अनुवाद

सोमवार, 29 अक्तूबर 2012

भारत सरकार - बॉण्ड अथवा बंध-पत्र का प्ररूप


बॉण्ड
इस विलेख द्वारा सब लोगों को ज्ञात हो कि हम ....................... (संगठन/गैर सरकारी संगठन  का नाम जो पंजीयन प्रमाणपत्र में है) संस्‍थान रजिस्‍ट्रीकरण अधिनियम, 1860 के अंतर्गत पंजीयित एक संघ जो................... (पंजीयन प्राधिकारी का नाम और पूरा पता) के कार्यालय द्वारा ................... राज्‍य में ...................में कार्यालय की पंजीयन संख्‍या ............. दिनांक ............ द्वारा पंजीयित है (जिन्‍हें यहां बाद में बाध्‍यताधारी कहा गया है) भारत के राष्‍ट्रपति के प्रति (जिन्‍हें यहां बाद में सरकारी कहा गया है) रु ................ (शब्‍दों में रुपए ......................... मात्र) की राशि के लिए पूरी तरह आबद्ध हैं जिसका भुगतान मांगे जाने पर राष्‍ट्रपति कोनिष्‍ठा के साथ और बिलना आपत्ति के किया जाएगा, और उस भुगतान के लिए हम स्‍वयं को और अपने उत्तराधिकारियों तथा समनुदेशितियों को इस प्रलेख द्वारा आबद्ध करते हैं।

2.      आज ........... (तिथि) ................. (माह) वर्ष दो हजार ............... को हस्‍ताक्षरित।
3.      यह: बाध्‍यताधारी ने अपने पत्र संख्‍या ............. दिनांक ......... द्वारा युवा कार्य और खेल मंत्रालय के माध्‍यम से सरकार को रु. ......... के अनुदान के लिए एक अनुरोध प्रस्‍ताव भेजा है, अत: बाध्‍यताधारी सरकार को भेजे गए प्रस्‍ताव में अनुरोधित रु. ................ की पूरी राशि के लिए युवा कार्य और खेल मंत्रालय के पक्ष में यह बॉन्‍ड पहले से निष्‍पादित करने के लिए सहमत हो गया है। बाध्‍यताधारी प्रस्‍ताव वित राशि या सरकार द्वारा अनुमोदित/स्‍वीकृत कोई अन्‍य राशि स्‍वीकार करने के लिए सहमत हो गया है। बाध्‍यताधारी प्रस्‍तावित राशि का यह बॉन्‍ड स्‍वेच्‍छा से निष्‍पादित कर रहा है इस शर्त के साथ कि बाध्‍यताधारी इस राशि या सरकार द्वारा अनुमोदित/स्‍वीकृत वास्‍तविक राशि के लिए आबद्ध होगा, जो भी कम हो। बाध्‍यताधारी सरकार द्वारा जारी किए जाने वाले ‘‘संस्‍वीकृति पत्र’’ में उल्लिखित करने के लिए भी सहमत है।
4.      अब उपरिलिखित बाध्‍यता की शर्त यह है कि यदि बाध्‍यतधारी संस्‍वीकृति पत्र में उल्लिखित सभी शर्तों को विधिवत् पूरा और उनका अनुपालन करे तो उपरिलिखित बॉन्‍ड या बाध्‍यता शून्‍य और अप्रभावी हो जाएगी। किंतु अन्‍यथा वह पूरी तरह लागू और प्रभावी रहेगी। यदि अनुदान का कोई अंश उस अवधि की समाप्ति के बाद बचा रहे जिसके भीतर उसे खर्च करना था तो बाध्‍यताधारी बची हुई शेष राशि 10 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्‍याज के साथ लौटा देने के लिए सहमत है जब तक संस्‍वीकृति प्राधिकारी उसे अगले वित्तीय वर्ष में ले जाने की अनुमति न दे दे। अनुदान की राशि उस पर अर्जित ब्‍याज के साथ लौटा दी जाएगी।
5.      संस्‍थान/ट्रस्‍ट ऐसे सभी मौद्रिक या अन्‍य लाभ समर्पित कर देने उनका मौद्रिक मूल्‍य सरकार को दे देने के लिए सहमत है और वचन देता है जो वह उस संपत्ति भवन या अन्‍य परिसंपत्तियों के अनधिकृत प्रयोग (यथा परिसर को यथेष्‍ट या यथेष्ट से कम प्रतिफल के लिए किराए पर देना या परिसर का प्रयोग उससे भिन्‍न उद्देश्‍य के लिए करना जिसके लिए वह उद्दिष्‍ट था) द्वारा प्राप्‍त अथवा व्‍युत्‍पन्‍न हुए हों/प्राप्‍त अथवा व्‍युत्‍पन्‍न हों। समर्पित किए जाने वाले सरकार को दिए जाने वाले उपर्युक्‍त मौद्रिक मूल्‍य से संबंधित सभी मामलों के बारे में युवा कार्य और खेल मंत्रालय में भारत सरकार के सचिव या संबंधित विभाग के प्रशासनिक अध्‍यक्ष का निर्णय अंतिम और संस्‍थान/न्‍यास पर बाध्‍यकारी होगा।
6.      अनुदानग्राही की कार्यकारिणी समिति का सदस्‍य
()       संस्‍वीकृति पत्र में विनिर्दिष्‍ट निर्धारित ति‍थियों तक सहायता अनुदान की शर्तों का पालन करेगा; और
()       अनुदान का प्रयोग किसी अन्‍य उद्देश्‍य के लिए नहीं करेगा और योजना अथवा संबंधित कार्य का निष्‍पादन अन्‍य संस्‍थाओ या संगठनों को नहीं सौंपेगा; और
()       सहायता अनुदान से संबंधित करारनामे में विनिर्दिष्‍ट किन्‍हीं अन्‍य शर्तों का पालन करेगा।

