रतीक चिह्न, एजेंसी का नाम, पेट्रोल-डीजल मापने व वाहनों में ईंधन डालने वाली सभी मशीनों पर भी सभी कुछ अंग्रेजी में ही लिखा-छापा जाता है. "पेट्रोल" अथवा "डीज़ल" शब्द भी केवल अंग्रेजी में लिखा जाता है.
सभी कंपनियों ने पेट्रोल पम्पों की भवन-संरचना को इस प्रकार आकल्पित करवाया है कि उसमें हिन्दी को उपयोग करने का निर्देश नहीं, सब कुछ केवल अंग्रेजी में ही होता है. ऐसा पूरे देश में किया जा रहा है.
इन मशीनों पर कुछ वर्षों पहले तक 'वाहन में ईंधन डलवाने से पहले शून्य (०) की जाँच कर लें' लिखा होता था. अब तो आम ग्राहक के लिए अनिवार्य यह निर्देश भी केवल अंग्रेजी में ही छापा जाता है. पेट्रोलियम उत्पादों का मूल्य और भंडार की जानकारी आदि भी केवल अंग्रेजी में ही प्रदर्शित की जा रही है.
इन कंपनियों द्वारा अग्राजा (अपने ग्राहक को जानो अथवा केवाईसी) के जो भी फॉर्म/प्रारूप छपवाए गए वे सभी केवल अंग्रेजी में बांटे जा रहे हैं इन सभी फार्मों में हिन्दी अथवा अन्य किसी  भारतीय भाषा को स्थान नहीं दिया गया.  (अनुलग्नक देखें)
इन सभी कंपनियों ने अपने उत्पादों के प्रतीक चिह्न / पहचान के चिह्न (सिम्बल/लोगो) भी केवल अंग्रेजी में बनाये हुए हैं, उनमें हिन्दी का लेशमात्र भी उपयोग नहीं किया गया.
इन कंपनियों ने अपने कर्मचारियों के लिए निर्धारित पोशाकों पर भी केवल अंग्रेजी का ही इस्तेमाल किया है, कंपनी का नाम, उत्पाद का नाम आदि सबकुछ अंग्रेजी में उकेरा/कढ़ाई किया गया है.
इन कंपनियों द्वारा उपयोग में लिए जाने वाले वाहनों/अनुबंधित वाहनों अथवा अधिकृत एजेंसी/ अधिकृत व्यापारी द्वारा उपयोग में आने वाले वाहनों पर भी सबकुछ अंग्रेजी में ही लिखा जाता है.
इन सभी कम्पनियों की हिन्दी वेबसाइटें भी उपेक्षा की शिकार हैं. सभी कंपनियों ने अपनी मुख्य वेबसाइट तो हिन्दी में उपलब्ध करवाई हैं पर अन्य सहायक वेबसाइटें केवल अंग्रेजी में ही बनायी हैं. इन सभी वेबसाइटों पर किसी भी प्रकार के ऑनलाइन फॉर्म (आवेदन-शिकायत अथवा प्रतिक्रिया आदि) हिन्दी में उपलब्ध नहीं है साथ उन्हें अंग्रेजी में भरा जाना अनिवार्य है, कोई भी ग्राहक यूनिकोड हिन्दी में ऐसे फॉर्म नहीं भर सकता. कम्पनी द्वारा अपने ग्राहकों को भेजे जाने वाले सभी एसएमएस भी केवल अंग्रेजी में भेजे जाते हैं. ऑनलाइन गैस बुकिंग की व्यवस्था भी केवल अंग्रेजी में है. फोन पर गैस बुकिंग के लिए आईवीआर सुविधा में हिन्दी का विकल्प अंग्रेजी के बाद सुनाई देता है उसमें भी हिन्दी के नाम पर हिंग्रेजी उपयोग की जा रही है.  यानी जो ग्राहक अंग्रेजी नहीं जानता है कम्पनी की उसे कोई चिंता नहीं है.
