अनुवाद

शुक्रवार, 30 मई 2014

यदि आप सांसद हैं तो ध्यान दें, आपनेवोट भारतीय भाषा में मांगे थे; अब शपथ भी लीजिए!

आदरणीय

दिनांक ४ एवं ५ जून २०१४ को नई संसद के सभी सांसद शपथ ग्रहण करेंगे। कितना अच्‍छा हो यदि इस बार सभी सांसद हिन्दीतमिल, कन्नड़, मराठी, संस्‍कृत या किसी भारतीय भाषा में शपथ ग्रहण करें। यदि उनका मतदाता चाहेगा तो वे ऐसा अवश्‍य करेंगे। नीचे अनुरोध पत्र के दो प्रारूप अंकित हैं। कृपया इन्‍हें आप स्‍वयं भी भेजें और अधिक से अधिक लोगों को भेजने के लिए प्रेरित भी करें। ध्‍यान रखें हमारे पास अपनी बात अपने जन प्रतिनिधि तक पहुंचाने के लिए समय बहुत कम है मात्र  २ जून २०१४ तक। 

प्रारूप १

सेवा में
श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी,
माननीय प्रधान मंत्रीभारत सरकार,
प्रधानमंत्री कार्यालय,  दक्षिणी खण्ड,  नई दिल्ली

विषय: सांसदों को शपथ केवल भारतीय भाषाओं में दिलाए जाने हेतु अनुरोध 

महोदय,  

कृपया इस बार सभी सांसदों को हिन्दीसंस्‍कृततमिलकन्नडतेलुगूबंगाली अथवा किसी अन्य भारतीय भाषा में ही शपथ लेने के लिए प्रेरित कीजिए। साथ ही भाजपा के सभी सांसदों को स्पष्ट निर्देश बिना विलम्ब के जारी करवाने की कृपा करेंहमें आपसे बहुत आशाएँ  हैंआप भारत का गौरव लौटाएँगे । 

अब समय आ गया है जब भारतभारत सरकार और भारतीय संसद अंग्रेजी की अंतहीन गुलामी से मुक्त हो। यह महान कार्य केवल आपके निमित्त से ही हो सकता है।  

निवेदक


टिप्पण:- इस प्रारूप में निवेदक के बाद अपना नाम एवं पता अंकित कर pmosb@gov.in,publicwing.pmo@gov.in पर प्रेषित करें। तत्‍काल असर होगा।


प्रारूप २

माननी़य सासंद  महोदय,  
कृपया  इस  बार  सांसद पद की शपथ  हिन्दी अथवा अपनी मातृभाषा में ही ग्रहण करॆं, ऐसा हमारा आपसे विनम्र अनुरोध है। अब समय आ गया है जब भारतभारत सरकार और भारतीय संसद अंग्रेजी की अंतहीन गुलामी से मुक्त हो और आप इस महान कार्य में सहभागी बनें 


निवेदक
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टिप्पण :-
यह प्रारूप व्‍यक्‍गित रूप से सभी सांसदों के लिए है, इसे आप कई तरीकों से सांसदों तक पहुंचा सकते हैं.
जैसे :
१)समक्ष भेंट कर (सर्वोत्तम तरीका)
२)यदि आपके पास सांसद महोदय का कोई ईमेल पता हो तो उस पर भेज दें लेकिन सामान्‍यत: ये लोग स्‍वयं मेल देख नहीं पाते हैं।
३)इंटरनेट पर उपलब्‍ध सांसद के ट्विटर, फेसबुक पेज के माध्‍यम से।
४) अपने सांसद का ईमेल/मोबाइल आदि आप चुनाव आयोग की वेबसाइट पर ‘शपथ-पत्र’ लिंक से प्राप्त कर सकते हैं:

मंगलवार, 13 मई 2014

हिन्दी चैनल वालो! हिन्दी में 'राजग' होता है, 'एनडीए' अथवा 'NDA' को अंग्रेजी चैनलों के पास ही रहने दो