अनुदानग्राही द्वारा शर्तों का अनुपालन न किए जाने या बॉन्‍ड की शर्तों का उल्‍लंघन किए जाने की स्थिति में बॉन्‍ड के सभी हस्‍ताक्षरकर्ता अनुदान की पूरी या आंशिक राशि उस पर 10 प्रतिशत की दर से ब्‍याज के साथ भारत के राष्‍ट्रपति को लौटाने के लिए संयुक्‍त रूप से और अलग- अलग जिम्‍मेदार होंगे। इस बॉन्‍ड का स्‍टाम्‍प शुल्‍क सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।

7.      और यह विलेख इस बात का भी साक्षी है कि:
(i)     इस प्रश्‍न के बारे में कि संस्‍वीकृति पत्र में उल्लिखित किसी निबंधन या शर्त का भंग अथवा उल्‍लंघन हुआ है या नहीं, युवा कार्य और खेल मंत्रालय में भारत सरकार के सचिव का निर्णय अंतिम और बाध्‍यताधारियों पर बाध्‍यकारी होगा; और
(ii)    इस विलेख पर देय स्‍टाम्‍प शुल्‍क सरकार वहन करेगी।

इसके साक्ष्‍य स्‍वरूप यह विलेख नीचे लिखे अनुसार बाध्‍यताधारियों की ओर से यहां ऊपर लिखित तिथि को बाध्‍यतधारियों के शासी निकाय द्वारा पारित संकल्‍प सं................... दिनांक ......... के अनुसरण में, जिसकी प्रति इसके संलग्‍नक ख के रूप में संलग्‍न है (गैर सरकारी संगठन /अनुदानग्राही द्वारा संलग्‍न की जाए), निष्पादित किया गया।

................. के निमित्त और उसकी ओर से हस्‍ताक्षरित
...............
अनुदानग्राही के हस्‍ताक्षर
बाध्‍यताधारी संघ का नाम, यथा पंजीयित ............... डाक का पूरा पता .................................................................. टेलीफोन नंबर ........मोबाइल नं.......... ई मेल पता (यदि हो)............. फैक्‍स नंबर .......... के सामने (साक्षी का नाम और पता)
(i)                                         .........................................................................................................
(ii)                                        .........................................................................................................

भारत के राष्‍ट्रपति के निमित्त और
उनकी ओर से स्‍वीकृत
(मुहर)
_____________________
(नाम और पता)
पद नाम ................
तिथि -

मंत्रालय में अवर सचिव द्वारा हस्‍ताक्षरित किया जाए।

सार्वजनिक न्यास विलेख- दूसरा प्ररूप


अरिहंत ट्रस्ट का न्यास-विलेख
यह न्यास विलेख आज दिनांक 28.09.2001 को सुल्तानगंज नगर में श्रीमती कमला जैन पत्नी स्व. श्री जयनारायण जैन, आयु ६५ वर्ष, निवासिनी मुख्य सड़क, बड़ा बाज़ार सुल्तानगंज-४६४८८१ (जिनको आगे चलकर न्यासकर्त्री कहा गया है) द्वारा निष्पादित किया गया।

यह कि न्यासकर्त्री का सुल्तानगंज नगर में एक मकान है जो कि संलग्न परिशिष्ट में वर्णित है। वह उक्त मकान की मालिक, क़ाबिज़ एवं दाखि़ल हैं। यह मकान पैतृक सम्पत्ति नहीं है, इसे इन्होंने स्वयं खरीदा-बनाया है। यह सम्पत्ति सभी प्रकार के भारों, अधिभारों तथा परिसीमा से मुक्त है। इस सम्पत्ति के अलावा न्यासकर्त्री के पास जीविकोपार्जन के लिए अन्य सम्पत्ति/साधन हैं।

यह कि न्यासकर्त्री सामाजिक कार्यों विशेषकर बच्चों, किशोरों एवं युवाओं में तर्कपरकता, वैज्ञानिक जीवनदृष्टि तथा मानवतावाद की भावना उत्पन्न करने के लिए विभिन्न तरह के कार्यों यथा बालकेन्द्र, बाल पुस्तकालय की स्थापना तथा संचालन एवं बाल साहित्य के प्रकाशन में संलग्न रही हैं।

यह कि न्यासकर्त्री अब वृद्ध हो गयी हैं तथा अक्सर बीमार रहती हैं। वृद्धावस्था तथा बीमारी की वजह से उपरोक्त सामाजिक कार्यों को जारी रखने में अपने आप को असमर्थ पा रही हैं। उनके निकट सम्बन्धियों की इन कार्यों में कोई रुचि नहीं है तथा न्यासकर्त्री को पूर्ण विश्वास है कि ये लोग इन कार्यों को कुशलतापूर्वक जारी रखने तथा विस्तारित करने में सक्षम नहीं हैं।

