अनुवाद

बुधवार, 31 जुलाई 2013

गुलजार की नजर में मुंशी प्रेमचंद (एक कविता) सौजन्य: नीति सेण्ट्रल डॉट कॉम

‘प्रेमचंद की सोहबत तो अच्छी लगती है
लेकिन उनकी सोहबत में तकलीफ़ बहुत है…
मुंशी जी आप ने कितने दर्द दिए हैं
हम को भी और जिनको आप ने पीस पीस के मारा है
कितने दर्द दिए हैं आप ने हम को मुंशी जी
‘होरी’ को पिसते रहना और एक सदी तक
पोर पोर दिखलाते रहे हो
किस गाय की पूंछ पकड़ के बैकुंठ पार कराना था
सड़क किनारे पत्थर कूटते जान गंवा दी
और सड़क न पार हुई, या तुम ने करवाई नही
‘धनिया’ बच्चे जनती, पालती अपने और पराए भी
ख़ाली गोद रही आख़िर
कहती रही डूबना ही क़िस्मत में है तो
बोल गढ़ी क्या और गंगा क्या

‘हामिद की दादी’ बैठी चूल्हे पर हाथ जलाती रही
कितनी देर लगाई तुमने एक चिमटा पकड़ाने में
‘घीसू’ ने भी कूज़ा कूज़ा उम्र की सारी बोतल पी ली
तलछट चाट के अख़िर उसकी बुद्धि फूटी
नंगे जी सकते हैं तो फिर बिना कफ़न जलने में क्या है
‘एक सेर इक पाव गंदुम’, दाना दाना सूद चुकाते
सांस की गिनती छूट गई है
तीन तीन पुश्तों को बंधुआ मज़दूरी में बांध के तुमने क़लम उठा ली
‘शंकर महतो’ की नस्लें अब तक वो सूद चुकाती हैं.
‘ठाकुर का कुआँ’, और ठाकुर के कुएँ से एक लोटा पानी
एक लोटे पानी के लिए दिल के सोते सूख गए
‘झोंकू’ के जिस्म में एक बार फिर ‘रायदास’ को मारा तुम ने

शुक्रवार, 26 जुलाई 2013

प्रधानमंत्री जी: भारत की राजभाषा कौन सी है ?

प्रधानमंत्री जी: भारत की राजभाषा कौनसी है ?

क) हिंदी अथवा (ख)अंग्रेजी

तकनीकी प्रश्न: अब तक कितने सार्वजनिक बैंकों ने नेटबैंकिंग हिंदी में शुरू की है ?

 सम्मानीय सदस्यगण 

जानकारी हो बताने का कष्ट करें:

१. अब तक कितने सार्वजनिक बैंकों ने नेटबैंकिंग हिंदी में शुरू की है?
२. अब तक कितने सार्वजनिक बैंकों ने पासबुक और माँग ड्राफ्ट की १००% छपाई हिंदी में शुरू की है?
३. क्या ऑनलाइन आयकर विवरणी हिंदी में भरी जा सकती है?
४. क्या पैनकार्ड का ऑनलाइन आवेदन हिंदी में किया जा सकता है?
५. क्या ऑनलाइन रेलवे टिकट की बुकिंग हिंदी में की जा सकती है?
६. भारत सरकार के किस मंत्रालय में १००% सॉफ्टवेयर द्विभाषी प्रयोग में लाये जा रहे हैं?  
7. भारत सरकार की कौन सी वेबसाइट शत-प्रतिशत हिंदी अथवा शत-प्रतिशत द्विभाषी रूप में उपलब्ध है? (जिसमें हिंदी वेबसाइट पर हर सामग्री केवल हिंदी में हो एक शब्द-अक्षर भी रोमन में ना लिखा गया हो)  

प्रतिक्रियाएं व्यक्त करें 

 तकनीकी प्रश्न: अब तक कितने सार्वजनिक बैंकों ने नेटबैंकिंग हिंदी में शुरू की है ?

