अनुवाद

मंगलवार, 27 नवंबर 2012

नींबू कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए चमत्कारी उत्पाद है


आपको केवल इतना भर करना है, एक नीम्बू के पतली-२ दो-तीन परतें जैसी बना काट लीजिए और पीने के पानी से भरे गिलास में मिला दीजिए. यह पानी ‘क्षारीय जल’ अथवा ऐल्कलाइन वाटर बन गया. दिनभर और अधिक पानी डालकर इसका सेवन करते रहिये.  
स्वास्थ्य विज्ञान संस्थान
८१९- एन, एलएलसी,   चार्ल्स स्ट्रीट, बाल्टीमोर

औषधि विज्ञान में नयी खोज, कैंसर पर प्रभावी

ध्यान पूर्वक पढ़ें और स्वयं निर्णय लें

नींबू (सिट्रस) कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए चमत्कारी उत्पाद है. रसायन चिकित्सा (कीमोथेरेपी) से १०००० गुना ज्यादा शक्तिशाली है.  पर हम लोग इसके बारे में कुछ क्यों नहीं जानते? क्योंकि बहुत सी प्रयोगशालाएँ इस बात में दिलचस्पी ले रही हैं कि इसके सिंथेटिक विकल्प बाजार में लाए जाएँ और भरी मुनाफा कमाया जाए. अब आप अपने किसी दोस्त या फिर रिश्तेदार को नीम्बूरस के कैंसर जैसे घातक रोग पर अतिप्रभावशाली होने के बारे में बता कर उनकी सहायता कर सकते हैं।

इसका स्वाद भी बढ़िया होता है और यह रसायन चिकित्सा के भयानक परिणामों से भी मुक्त होता है। इस रहस्य को छुपा कर रखने से ना जाने कितने लोग मरते रहेंगे ताकि बड़ी-बड़ी कम्पनियों के करोड़ों-अरबों रुपये के मुनाफे पर कोई असर ना पड़े? जैसा की आप जानते हैं नींबू  का पेड़ अपनी ढेरों प्रजातियों के लिए जाना जाता है। इसका फल कई तरह से खाया जा सकता है: आप इसका सत्व खहा सकते हैं, रस पी सकते हैं, नींबू पानी ले सकते हैं या फिर सरबत बना सकते हैं, सब्जी-दाल में डाल कर खा सकते हैं। इसमें ढेर सारे गुण मौजूद हैं पर सबसे महत्वपूर्ण है कि यह पुटक अथवा सिस्ट (cysts) और अर्बुद (tumors) पर असरकारक है।

नीम्बू हर प्रकार के कैंसर पर असर करता है यह बात सिद्ध हो चुकी है. कुछ लोग मानते हैं कि यह सभी प्रकार के कैंसर में उपयोगी होता है.  शैवाल एवं विषाणु संक्रमण के विरुद्ध यह सूक्ष्मजीवरोधी माना जाता है, आतंरिक परजीवी एवं कीटाणुओं के विरुद्ध असरदार, यह उच्च रक्तप्रवाह को नियमित करता है, तनाव और अवसाद को कम करता है तथा तंत्रिका तंत्र की परेशानियों को दूर करता है.  

इस जानकारी के स्रोत बहुत आश्चर्यजनक हैं:

यह जानकारी विश्व की सबसे बड़ी औषधि निर्माता कंपनियों में से एक से प्राप्त हुई जानकारी है जिसमें कहा गया है कि १९७० से अब तक हुए २० से भी अधिक प्रयोगशाला परीक्षणों के नतीजे बताते हैं कि नीम्बू १२ प्रकार के कैंसर रोगों के लिए जिम्मेदार कोशिकाओं को नष्ट कर देता है, जिसमें शामिल हैं – कोलोन, स्तन, प्रोस्टेट, फेंफडे, अंतडियां आदि.

इस वृक्ष के यौगिकों ने Adriamycin दवा के मुकाबले १०००० गुना अधिक अच्छे परिणाम दिखाए और कैंसर की कोशिकाओं के विकास को धीमा कर दिया. Adriamycin एक दावा है जो विश्वभर में रसायन चिकित्सा (कीमोथैरेपी) में इस्तेमाल की जाती है.

और भी अधिक सुखद आश्चर्य की बात यह है कि नीम्बू सत्व से की जाने वाली चिकित्सा से केवल कैंसर के लिए जिम्मेदार कोशिकाएं ही नष्ट होती हैं जबकि यह स्वस्थ कोशिकाओं पर कोई असर नहीं डालती.