राजनीतिक दल/गठबंधन/संगठन :
राजग: राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन [एनडीए]संप्रग: संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन [यूपीए]तेदेपा: तेलुगु देशम पार्टी [टीडीपी]अन्ना द्रमुक: अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम[ अन्ना डीएमके]द्रमुक: द्रविड़ मुनेत्र कषगम [डीएमके]भाजपा: भारतीय जनता पार्टी [बीजेपी]रालोद : राष्ट्रीय लोक दल [आरएलडी]बसपा: बहुजन समाज पार्टी [बीएसपी]मनसे: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना [एमएनएस]माकपा: मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी [सीपीएम]भाकपा: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी [सीपीआई]राजद: राष्ट्रीय जनता दल [आरजेडी]बीजद: बीजू जनता दल [बीजेडी]तेरास: तेलंगाना राष्ट्र समिति [टीआरएस]नेका: नेशनल कॉन्फ्रेन्सराकांपा : राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी [एनसीपी]अस: अहिंसा संघअसे: अहिंसा सेनागोजमुमो:गोरखा जन मुक्ति मोर्चाअभागोली:अखिल भारतीय गोरखा लीगमगोपा:महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी [एमजीपी]पामक : पाटाली मक्कल कच्ची [पीएमके]
गोलिआ:गोरखा लिबरेशन आर्गेनाइजेशन [जीएलओ]

हिंदी संक्षेपाक्षर सदियों से इस्तेमाल होते आ रहे हैंमराठी में तो आज भी संक्षेपाक्षर का प्रयोग भरपूर किया जाता है और नये-२ संक्षेपाक्षर बनाये जाते हैं पर आज का हिंदी मीडिया इससे परहेज़ कर रहा हैदेवनागरी के स्थान पर रोमन लिपि का उपयोग कर रहा है. साथ ही मीडिया हिंदी लिपि एवं हिंदी संक्षेपाक्षरों के प्रयोग को हिंदी के प्रचार में बाधा मानता हैजो पूरी तरह से निराधार और गलत है.मैं ये मानता हूँ कि बोलचाल की भाषा में हिंदी संक्षेपाक्षरों की सीमा है पर कम से कम लेखन की भाषा में इनके प्रयोग को बढ़ावा देना चाहिए और जब सरल हिंदी संक्षेपाक्षर उपलब्ध हो या बनाया जा सकता हो तो अंग्रेजी संक्षेपाक्षर का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए.मैं अनुरोध करूँगा कि नए-नए सरल हिंदी संक्षेपाक्षर बनाये जाएँ और उनका भरपूर इस्तेमाल किया जायेमैं यहाँ कुछ हिंदी संक्षेपाक्षरों की सूची देना चाहता हूँ जो हैं तो पहले से प्रचलन में हैं अथवा इनको कुछ स्थानों पर इस्तेमाल किया जाता है पर उनका प्रचार किया जाना चाहिएआपको कुछ अटपटे और अजीब भी लग सकते हैंपर जब हम एक विदेशी भाषा अंग्रेजी के सैकड़ों अटपटे शब्दों/व्याकरण को स्वीकार कर चुके हैं तो अपनी भाषा के थोड़े-बहुत अटपटे संक्षेपाक्षरों को भी पचा सकते हैं बस सोच बदलने की ज़रूरत है.हिंदी हमारी अपनी भाषा हैइसके विकास की ज़िम्मेदारी हम सब पर है और मीडिया की ज़िम्मेदारी सबसे ऊपर है.

हमारी खीज और गुस्सा बढ़ गया हैदुःख भी हो रहा है कि हमारी भाषा के पैरोकार की उसे दयनीय और हीन बना रहे हैंवो भी बेतुके बाज़ारवाद के नाम पर. आप लोग क्यों नहीं समझ रहे कि हिंदी का चैनल अथवा अखबार हिंदी में समाचार देखने/सुननेपढ़ने  के लिए होता है ना कि अंग्रेजी के लिएउसके लिए अंग्रेजी के ढेरों अखबार और चैनल हमारे पास उपलब्ध हैं.

मैं इस लेख के माध्यम से इन सारे हिंदी के खबरिया चैनलों और अखबारों से विनती करता हूँ कि हिंदी को हीन और दयनीय बनाना बंद कर दीजियेउसे आगे बढ़ने दीजिये.मेरा विनम्र निवेदन:
१. हिंदी चैनल/अखबार/पत्रिका अथवा आधिकारिक वेबसाइट में अंग्रेजी के अनावश्यक शब्दों का प्रयोग बंद होना चाहिए.२. जहाँ जरूरी हो अंग्रेजी के शब्दों को सिर्फ देवनागरी में लिखा जाए रोमन में नहीं.३. हिंदी चैनल/अखबार/पत्रिका अथवा आधिकारिक वेबसाइट में हिंदी संक्षेपाक्षरों के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए.