    अभी ये सभी लक्ष्‍य दूर की कौड़ी हैं। जब सामान्‍य पत्राचार ही 100 प्रति‍शत
    हिंदी में नहीं हो पाया है तो कंप्‍यूटर पर शतप्रति‍शत कैसे होगा।
     
     
     
     
    -- 
    *Dr. Paritosh Malviya*
    *Gwalior*
 

    असल में देखा जाये तो कंप्यूटरों के माध्यम से भाषा-लिपि का प्रयोग अधिक आसान
    है, कारण कि कंप्यूटरों की अपनी कोई भाषा नहीं होती और वे किसी भाषा विशेष के
    प्रति लगाव नहीं रखते। यह तो मानव संकल्प पर निर्भर करता है कि वह उसे अपनी
    मूल भाषा के लिए प्रयोग में लेता है कि नहीं। चीन पहला राष्ट्र है जिसने
    वेबसाइटों के नाम तक चीनी लिपि में लिखने की शुरुआत की थी। चीन नहीं चाहता कि
    उसके हर नागरिक को अंगरेजी सीखनी पड़े, क्योंकि हर नागरिक को विदेशियों के साथ
    संपर्क नहीं साधना होता है। हमारी स्थिति भिन्न नहीं होनी चाहिए, किंतु लंबी
    गुलामी के कारण हम अंगरेजी मोह से बाहर निकल ही नहीं सकते। फलतः वह काम भी अब
    हिंदी में नहीं होते जो पहले होते थे। विभिन्न क्षेत्रों में हिंदी शब्दों के
    साथ तैयार फ़ार्मेट में फ़ॉर्म आदि भले ही मिल जायें, उनमें प्रविष्टियां
    अंगरेजी में ही मिलेंगी। चाहे रेलगाड़ी टिकट हो या बैंक ड्राफ़्ट सब जगह हाल यही
    है। कहने के लिए हिंदी भी रहती है, लेकिन उसकी उपयोगिता शायद ही कभी हो।
    भारतीयों की मानसिकता उपर वाला शायद बदल सके, धरती पर आप-हम जैसे कुछ नहीं कर
    सकते हैं।
     
     
    23 जुलाई 2013 9:12 am को, Dr. Paritosh Malviya
 
    "डॉ एम एल गुप्ता (Dr. M.L. Gupta)" <mlgdd123@gmail.com> Jul 23 10:55PM +0530  

    हम सब की चिंता एक जैसी है, पर चिंता किसको है..।
     
     
    से: Dr. Bishwanath Jha <bishwjha@gmail.com>
    को: "डॉ एम एल गुप्ता (Dr. M.L. Gupta)" <mlgdd123@gmail.com>
    प्रतिलिपि: hindianuvaadak@googlegroups.com,
     राजभाषा विभाग RajbhashaVibhag - भाषायी कंप्यूटरीकरण <rajbhashavibhag-itsolution@googlegroups.com>,
     Dr ved partap Vaidik <dr.vaidik@gmail.com>,
     pradeep sharma <pspradeep3@gmail.com>,
     Jay prakash Manas <srijangatha@gmail.com>,
     jmsingla <jmsingla@yahoo.com>,
     RAJESHWAR UNIYAL <uniyalrp@yahoo.com>
    दिनांक: 24 जुलाई 2013 11:53 am

प्रवीण जी,

हातिम ताई के इन सातों सवालों के  जवाब नीचे दिए हैं-

1. किसी भी सार्वजनिक बैंक ने नेटबैंकिंग हिंदी में शुरू नहीं की है ( जब प्राइवेट बैंक नहीं कर रहे तो वे क्यों करें, वे भी तो उन्हीं की तरह बिजनेस कर रहे हैं)।

2. किसी भी सार्वजनिक बैंक ने पासबुक और माँग ड्राफ्ट की 100% छपाई हिंदी में शुरू नहीं की है (जरूरत क्या है अंग्रेजी है ना)।

3. ऑनलाइन आयकर विवरणी हिंदी में बिल्कुल नहीं भरी जा सकती है (आयकर विभाग तो भारत सरकार का कमाऊ पूत है, इस पर कौन उंगली उठाने की हिमाकत कर सकता है भला)।

4. सवाल ही नहीं उठता, आपको मालूम नहीं ? भारत 21 वीं सदी में प्रवेश कर चुका है, वो भी 13 साल पहले ही ।