यह कि न्यासकर्त्री के पुत्र श्री अरिहंत जैन का युवावस्था में ही सन् 1989 में आकस्मिक निधन हो गया। स्वर्गीय अरिहंत अत्यन्त संवेदनशील, मेधावी और सामाजिक सरोकारों वाले युवक थे।

यह कि वर्तमान में न्यासकर्त्री की दो पुत्रियाँ हैं जो बालिग व शादीशुदा हैं तथा वे अपने-अपने पतियों के साथ ससुराल में सुखी-सम्पन्न जीवन बिता रही हैं। उनका उपरोक्त वर्णित सम्पत्ति से कोई वास्ता नहीं है और न ही भविष्य में उत्तराधिकार/अन्य किसी रूप में उनका उक्त सम्पत्ति से कोई वास्ता रहेगा।

यह कि (अ) न्यासकर्त्री उक्त सम्पत्ति, जिसका विवरण संलग्न परिशिष्ट में वर्णित है, का अपने स्वर्गीय पुत्र श्री अरिहंत की स्मृति में एक लोक धर्मार्थ न्यास स्थापित करना चाहती हैं। (ब) न्यासकर्त्री के निवेदन पर विलेख में उल्लिखित व्यक्ति, जो कि पहले से ही न्यासकर्त्री के समस्त सामाजिक सांस्कृतिक कार्यों में सहयोगी रहे हैं, प्रथम न्यासीगण के रूप में कार्य करने के लिए सहमत हैं। यह न्यास निम्नलिखित प्रकार से साक्ष्यांकित और घोषित है :
1.  न्यास की स्थापना
उपरोक्त आकांक्षा को मूर्त रूप देने के लिए न्यासकर्त्री उक्त मकान का न्यास स्थापित करती हैं तथा घोषणा करती हैं कि उक्त मकान का स्वामित्व अन्य सभी अधिकारों-स्वत्वाधिकारों या और जो भी हो के साथ न्यासीगण को सदैव के लिए हस्तान्तरित किया जाता है और उक्त को उनमें निहित किया जाता है और न्यासीगण इस सम्पत्ति का उपयोग न्यास के उद्देश्यों (अनुच्छेद-4), जो कि आयकर अधिनियम 1961 की धारा 2 (15) की मंशा के अनुरूप हैं, की पूर्ति के लिए करेंगे।
2.  न्यास का नाम:
न्यास का नाम अरिहंत ट्रस्ट होगा।
3.  न्यास का प्रधान कार्यालय
न्यास का प्रधान कार्यालय मुख्य सड़क, बड़ा बाज़ार सुल्तानगंज-४६४८८१ में स्थित होगा।
4.  न्यास के उद्देश्य
न्यास के निम्नलिखित उद्देश्य होंगे -
(i)           समाज के बच्चों, किशोरों और युवा पीढ़ी के भीतर तर्कपरकता, वैज्ञानिक जीवन दृष्टि तथा सामूहिकता, समता, जनकल्याण और मानवतावाद की भावना पैदा करने के लिए विविध किस्म के सांस्कृतिक-शैक्षिक-सामाजिक कार्यों का संचालन न्यास का बुनियादी उद्देश्य होगा। यह बुनियादी उद्देश्य हर हाल में अपरिवर्तनीय होगा।
(ii)           न्यास द्वारा (अ) एक बाल पत्रिका का नियमित प्रकाशन किया जायेगा, (ब) पुस्तकों एवं पुस्तिकाओं का प्रकाशन किया जायेगा और (स) चित्रों-उद्धरणों के पोस्टरों का प्रकाशन किया जायेगा। उपरोक्त सभी प्रकाशन अव्यावसायिक होंगे।
(iii)        नई पीढ़ी की रचनात्मक प्रतिभा को प्रोत्साहन देने के लिए न्यास समय-समय पर निबन्ध प्रतियोगिता, रचनात्मक लेखन प्रतियोगिता, भाषण प्रतियोगिता, नाटक प्रतियोगिता तथा गायन प्रतियोगिता आदि कार्यक्रमों का आयोजन करेगा।
(iv)        न्यास समय-समय पर बच्चों, किशोरों और युवाओं के सांस्कृतिक कार्यशालाओं, शिविरों और शैक्षिक-सांस्कृतिक भ्रमण कार्यक्रमों का आयोजन करेगा।
(v)          न्यास नई पीढ़ी के सांस्कृतिक स्तरोन्नयन और ज्ञानार्जन के लिए एक पुस्तकालय एवं वाचनालय का संचालन करेगा।
(vi)        न्यास समय-समय पर बाल साहित्य के लेखकों और संस्कृतिकर्मियों को आमन्त्रित करके संगोष्ठियों और कार्यशालाओं का आयोजन करेगा।
(vii)      न्यास के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु आवश्यक साहित्य के प्रकाशन के लिए एक मुद्रण प्रतिष्ठान (प्रिण्टिंग प्रेस) भी स्थापित किया जायेगा। यह प्रतिष्ठान भी अव्यावसायिक होगा।
(viii)     न्यास समान उद्देश्यों को लेकर कार्यरत संस्थाओं से सहयोग लेगा तथा उनको सहयोग करेगा।
5.  न्यासीगण
(अ)    निम्निलिखित व्यक्ति प्रथम न्यासीगण होंगे –