नींबू कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए चमत्कारी उत्पाद है


आपको केवल इतना भर करना है, एक नीम्बू के पतली-२ दो-तीन परतें जैसी बना काट लीजिए और पीने के पानी से भरे गिलास में मिला दीजिए. यह पानी ‘क्षारीय जल’ अथवा ऐल्कलाइन वाटर बन गया. दिनभर और अधिक पानी डालकर इसका सेवन करते रहिये.  
स्वास्थ्य विज्ञान संस्थान
८१९- एन, एलएलसी,   चार्ल्स स्ट्रीट, बाल्टीमोर

औषधि विज्ञान में नयी खोज, कैंसर पर प्रभावी

ध्यान पूर्वक पढ़ें और स्वयं निर्णय लें

नींबू (सिट्रस) कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए चमत्कारी उत्पाद है. रसायन चिकित्सा (कीमोथेरेपी) से १०००० गुना ज्यादा शक्तिशाली है.  पर हम लोग इसके बारे में कुछ क्यों नहीं जानते? क्योंकि बहुत सी प्रयोगशालाएँ इस बात में दिलचस्पी ले रही हैं कि इसके सिंथेटिक विकल्प बाजार में लाए जाएँ और भरी मुनाफा कमाया जाए. अब आप अपने किसी दोस्त या फिर रिश्तेदार को नीम्बूरस के कैंसर जैसे घातक रोग पर अतिप्रभावशाली होने के बारे में बता कर उनकी सहायता कर सकते हैं।

इसका स्वाद भी बढ़िया होता है और यह रसायन चिकित्सा के भयानक परिणामों से भी मुक्त होता है। इस रहस्य को छुपा कर रखने से ना जाने कितने लोग मरते रहेंगे ताकि बड़ी-बड़ी कम्पनियों के करोड़ों-अरबों रुपये के मुनाफे पर कोई असर ना पड़े? जैसा की आप जानते हैं नींबू  का पेड़ अपनी ढेरों प्रजातियों के लिए जाना जाता है। इसका फल कई तरह से खाया जा सकता है: आप इसका सत्व खहा सकते हैं, रस पी सकते हैं, नींबू पानी ले सकते हैं या फिर सरबत बना सकते हैं, सब्जी-दाल में डाल कर खा सकते हैं। इसमें ढेर सारे गुण मौजूद हैं पर सबसे महत्वपूर्ण है कि यह पुटक अथवा सिस्ट (cysts) और अर्बुद (tumors) पर असरकारक है।

नीम्बू हर प्रकार के कैंसर पर असर करता है यह बात सिद्ध हो चुकी है. कुछ लोग मानते हैं कि यह सभी प्रकार के कैंसर में उपयोगी होता है.  शैवाल एवं विषाणु संक्रमण के विरुद्ध यह सूक्ष्मजीवरोधी माना जाता है, आतंरिक परजीवी एवं कीटाणुओं के विरुद्ध असरदार, यह उच्च रक्तप्रवाह को नियमित करता है, तनाव और अवसाद को कम करता है तथा तंत्रिका तंत्र की परेशानियों को दूर करता है.  

इस जानकारी के स्रोत बहुत आश्चर्यजनक हैं:

यह जानकारी विश्व की सबसे बड़ी औषधि निर्माता कंपनियों में से एक से प्राप्त हुई जानकारी है जिसमें कहा गया है कि १९७० से अब तक हुए २० से भी अधिक प्रयोगशाला परीक्षणों के नतीजे बताते हैं कि नीम्बू १२ प्रकार के कैंसर रोगों के लिए जिम्मेदार कोशिकाओं को नष्ट कर देता है, जिसमें शामिल हैं – कोलोन, स्तन, प्रोस्टेट, फेंफडे, अंतडियां आदि.

इस वृक्ष के यौगिकों ने Adriamycin दवा के मुकाबले १०००० गुना अधिक अच्छे परिणाम दिखाए और कैंसर की कोशिकाओं के विकास को धीमा कर दिया. Adriamycin एक दावा है जो विश्वभर में रसायन चिकित्सा (कीमोथैरेपी) में इस्तेमाल की जाती है.

और भी अधिक सुखद आश्चर्य की बात यह है कि नीम्बू सत्व से की जाने वाली चिकित्सा से केवल कैंसर के लिए जिम्मेदार कोशिकाएं ही नष्ट होती हैं जबकि यह स्वस्थ कोशिकाओं पर कोई असर नहीं डालती.

गुरुवार, 22 नवंबर 2012

भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह : लोक शिकायत


राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय
एनडीसीसी-II (नई दिल्ली सिटी सैंटर) भवन, 'बी' विंग
चौथा तल, जय सिंह रोड़
नई दिल्ली - 110001

विषय: 43वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह  के आयोजन में भारत की राजभाषा के प्रयोग के सम्बन्ध में लोक शिकायत:

महोदय,

43वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के आयोजन  में हर स्तर पर भारत की राजभाषा एवं जन-जन की भाषा 'हिन्दी' की घोर उपेक्षा की जा रही है तथा राजभाषा सम्बन्धी संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन हो रहा है. यह समारोह 20 नवम्बर से 30 नवम्बर 2012 तक चलेगा। आपसे अनुरोध है कि संविधान के अनुच्छेद 343-351 तथा राजभाषा अधिनियम 1963 एवं भारत की राजभाषा नीति के उल्लंघन को रोकने के लिए शीघ्र कार्यवाही करें। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की पहचान हिन्दी से है इसलिए भी ऐसे अंतर्राष्ट्रीय समारोह में हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषाओं को महत्त्व दिया जाना चाहिए.