इन कंपनियों की हिन्दी वेबसाइट पर भी सभी दस्तावेज एवं प्रारूप (फॉर्म) पीडीऍफ़ रूप में अंग्रेजी में डाले गए हैं परंतु उन पर हिन्दी के एक शब्द के भी दर्शन नहीं होते. कम से कम ऐसे फॉर्म अथवा दस्तावेज अनिवार्य रूप से 'द्विभाषी' रूप में डाले जाने चाहिए. हिन्दी वेबसाइट देखने वाले व्यक्ति को अंग्रेजी में फॉर्म अथवा दस्तावेज किस काम का? आमजनता और ग्राहकों के साथ यह अन्याय क्यों? जब १००% वेबसाइट हिन्दी में बनाने का नियम है तो यह उस नियम का उल्लंघन भी है. 
कम्पनियों की वार्षिक रिपोर्टें भी केवल अंग्रेजी में तैयार की जाती हैं, क्योंकि कदाचित इनके निदेशक मंडल के सदस्यों की बैठकों की कार्यवाही केवल अंग्रेजी में होती है और इनका मानना है कि कंपनी के शेयरों में निवेश करने वाले सभी निवेशक-शेयरधारक अंग्रेजी के ज्ञाता हैं फिर क्यों हिन्दी की मगजमारी करें? सेबी ने भी तो ऐसा कोई नियम नहीं बनाया कि शेयरधारकों को भेजी जाने वाली रिपोर्टें/पत्राचार आम निवेशक की भाषा में अर्थात हिन्दी में होने चाहिए.
हिन्दी वेबसाइटों की सम्पूर्ण टैगिंग अंग्रेजी में होती है इसलिए आप गूगल अथवा इंटरनेट पर कंपनी की हिन्दी वेबसाइट को नहीं ढूंढ सकते. हिन्दी वेबसाइटों की टैगिंग हिन्दी में होने लगे तो हिन्दी वेबसाइटों की दृश्यता इंटरनेट पर आपोआप  बढ़ जाएगी. फ़िलहाल तो आपको कंपनी के अंग्रेजी मुखपृष्ठ पर आकर  'हिन्दी' विकल्प चुनना होगा. १९९२ के उस नियम का भी मखौल उड़ाया जा रहा है जिसमें हिन्दी का प्रयोग अंग्रेजी से आगे और पहले करने का अनिवार्य निदेश है. अंग्रेजी वेबसाइट का पहले खुलना इसी नियम का खुला उल्लंघन है. हिन्दी राजभाषा है और उसे ही पीछे रखा जाए ये कहाँ का तुक है?
इन कंपनियों से पूछा जाना चाहिए कि यदि आपको राजभाषा के पालन की कोई चिंता नहीं है तो कम से कम देश के ९०% ग्राहकों की चिंता कर लो जो अंग्रेजी नहीं जानते हैं, ग्राहकों को तो उनकी अपनी भाषा में जानकारी दी जानी चाहिए, ग्राहक सेवा का क्या मतलब? 
इन सभी कंपनियों को तुरंत कड़े निर्देश जारी किए जाएँ और पिछले ५ वर्षों में राजभाषा अनुपालन की जाँच करवाई जाए एवं अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए. (अनुलग्नक अवश्य देखें )
राजभाषा के उक्त सभी उल्लंघनों को अविलम्ब सुधारने के लिए कहा जाए.
आपके द्वारा तुरंत सकारात्मक कार्यवाही अपेक्षा है.