(i) श्रीमती कमला जैन पत्नी स्व. श्री जय नारायण जैन, नि. मुख्य सड़क, बड़ा बाज़ार सुल्तानगंज
(ii) श्रीमती कलश पत्नी श्री एस.पी. सिन्हा, नि. एमआईजी-134, राप्तीनगर, फेज-1, बेगमगंज
(iii) श्री बाहुबली जैन  पुत्र श्री के.सी. जैन, नि. 69, बाबा का पुरवा, पेपरमिल रोड, निशातगंज, सुल्तानगंज
(iv) श्री सत्यम जैन पुत्र श्री लाल बहादुर जैन, नि. 81, समाचार अपार्टमेण्ट, मयूर विहार, फेज-1, दिल्ली
(v) श्रीमती मीनाक्षी पत्नी श्री अरविन्द जैन, नि. संस्कृति कुटीर, कल्याणपुर, बेगमगंज
(vi) श्री रामबाबू पुत्र श्री बालगोविन्द जैन, नि. ई-III, 551, सेक्टर-जे, अलीगंज, सुल्तानगंज
(vii) श्री विजय शंकर जैन पुत्र श्री रामबदन जैन, नि. ग्राम-तारा, पोस्ट-सितारा, जिला-रायसेन
(ब)   न्यासीगण की संख्या कम से कम सात होगी। आवश्यकतानुसार ऐसे व्यक्ति/व्यक्तियों, जो कि न्यास के उद्देश्यों से पूर्णतया सहमत हों तथा न्यास के कार्यों में सक्रिय भागीदारी के लिए वचनबद्ध हो, की न्यासी के रूप में न्यासी मण्डल के दो तिहाई बहुमत द्वारा नियुक्त की जा सकती है।
(स) श्रीमती कमला जैन न्यास की आजीवन अध्यक्षा होंगी। सचिव एवं कोषाध्यक्ष का चुनाव न्यासीगण अपने बीच से बहुमत द्वारा करेंगे। श्रीमती कमला जैन के बाद अध्यक्ष पद का भी चुनाव न्यासीमण्डल अपने बीच से बहुमत द्वारा करेगा।
6. न्यास का प्रबन्धन
(i) न्यास के प्रबन्धन, न्यास की सम्पत्ति पर नियन्त्रण रखने तथा न्यास के समस्त कारोबार के संचालन के समस्त अधिकार-प्राधिकार न्यासीगण में निहित होंगे। न्यासियों के लिए यह विधिसम्मत होगा कि वे समय-समय पर न्यास के कुशल प्रबन्धन एवं प्रशासन के लिए नियम बनायें बशर्ते कि ये नियम आयकर अधिनियम 1961 की धारा 2(15), 11 और 13 और 80-जी के प्राविधानों के अनुकूल हों।
(ii) न्यास के कुशल प्रबन्धन, आय-व्यय के हिसाब-किताब तथा अन्य कार्यों के संचालन हेतु न्यासमण्डल की वर्ष में कम से कम एक बार बैठक होगी।
(iii) सभी बैठकों के लिए कोरम पूरा करने हेतु न्यासी मण्डल के दो-तिहाई सदस्यों की उपस्थिति अनिवार्य होगी।
(iv) बैठकों की कार्यवाही कार्यवृत्ति पुस्तिका में दर्ज की जायेगी।
(v) जनचेतना पुस्तक प्रतिष्ठान, जो कि न्यासकर्त्री के मकान के प्रथम तल पर स्थित है और जो प्रगतिशील साहित्य के वितरण एवं विक्रय के साथ ही न्यासकर्त्री द्वारा प्रकाशित बाल पत्रिका एवं अन्य साहित्य के वितरण एवं मुद्रण-प्रबन्धन का काम भी करता रहा है, न्यास द्वारा प्रकाशित पत्रिका एवं समस्त साहित्य के मुद्रण-प्रबन्धन और वितरण का काम करेगा तथा पूर्व की भाँति न्यासकर्त्री के मकान के प्रथम तल पर स्थित रहेगा। न्यासकर्त्री के मकान, जो कि अब न्यास की सम्पत्ति है, के प्रथम तल के जिस भाग पर जनचेतना स्थित है वह भाग मानचित्र में से दर्शाया गया है।
(vi) न्यास का मुद्रण प्रतिष्ठान अन्य संस्थानों-प्रतिष्ठानों की विविध सामग्री भी मुद्रित कर सकता है। मुद्रण से प्राप्त होने वाली आय का इस्तेमाल न्यास के कार्यों में किया जायेगा।
6.  न्यासीगण के अधिकार एवं कर्तव्य
(i)           न्यासीगण को न्यासकोष प्रबन्धन व न्यास के कार्यों के सम्पादन हेतु आर्थिक स्रोत-संसाधन जुटाने तथा व्यय आदि का अधिकार होगा।
(ii)          न्यासीगण को न्यास के वित्तीय कार्यों के संचालन हेतु आवश्यकतानुसार बैंक खाते खोलने का अधिकार होगा।
(iii)        न्यास के हित में तथा उसकी प्रगति और विस्तार के लिए न्यासीगण को न्यासीमण्डल के दो तिहाई बहुमत से चल/अचल सम्पत्तियों-परिसम्पत्तियों का क्रय-विक्रय करने, पट्टे पर लेने-देने, भवन निर्माण, ट्रस्ट भवनों के पुनरुद्धार व विकास करने का अधिकार होगा।