5. जरूरत ही क्या है, भारत में कंप्यूटर पर तो केवल अंग्रेजी में ही काम हो सकता है ना ।

6. किसी भी मंत्रालय में नहीं (गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग को छोड़कर)- और भी गम हैं जमाने में हिंदी के अलावा।

7. संभवतः कोई भी नहीं (गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग को छोड़कर - मजबूरी है, इन्हें तो हिंदी के लिए ही पगार मिलती है न)।

सरकार का हाथ अंग्रेजी जानने वालों के साथ

इस देश का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा और लोकतंत्र का मखौल कि देश की जनता विशेष रूप से आम आदमी को भारत सरकार की तरफ से उसकी अपनी भाषा में आज भी जानकारियां नहीं दी जा रही हैं. 

संविधान के अनुच्छेद ३५१ में हिंदी को बढ़ावा देने का निर्देश दिया गया पर बात धाक के तीन पात. सरकार सबकुछ अंग्रेजी में ही शुरू करती है लोगों के बार-२ मांगने पर बाद में हिंदी में जानकारी दी जाती है. 

लोग पत्र हिंदी में लिखते हैं और सरकारी अधिकारी उत्तर अंग्रेजी में देते हैं, इससे ज्यादा शर्मनाक क्या हो सकता है कि एक नहीं दर्जनों मंत्रालय और विभाग आज भी हिंदी में प्राप्त पत्रों और आर टी आई आवेदनों के उत्तर अंग्रेजी में देते हैं. और यह सब सरकार की नाक केठीक नीचे चल रहा है. क्या ऐसा भारत के अलावा किसी और देश में हो सकता ? उत्तर है नहीं. 

समाज के पिछड़े तबको के काम आने वाली जानकारी भी हिंदी में मुहैया नहीं करवाई जाती. आम आदमी से सीधे जुड़ी कई सरकारी वेबसाइटों के हिंदी संस्करण आज भी चालू  नहीं हुए. भारत सरकार की सभी वेबसाइटों को द्विभाषी रूप में बनाने का नियम १९९९ में बना था. यानी पूरे चौदह साल बीत चुके हैं पर बात बनती नहीं दिखती. आज भी सरकारी फॉर्म अंग्रेजी में छापे जा रहे हैं कम-से-कम फॉर्म आदि तो अनिवार्य रूप से द्विभाषी बनाए जाएँ ना कि हिंदी का फॉर्म अलग और अंग्रेजी का फॉर्म अलग. अलग-२ फॉर्म की कठिनाई यह है कि हिंदी फॉर्म ढूँढने मांगने पर भी नहीं मिलता. 

भाजीबी निगम से आपको प्रीमियम की पावती अंग्रेजी में ही मिलती है ईमेल केवल अंग्रेजी में आते हैं. आयकर विभाग भी मानक ईमेल भीकेवल अंग्रेजी में भेजता है जैसे सूचना प्रौद्योगिकी ने हिन्दी के प्रयोग को अब समाप्त ही कर दिया. अब प्रधानमंत्रीजी को भी हिंदी ईमेल लिखिए पावती तो केवल अंग्रेजी में आयेगी.

भारत सरकार की वेबसाइटों का काम करने वाला राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र भी आपको हिंदी ईमेल के उत्तर अंग्रेजी में ही देगा.

आम आदमी से सीधे जुड़ी कई सरकारी वेबसाइटें जिनके हिंदी संस्करण अब तक शुरू नहीं हुए:

१. डाक विभाग (हिंदी के नाम पर केवल २ पृष्ठ) http://www.indiapost.gov.in/
२. मनरेगा http://nrega.nic.in/
३. कल्याणकारी योजनाओं के लिए आम आदमी का पोर्टल : डायल http://dial.gov.in/
४. राष्ट्रपति महोदय को शिकायत जमा कराने हेतु पोर्टल http://www.helpline.rb.nic.in/
५. किसान पोर्टल http://farmer.gov.in/#
६. ऑनलाइन आयकर विवरणी जमा करने का पोर्टल (वेबसाइट पर एक भी फार्म द्विभाषी नहीं है, केवल अंग्रेजीhttps://incometaxindiaefiling.gov.in/
७. जनगणना आयुक्त (हिंदी के नाम पर केवल मुखपृष्ठ, जिसमें नाम पैनल पर जनगणना भी गलत लिखा है) http://www.censusindia.gov.in
८. भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (गूगल अनुवादक जोड़ा) http://www.fssai.gov.in/
९. स्वास्थ्य मंत्रालय (हिंदी के नाम पर केवल मुखपृष्ठ) 
१०. भारत सरकार की वेबसाइट निर्देशिका http://goidirectory.nic.in/index.php 
११. कृषि मंत्रालय का कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग http://dare.nic.in/
१२. कृषि मंत्रालय का कृषि और सहकारिता विभाग (हिंदी के नाम पर केवल मुखपृष्ठ) http://www.agricoop.nic.in/
13. ऑनलाइन सूचना का अधिकार आवेदन जमा करने का पोर्टल http://rtionline.gov.in/


    "Vijay K. Malhotra" <malhotravk@gmail.com> Jul 24 05:56AM +0530

    प्रवीण जी,
    आपने बहुत परिश्रम से उन तमाम मंत्रालयों की वैबसाइटों की सूची तैयार की है,
    जो अभी भी अंग्रेज़ी में हैं. कुछ दिन पूर्व नवनियुक्त संयुक्त राजभाषा,
    राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय से मैंने मुलाकात की थी, मुलाकात के दौरान
    उन्होंने इस प्रकार की सूची सुलभ कराने का आग्रह किया था. मैंने आपकी यह सूची
    उन्हें भेज दी है. भविष्य में भी आपको ऐसी कोई भी जानकारी मिले तो आप उसे सीधे
    poonamjuneja9@gmail.com को भेज सकते हैं. आपका यह कार्य अत्यंत सराहनीय है.
    पूनम जी ने मुलाकात के दौरान कहा था कि वे इस कार्य को प्राथमिकता के आधार पर
    करना चाहती हैं.
    शुभकामनाओं के साथ
    विजय कुमार मल्होत्रा
      पूर्व निदेशक (राजभाषा),
      रेल मंत्रालय,भारत सरकार
      Mobile:91-9910029919
      91-9311170555

शनिवार, 20 जुलाई 2013

A man fighting for Tamil Language

श्यामरुद्र पाठक: भाषाओं के लिए लड़ता योद्धा 
श्री पाठक ने १९७९ में दसवीं कक्षा की परीक्षा में बिहार बोर्ड से रजत पदक प्राप्त किया था, विद्यालय था नेतरहाट विद्यालय. उन्होंने वर्ष १९८० में पहले प्रयास में ही आइआइटी-जीईई (जब वे ग्यारहवीं में थी) उत्तीर्ण कर ली. उन्होंने भाप्रौस – दिल्ली (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) से ५ वर्षीय एकीकृत एमएस भौतिकी का पाठ्यक्रम पूरा किया.
वर्ष १९८५ में गेट की परीक्षा में उन्होंने ९९.८९% पर्सेंटाइल के साथ अखिल भारतीय प्रथम स्थान प्राप्त किया था


He got silver medal from Bihar Board in 1979 when he passed 10th from Netarhat Vidyalaya. He qualified IIT-JEE in first attempt (when he was in class XI) in 1980. He did 5-year integrated MS Physics course from IIT-Delhi on that basis. In 1985, he got all India first rank with 99.89 percentile score in GATE. After that he did M.Tech. in Energy studies from IIT-Delhi, in which his CGPA (cumulative grade point average) was 9.25 on the 10-point scale. He got CSIR Fellowship in first attempt. He got Senior Research fellowship from IIT-Delhi. He got all India first rank in Research Scholars' written entrance test of TIFR-Bombay in 1991. He got all India first rank in written exam of Research Scholars' Joint Entrance Test of NCRA and IUCAA. He did research work in Astrophysics from TIFR Bombay and TIFR Pune.He worked as a Physics Faculty in FIITJEE, Delhi from January 2000 to December 2000.)