उल्लंघन के उदाहरण:







1. समारोह के बैनर, पोस्टर, हस्त-पुस्तिकाएँ, सूची-पत्र (कैटलाग) केवल अंग्रेजी में छापे गए हैं जबकि इन्हें अनिवार्य रूप से हिन्दी-अंग्रेजी दोनों में  होना चाहिए.
२. समारोह का प्रतीक भी केवल अंग्रेजी में जारी किया गया है और वर्षों से ऐसा हो रहा है जबकि प्रतीक अनिवार्य रूप से हिन्दी में या फिर हिन्दी-अंग्रेजी दोनों में एकसाथ जारी होना चाहिए.
३. समारोह की वेबसाइट का हिन्दी में ना होना भी संविधान के अनुच्छेद 351 का उल्लंघन है.

समारोह गोवा में आयोजित किया जाता है इसलिए बैनर, पोस्टर आदि में गोवा की राजभाषा 'कोंकणी' को भी स्थान मिलना चाहिए.

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय तथा भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह की आयोजन समिति को तुरंत सभी बैनर-पोस्टर आदि में अंग्रेजी के साथ हिन्दी को अंग्रेजी के ऊपर प्राथमिकता देते हुए शामिल करने के निर्देश जारी करें, ऐसा मेरा विनम्र अनुरोध है. आगामी आयोजनों में संविधान के अनुच्छेद 343-351 तथा राजभाषा अधिनियम 1963 एवं भारत की राजभाषा नीति का ऐसा उल्लंघन ना हो इसके लिए कड़े निर्देश जारी किये जाएँ.

सबूत के तौर पर समारोह स्थल के चित्र/कैटलाग (http://www.iffi.nic.in/India%20Cinema%20IFFI%202012.pdfआदि संलग्न हैं.

शनिवार, 10 नवंबर 2012

जैनधर्म में दीपावली

जैन धर्म में दीपावली का त्यौहार 

जैनधर्म के २४ वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी को कार्तिक कृष्ण अमावस्या को प्रत्यूष बेला (सूर्य की पहली किरण निकलने के साथ) में निर्वाण की प्राप्ति पावापुरी (नालंदा, विहार) से हुई थी इन्द्रों ने भगवान का निर्वाण कल्याणक बड़े ही धूमधाम से मनाया.

उसी दिन सायंकाल गोधूलि बेला में तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी  के प्रथम शिष्य गणधर श्री गौतम स्वामी को केवल ज्ञान की उत्पत्ति हुई थी.

ये दो महत्त्वपूर्ण घटनाएँ आज से २५३९ वर्ष पूर्व घटित हुई थीं, तभी से भारतवर्ष में दीपावली का त्यौहार बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है.

इस दिन जैन धर्मावलंबी प्रातःकाल में शुद्ध वस्त्र धारण कर जिनालयों में जाते हैं और भगवान महावीर की पूजा करते हैं और 'निर्वाण कांड' पढ़कर निर्वाण कल्याणक महोत्सव मानते हुए निर्वाण लाडू समर्पित  करते हैं  और तीर्थंकरों से प्रार्थना करते हैं कि हे भगवन ! एक दिन हमको भी अपने जैसा बना लेना.

शाम को घरों को सजाया जाता है और अंधेरा होने से पहले सोलह्करण के प्रतीक १६ दिए प्रज्ज्वलित किये जाते हैं और भगवान गौतम स्वामी की पूजा व आरती की जाती है.

जैनागम के अनुसार मुनिगण जैन श्रावकों को पटाखे ना चलाने एवं गरीब और असहाय लोंगों की सेवा करने एवं उनके घरों में रौशनी/ज्ञान के दिए जलाने का उपदेश देते हैं ताकि कोई भी घर अज्ञान और मिथ्यात्व के अँधेरे में ना रहे और चहुँओर अहिंसा धर्म की ज्योति प्रकशित होती रहे.

साधुओं का उपदेश है कि इस दिन जैन श्रावक केवल और केवल देव-शास्त्र और गुरु की आराधना ही करें एवं विशेष रूप से भगवान महावीर स्वामी एवं गणधर श्री गौतम स्वामी की पूजा करें, अन्धविश्वास में पड़कर धन-दौलत, रुपये-पैसे अथवा मकान-दूकान की पूजा ना करें.

पटाखे चलाने से लाखों जीवों का घाट होता है, उन्हें कष्ट पहुँचता है, गर्भवती नारी एवं गर्भस्थ शिशु, बीमार और वृद्धजनों को अत्यन्त कष्ट और परेशानियां सहनी पड़ती हैं, छोटे-जानवरों और पक्षियों की भी मौत हो जाती है.