(iv)        न्यास की सम्पत्तियों व अन्य के रक्षण, संरक्षण व अनुरक्षण हेतु वाद दायर करने/लड़ने तथा अन्य किसी भी प्रकार की क़ानूनी कार्रवाई करने का अधिकार न्यासीगण के पास होगा।
(v)         न्यास के कार्यों हेतु न्यास की सम्पत्तियों-परिसम्पत्तियों को गिरवी रखकर बैंक या दूसरे वित्तीय संस्थानों अथवा अन्य उचित तरीव़फे से ऋण लेने का अधिकार न्यासीगण को होगा।
(vi)        न्यासीगण को आवश्यकतानुसार न्यास के कार्यों के सम्पादन हेतु नियमित/संविदा के आधार पर कर्मचारी रखने का अधिकार होगा।
(vii)      न्यास निकाय (Trust Corpus) के विस्तार हेतु न्यासीगण को न्यासकर्त्री/व्यक्ति/व्यक्तियों से दान, स्वैच्छिक सहयोग, उपहार, चल/अचल सम्पत्तियों के वसीयत, मासिक अथवा वार्षिक चन्दा आमन्त्रित करने व प्राप्त करने का अधिकार होगा। न्यास केन्द्र अथवा राज्य सरकारों से, सरकारी विभागों एवं संस्थाओं से, औद्योगिक-व्यावसायिक घरानों से, बहुराष्ट्रीय कम्पनियों से, विदेशी फण्डिंग एजेंसियों से तथा संसदीय राजनीतिक पार्टियों से किसी भी प्रकार का अनुदान या वित्तीय सहयोग नहीं लेगा।
(viii)     न्यास को किसी भी स्रोत से होने वाली समस्त आय का उपयोग न्यास के कार्यों व न्यास के विस्तार में करने का न्यासीगण को अधिकार होगा।
(ix)        न्यास के आधारभूत उद्देश्य को अपरिवर्तनीय रखते हुए न्यासीगण अन्य उद्देश्यों को, जो कि आधारभूत उद्देश्य से समानता रखते हों, जोड़ सकते हैं। इसके लिए न्यासीमण्डल के दो तिहाई बहुमत की स्वीकृति अनिवार्य होगी।
(x)         न्यास की प्रगति एवं विस्तार के लिए बुनियादी फैसले न्यासीगण न्यासीमण्डल के दो तिहाई बहुमत से ही लेंगे तथा उनके द्वारा लिया गया फैसला अन्तिम होगा।
8. न्यास के लिए वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च तक होगा। न्यासीगण द्वारा न्यास के अन्तर्गत की गयी समस्त प्राप्तियों-अदायगियों को उचित खातों में दर्ज करते हुए, प्राप्ति-अदायगी खाता व आय-व्यय खाता तैयार कर प्रत्येक वर्ष के 30 अप्रैल तक वित्तीय पक्का-चिट्ठा (Balance Sheet) तैयार करना होगा। पक्का-चिट्ठा की विधिवत लेखा-परीक्षा मान्यता प्राप्त चार्टर्ड एकाउण्टेण्ट से कराना होगा।
9. न्यास की सम्पत्तियों-परिसम्पत्तियों से न्यासीगण को या किसी भी अन्य व्यक्ति को किसी भी तरह का निजी लाभ लेने का अधिकार नहीं होगा। न्यास के बुनियादी उद्देश्यों की पूर्ति में न्यासीमण्डल की अक्षमता के कारण न्यास के विघटन अथवा समापन की स्थिति में न्यास की सम्पत्तियों-परिसम्पत्तियों का बँटवारा किसी भी सूरत में न्यासियों या उनके किसी भी प्रकार के वारिसों के बीच नहीं होगा, बल्कि उन सम्पत्तियों-परिसम्पत्तियों को अन्य किसी ऐसे न्यास या समिति को स्थानान्तरित कर दिया जायेगा जिसके उद्देश्य न्यास के उद्देश्यों के अनुरूप हों।
10. यह स्थापित न्यास अटल है।
11. न्यास सम्पत्ति यथा मकान जिसका भूखण्ड क्षेत्रफल 2484 वर्ग फुट या 230.855 वर्ग मीटर है का बाज़ार मूल्य रु. 3500 प्रति वर्ग मीटर + रु. 350.00 (10 प्रतिशत अतिरिक्त, 30 फूट चैड़ी सड़क पर स्थित होने के कारण) प्रति वर्ग मीटर की दर से रु. 8,88,751.75 है। भूतल निर्मित क्षेत्रफल 1384.19 वर्गफुट या 128.642 वर्ग मीटर की बाज़ार क़ीमत रु. 3500 प्रति वर्ग मीटर की दर से रु. 4,50,247.00 है तथा प्रथम तल निर्मित क्षेत्रफल 955.57 वर्ग फुट या 88.807 वर्ग मीटर की बाज़ार क़ीमत रु. 3500 प्रति वर्ग मीटर की दर से रु. 3,10,824.50 है। इस प्रकार मकान (न्यास सम्पत्ति) की कुल बाज़ार क़ीमत रु. 16,49,863.50 है।
अतएव यह न्यास विलेख लिख दिया गया कि समय पर काम आवे।
परिशिष्ट
विवरण न्यास सम्पत्ति