राज्यसभा टेलीविजन चैनल द्वारा राजभाषा की उपेक्षा की शिकायत

प्रति,
श्री मो. हामिद अंसारी
राज्यसभा सभापति
भारतीय संसद 
नई दिल्ली 

विषय: राज्यसभा टेलीविजन चैनल द्वारा राजभाषा की उपेक्षा की शिकायत 

महोदय,

राज्यसभा टेलीविजन चैनल का शुभारंभ भारत की जनता को राज्यसभा की कार्यवाही एवं राज्यसभा  की गतिविधियों से अवगत कराने के लिए किया गया थायह एक अच्छी बात है. देश को स्वतंत्र हुए ६६ वर्षों से अधिक समय बीत गया है. राजभाषा हिन्दी की उपेक्षा हर स्तर पर हो रही है और आम जनता पर चुपचाप अंग्रेजी थोपी जा रही है.

राज्यसभा टीवी और राज्यसभा की आधिकारिक वेबसाइट पर भी राजभाषा की निरंतर उपेक्षा की जा रही है. जब तक कोई आवाज़ नहीं उठातासुधार करने की सुध नहीं ली जाती इसलिए मै आपके समक्ष अपनी शिकायत रख रहा हूँ और चूँकि आप राज्यसभा के सभापति हैं, आपके निर्देश पर मेरी शिकायत का निपटारा तुरंत हो सकता हैआपसे अनुरोध है कि राज्यसभा टीवी एवं राज्यसभा की आधिकारिक वेबसाइट पर हिन्दी को प्रथम स्थान दिया जाये हर कार्यवाही में राजभाषा को अंग्रेजी से आगे रखा जाए और उसे प्राथमिकता दी जाए:

राज्यसभा टीवी से संबंधित मेरी शिकायत के बिंदु:

१. राज्यसभा टीवी पर सदन की कार्यवाही के सीधे प्रसारण में 'स्क्रीनपर केवल अंग्रेजी ही दिखाई देती हैस्क्रीन पर चलने वाली पट्टीदिनांकसमयसांसदों/ मंत्रियों के नाम पद आदि केवल अंग्रेजी में लिखे/प्रदर्शित किए जाते हैंउठाये गए प्रश्नों/बहस का वर्णन आदि केवल अंग्रेजी में दिखाया जाता है, जो कि राजभाषा सम्बन्धी प्रावधानों का उल्लंघन है. इसी सत्र से राज्यसभा टीवी की स्क्रीन पर कार्यवाही का विवरण सभी प्रविष्टियों के साथ हिन्दी में प्रारंभ करवाया जाये.

२. राज्यसभा टीवी के हिन्दी कार्यक्रमों/समाचार आदि में कई बार अनावश्यक रूप अंग्रेजी के शब्दों को ठूँसा जा रहा है जबकि अनुच्छेद ३५१ कुछ और ही निदेश देता है.

३. राज्यसभा टीवी की आधिकारिक वेबसाइट अभी तक हिन्दी में उपलब्ध नहीं करवाई गई है. हिन्दी वेबसाइट चालू करवाएँ.

४. राज्यसभा टीवी के कार्यक्रमों में अतिथियों उपस्थित व्यक्तियों अथवा प्रस्तोताओं के नाम आदि भी केवल अंग्रेजी में ही प्रदर्शित किये जाते हैं. यहाँ भी हिन्दी का प्रयोग वर्जित है.

५. राज्यसभा टीवी के कार्यक्रमों के प्रसारण की समय तालिका, जो एक पट्टी के रूप में चलती रहती है उसमें एक शब्द भी हिन्दी में प्रदर्शित नहीं किया जाता.

राज्यसभा की आधिकारिक वेबसाइट से संबंधित मेरी शिकायत के बिंदु:

१. राज्यसभा की आधिकारिक वेबसाइट अंग्रेजी में पहले खुलती है और हिन्दी की वेबसाइट का विकल्प दिया गया हैजबकि राजभाषा हिन्दी है तो हिन्दी वेबसाइट ही पहले खुलनी चाहिए अथवा वेबसाइट को पूर्णरूपेण द्विभाषी बनाया जाए जिसमें दोनों भाषाएँ एकसाथ प्रदर्शित हों. कंप्यूटर की स्क्रीन काफी बड़ी होती है इसलिए वेबसाइट को द्विभाषी बनाया जा सकता है. फ़िलहाल आम जनता में हिन्दी वेबसाइट की कोई जानकारी नहीं है.

मैं आपसे विनम्र अनुरोध करता हूँ कि राज्यसभा टीवी और राज्यसभा की वेबसाइट का प्रबंध करने वाले अधिकारियों को उक्त बातों का निपटारा करने के निर्देश जारी करें।
विशेष अनुरोध : राज्यसभा के सभापति वाली वेबसाइट http://164.100.47.5/Chairman-Rajyasabha/Default.aspx भी अभी तक हिन्दी में उपलब्ध नहीं करवाई गई है, शीघ्र हिन्दी वेबसाइट शुरू करवाने हेतु निर्देश जारी करें.