बुधवार, 7 मई 2014

मतदाता पहचान-पत्र में नामों की वर्तनी में त्रुटि से मानहानि का मामला भी बन सकता है

दिनांक: ६ मई २०१४

प्रति,
मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त,
भारत निर्वाचन आयोग,
निर्वाचन सदन,              
अशोक रोडनई‍ दिल्‍ली

विषय: मतदाता पहचान-पत्र में नामों की वर्तनी में अशुद्धि से मानहानि का मामला भी बन सकता है

महोदय,

निर्वाचन आयोग द्वारा ऑनलाइन सेवाएँ एक साथ द्विभाषी रूप में ना देकर केवल अंग्रेजी दी जा रही हैं, साथ ही जो मतदाता पहचान-पत्र जारी किए गए हैं या किए जा रहे हैं उनमें हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं में भयंकर वर्तनी की त्रुटियाँ रहती हैं। नाम-पते आदि में अर्थ का अनर्थ हो रहा है। 

इसका कारण यह है कि भले ही मतदाता पहचान-पत्रनया बनवानेसुधार करवाने आदि के लिए आवेदन पत्र स्थानीय भाषा में छपे होते हैं,भले ही आम जनता इन्हें स्थानीय भाषा में भरकर आवेदन करती है किन्तु जिन फर्मों को निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाता-पहचान-पत्र की डेटा एंट्री तथा छपाई का ठेका दिया जाता हैवे कम्प्यूटर में डेटा एंट्री मूलतः अंग्रेजी में ही करते हैंफिर इसे एक नाम-लिप्यन्तरण सॉफ्यवेयर के माध्यम से हिन्दी तथा अन्य प्रान्तीय भाषाओं में लिप्यन्तरित किया जाता है जबकि अब कम्‍प्‍यूटर पर समस्‍त कार्य सीधे हिंदी और कई अन्‍य भारतीय भाषाओं की वर्णमाला (इनस्क्रिप्ट) में ही करने की अच्‍छी से अच्‍छी सुविधा उपलब्‍ध है; इससे हिन्दी तथा अन्य प्रान्तीय भाषाओं में नामपते आदि में भयंकर वर्तनी की अशुद्धियाँ रह जाती है। 

26 वर्णों की अंग्रेजी (बेसिक लेटिन) में लिखे नाम कदापि हिन्दी तथा भारतीय भाषाओं में सही रीति नहीं लिखे जा सकते। भारत को बेसिक लेटिन में यदि BHARAT लिखा जाए तो इसका उच्चारण व लिप्यन्तरण "भरतभरटभारटभराट भरातभारातभाराट" में से भी कुछ हो सकता है।

किसी व्यक्ति तथा स्थान का नाम उसकी इज्जत की बात होती है तथा यह भावनात्मक संवेदनशीलता का विषय है। नामों की वर्तनी में अशुद्धि से मानहानि का मामला भी बन सकता है और ऐसे लोगों को भारत निर्वाचन आयोग के विरुद्ध न्यायालय की शरण में जाना चाहिए ताकि उनके सम्मान के साथ हो रहे इस खिलवाड़ को तुरंत रोका जा सके।

इसके विपरीत यदि  हिन्दी (देवनागरी) या ब्राह्मी आधारित अन्य लिपि में मूलतः कम्प्यूटर में डेटा एंट्री हुई हो तो उसे अंग्रेजी (लेटिन लिपि) में एक्सेंट मार्क (accent marks) सहित सही उच्चारण सहित लिप्यन्तरित किया जा सकता है। अतः निर्वाचन आयोग को मतदाता पहचान-पत्रों की हिन्दी तथा अन्य प्रान्तीय भाषाओं में इनस्क्रिप्ट का प्रयोग करके ही मूलतः कम्प्यूटर में डेटा एंट्री करना आवश्यक है। देश मेंआधार कार्डभू-अभिलेख पत्र निर्माताओं को भी मूलतः भारतीय भाषाओं में ही डेटा एंट्री करनी चाहिए। जो ठेकेदार फर्म मूलतः हिन्दी और भारतीय भाषाओं में एंट्री नहीं करती होंउनके अनुबंध तत्काल आधार पर रद्द कर दिए जाने चाहिए। 

एक और बहुत बड़ा क़ानूनी उल्लंघन यह है कि आयोग ने भारत के प्रत्येक राज्य के मतदाता पहचान-पत्र पर अंग्रेजी के इस्तेमाल को सर्वथा अनिवार्य किया है पर राजभाषा हिन्दी का प्रयोग केवल हिन्दी भाषी राज्यों में अंग्रेजी के साथ किया जाता है, जो कि सर्वथा अनुचित और संविधान विरोधी है, भारत में प्रत्येक मतदाता पहचान-पत्र में प्रांतीय भाषा के साथ राजभाषा का प्रयोग किया जाना चाहिए. इस सम्बन्ध में मुख्य चुनाव आयुक्त यथाशीघ्र बैठक बुलाएँ एवं आवश्यक कार्यवाही करें और की गई कार्यवाही से अभ्यावेदक को अवगत करवाएँ।