भवन संख्या 498क/3ड मय भूखण्ड संख्या क-१२०8, क्षेत्रफल 2484 वर्गफुट या 230.85 वर्गमीटर स्थित निरालानगर, सुल्तानगंज

जिसकी सीमाएँ निम्नवत हैं (भवन योजना का मानचित्र इस न्यास विलेख के साथ संलग्न है)।
पूरब - तीस फीट चौड़ी सड़क
पश्चिम - मकान नं. क-१२०, व क-१२०2
उत्तर - मकान नं. क-१२०9
दक्षिण - मकान नं. क-१२०7

सुल्तानगंज, दिनांक ८ अप्रैल २०१२ (श्री महावीर जयंती)
हस्ताक्षर न्यासकर्त्री
(कमला जैन)



गुरुवार, 11 अक्तूबर 2012

एक राष्ट्र जो स्वयं अपनी राष्ट्रभाषा से नजरें चुराता है...डा. विनोद बब्बर


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पिछले दिनों आस्ट्रेलिया की प्रधान मंत्री ने हमारे आत्मसम्मान को ललकारते हुए कहा, ‘भारत अंग्रेज शासित देश है।’ ऐसा तब हुआ जब एक समिति ने आस्ट्रेलिया - भारत संबंधों को और बेहतर बनाने के लिए सभी राजनयिकों को हिन्दी सीखने का सुझाव दिया। इस सुझाव को वहाँ की प्रधानमंत्री ने अस्वीकार करते हुए उक्त टिप्पणी की। सच ही तो है, जो राष्ट्र स्वयं अपनी राष्ट्रभाषा से नज़रें चुराता हैं उसे अपने स्वाभिमान को आहत कर देने वाली ऐसी टिप्पणियों के लिए तैयार रहना चाहिए। यह दुनिया का सबसे बड़ा आश्चर्य है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के इतने वर्ष बाद भी हम विदेशी भाषा अंग्रेजी की दासता से मुक्त नहीं हो पा रहे हैं। राजधानी दिल्ली का अधिकतर शासकीय कार्य विदेशी भाषा में होता है।

हर व्यक्ति के लिए आवश्यक डाईविंग लाइसेंस पर एक भी शब्द हिन्दी का नहीं। इस सप्ताह हिन्दी, पंजाबी, उर्दू अकादमी तथा साहित्य कला परिषद के संयुक्त तत्वावधान में हो रहे सांस्कृतिक कार्यक्रम के निमंत्रण पत्र में हिन्दी, पंजाबी अथवा उर्दू का एक भी शब्द नहीं। सब अंग्रेजी में होना क्या साबित करता है? क्या स्व-भाषा या राष्ट्रभाषा हिन्दी में कुछ कमी है? सत्य यह है कि हम हीनता-ग्रन्थि के शिकार होकर अनेक भ्रम व पूर्वाग्रह पाले हुए हैं। आज अंग्रेजी माध्यम के स्कूल लोकप्रिय हो रहे हैं। हमारे बच्चों को हिन्दी में गिनती भी नहीं आती। क्या यह हमारे लिए शर्मनाक बात नहीं है? दरअसल हम भ्रम का शिकार है कि अंग्रेजी अकेली अन्तरराष्ट्रीय भाषा है जो पूरी दुनिया में समझी व बोली जाती है। सच्चाई यह है कि संयुक्त राष्ट्र संघ में छह भाषायें चलती हैं। फ़्रेंच, अंग्रेजी, रूसी, चीनी, और अरबी।


भारत की कुल जनसंख्या में आधे से अधिक लोग हिन्दी बोलते समझते व लिखते हैं। अन्य विदेशी भाषियों से हिन्दी कई गुना अधिक बड़ी है फिर भी संयुक्त राष्ट्र संघ ने हिन्दी को स्वीकृति नहीं दी है तो इसका कारण हमारे प्रयासों का खोखलापन है, हिन्दी का नहीं। कितने लोग मानते हैं कि विश्व की अन्तरराष्ट्रीय डाक भाषा अंग्रेजी नहीं, फ्रेंच है। अंग्रेजी तो अपने देश इंग्लैंड में भी बड़ी मुश्किल से राष्ट्रभाषा बन सकी थी। फ्रांस में ऐसे 4000 शब्दों की सूची बनाई गई है जो उनकी भाषा में जबर्दस्ती घुस गए थे। एक विधेयक पारित कर इन शब्दों के फ्रेंच में इस्तेमाल रोकने का आदेश दिया गया।

मेरा स्वयं का अनुभव है कि फ्रांसवासियों में स्व-भाषा के प्रति ज़बरदस्त आदर है। वे अपनी भाषा को अंग्रेंजी से बेहतर मानते हैं। नीदरलैंड में अंग्रेजी हटाने के लिए एक आंदोलन हुआ क्योंकि उनके अनुसार डच भाषा व संस्कृति को इससे ख़तरा है। चीन, जापान, कोरिया और वियतनाम में सरकारी फरमान या आदेश अंग्रेजी में आने पर जनता तीव्र विरोध प्रकट करती है। जापानी भाषा दुनिया की सबसे कलिष्ट है। उसकी लिपि में 5000 से अधिक चिन्ह हैं। लेकिन उसके बावजूद वे हर कार्य अपनी भाषा में ही करना पसंद करते हैं।

अंग्रेजी के बिना ही जापान ने ज़बरदस्त उन्नति की है। उसके इलैक्ट्रॉनिक सामान व उपकरण बनाने में विश्व में सर्वोच्च स्थान प्राप्त देश है जिसके माल की खपत हर जगह है। यही दशा चीन की भी है, जो आज सारी दुनिया के बाजारों पर कब्जा जमा रहा है। अनेक देशों जिनमें लीबिया, इराक व बांग्लादेश शामिल है ने एक झटके में अंग्रेजी को निकाल बाहर कर दिया।


कर्नल गद्दाफी ने तो सेना को छह मास में अंग्रेजी हटाने का आदेश दे दिया। ईराक के पिछले शासक ने तो यहाँ तक कह दिया था कि जिसे अंग्रेजी पढ़नी हो वे ईराक छोड़ दें। बांग्लादेश ने ईसाई मिशनरी के संदर्भ में कहा कि इनकी अंग्रेजी से हमारी बंगाली भाषा को खतरा है। माओत्से तुंग ने सत्ता पर काबिज होते ही पूरे चीन में एक ही चीनी भाषा लागू कर दी, जबकि पहले वहां भी 6-7 क्षेत्रीय भाषाएं थी। एक चीनी भाषा होने के कारण भाषायी एकता होने से सभी चीनी स्वयं को एक सूत्र में जुड़े अनुभव करते हैं। स्पष्ट है कि अंग्रेजी कोई सर्वसम्मत अंतर्राष्ट्रीय भाषा नहीं है, जैसा कि हम समझते हैं। यह भी सभी को ज्ञात है कि अंग्रेजी वैज्ञानिक भाषा भी नहीं है। स्वयं अंग्रेज साहित्यकार बर्नाड शा इसे अराजक भाषा घोषित कर चुके हैं क्योंकि हर ध्वनि के लिए कोई तयशुदा शब्द नहीं है। इसके विपरित हिन्दी पूर्णतः वैज्ञानिक भाषा है। विदेशी भाषा की गुलामी अनावश्यक है। जो लोग यह तर्क देते है कि बेहतर क्षमता के लिए अंग्रेजी आवश्यक है उन्हें कौन समझाये कि तमिलनाडु में तीन मुख्यमंत्री सर्वश्री कामराज, एम.जी.रामचंद्रन व करूणनिधि को अंग्रेंजी का ज्ञान नहीं था तो भी उनका काल किसी भी तरह से कमतर नहीं कहा जा सकता।



कुछ लोग अंग्रेंजी को बनाये रखने के लिए क्षेत्रीय भाषाओं को हिन्दी से लड़ाने की कोशिश कर रहे हैं जबकि तथ्य यह है कि दोनों एक दूसरे की पूरक है। यदि क्षेत्रीय भाषाओं को खतरा है तो विदेशी भाषा से है। राष्ट्रभाषा सम्पूर्ण राष्ट्र के हृदयों को जोड़ती है। सम्पर्क भाषा बनकर आपसी संबंध सुदृढ़ बनाती है। हिंदी पूरे भारत की भाषा है। वह साहित्य की जननी, सभ्यता की पोषिका एवं संस्कृति की प्रेरणा है। श्री गोपालसिंह नेपाली ने एक जगह कहा है - हिंदी में गुजराती का संजीवन है, मराठी का चुहल (विनोद) है, कन्नड का माधुर्य है एवं है संस्कृत का अजस्र स्रोत। प्राकृत ने इसका श्रृंगार किया है और उर्दू ने इसके हाथों में मेंहदी लगाई है। यह आर्यों के स्वरों में गाती है और अनार्यों के ताल पर नाचती है। हिंदी राष्ट्रभाषा है। वस्तुतः हिंदी एक परंपरा का नाम है, एक सततवाहिनी सरिता का नाम है, जिसमें असंख्य नद-नालों की अंजलियां समर्पित होती रहती हैं, जिसमें पूरे भारत के प्राण तरंगित होते रहते हैं।’ हिन्दी को सबसे ज्यादा प्रोत्साहन अहिन्दीभाषियों ने दिया। 1918 में बंगाली लेखक नलिनी मोहन सान्याल ने लंदन विश्वविद्यालय में हिन्दी में शोध् ग्रंथ प्रस्तुत किया। ब्रह्म समाज के नेता बंगला-भाषी केशवचंद्र सेन से लेकर गुजराती भाषा-भाषी स्वामी दयानंद सरस्वती ने जनता के बीच जाने के लिए जन-भाषा हिन्दी सीखने का आग्रह किया। गुजराती भाषी महात्मा गांधी, मराठी-भाषी काका कालेलकर ने सारे भारत में घूम-घूमकर हिन्दी का प्रचार-प्रसार किया।



नेताजी सुभाषचंद्र बोस की आजाद हिन्द फौज की भाषा हिन्दी ही थी। महर्षि अरविंद घोष हिन्दी-प्रचार को स्वाधीनता-संग्राम का एक अंग मानते थे। न्यायमूर्ति श्री शारदाचरण मित्र कहा करते थे- यद्यपि मैं बंगाली हूं तथापि इस वृद्धावस्था में मेरे लिए वह गौरव का दिन होगा जिस दिन मैं सारे भारतवासियों के साथ हिन्दी में वार्तालाप करूंगा।’ बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय और ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने भी हिन्दी का समर्थन किया था। आज भी तमिलनाडू निवासी डॉ. बालशौरि रेड्डी से पंजाब के डॉ. हरमहेन्द्र सिह बेदी तक, जम्मू-कश्मीर के डॉ. चमनलाल सप्रू से शिलांग के अकेला भाई तक साहित्य के माध्यम से हिन्दी सेवा में सक्रिय है। वर्धा में स्थापित महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय जिसके वर्तमान कुलपति डा.गोपीनाथन मलयालम भाषी है, इस दिशा में बहुत महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है। दुनिया के पचास से अधिक देशों हिन्दी में पठन-पाठन की सुविधा है। अनेक देश हिंदी कार्यक्रम प्रसारित कर रहे हैं, जिनमें बीबीसी, यूएई क़े हम एफ-एम, जर्मनी के डॉयचे वेले, जापान के एनएचके वर्ल्ड और चीन के चाइना रेडियो इंटरनेशनल की हिंदी सेवा विशेष रूप से उल्लेखनीय है। हिन्दी की वर्तमान दशा के लिए हमारी शिक्षा पद्धति और शासन व्यवस्था-दोनों जिम्मेदार हैं।



अगर देश पर हावी अंग्रेजियत को हटाना है तो शिक्षा पद्धति में आमूलचूल परिवर्तन लाना होगा। पहली से लेकर 10 कक्षा तक की शिक्षा से भारतीय भाषाओं का प्रयोग अनिवार्य करना होगा। विज्ञान, भूगोल आदि की पढ़ाई मातृभाषा में ही कराने का प्रावधान करना होगा। उसके बाद भी अंग्रेजी को एक अतिरिक्त विषय के रूप में पढ़ाया जाना चाहिए। जब एक व्यक्ति अपनी भाषा में प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करेगा, तो उस भाषा के प्रति उसका मोह और सम्मान आजीवन बना रहेगा। हिन्दी की मौजूदा स्थिति के लिए प्रशासन भी कम दोषी नहीं है। संसद से लेकर निम्न पदों तक सभी कार्य अंग्रेजी भाषा में किये जाते हैं। क्या संसद में हिन्दी भाषा में काम-काज नहीं यिका जा सकता? तर्क दिया जाता है कि सभी लोग हिन्दी नहीं जानते। क्या कभी उनसे पूछा गया है कि सभी लोग अंग्रेजी भी नहीं जानते।



अंग्रेजी जानने वालों का प्रतिशत हिन्दी भाषा जानने वालों से बेहद कम है, इस तथ्य को जानने के बाद भी मातृभाषा में काम क्यों नहीं किया जाता? अगर समस्या तेलुगू, बंगाली या अन्य क्षेत्रीय भाषाओं की है तो उनके लिए अनुवादक नियुक्त किये जा सकते हैं। सूचना प्रौद्योगिकी के विकास का इस्तेमाल बखूबी कर सकते हैं। हम भारतीयों को अपनी उस मानसिकता में बदलाव लाना होगा कि हिन्दी जानने वाले व्यक्ति का बौद्धिक स्तर अंग्रेजी भाषा जानने वाले व्यक्ति के बराबर नहीं हो सकता, वह शीर्ष पर नहीं पहुंच सकता। इस तरह की मानसिकता में बदलाव लाने की जिम्मेवारी सिर्फ सरकार की नहीं है। हिन्दी के प्रचार-प्रसार और सम्मान के लिए हम सभी को स्वयं आगे आना होगा। साल में एक बार ‘हिन्दी दिवस मनाने जैसे कर्मकाण्ड से ही हिन्दी को वह सम्मान नहीं मिल सकता, जिसकी वह हकदार है। आईए स्वयं से ही शुरूआत करें।

बुधवार, 3 अक्तूबर 2012

लीजिए पेश है हिंदी वर्तनी जाँच सहित एक शानदार, संपूर्ण हिंदी ऑफिस सूट - बिलकुल मुफ़्त!

लीजिए पेश है हिंदी वर्तनी जाँच

यूँ तो ओपनऑफ़िस के नवीनतम संस्करण इंस्टाल कर आप सेटिंग में जाकर हिंदी स्पेल चेक एक्सटेंशन जोड़कर उसमें भी हिंदी वर्तनी जांच की सुविधा जोड़ सकते हैं, मगर उसका वर्तनी जांच का शब्द संग्रह 85 हजार शब्दों का ही है और बहुत सारा उसमें गलत शब्द भी संग्रहित है. ऊपर से शब्दों का सुझाव देते समय उसमें डब्बे नजर आते हैं और समस्या बनी रहती है.

इस समस्या का समाधान उपलब्ध है. आपको  लिब्रे ऑफ़िस पोर्टेबल एडीशन का नवीनतम संस्करण डाउनलोड कर इंस्टाल करना होगा. परंतु इसमें भी हिंदी वर्तनी हेतु महज 15 हजार शब्द ही हैं. तो इसे हम वृहद, पौने दो लाख शब्दों के शब्द संग्रह से बदल कर बढ़िया हिंदी वर्तनी जांच युक्त ऑफ़िस सूट में बदल लेंगे. यह महज 2 आसान चरणों में संभव है.
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लिब्रे ऑफिस पोर्टेबल एडीशन डाउनलोड कर किसी फ़ोल्डर में इंस्टाल करें. पोर्टेबल एडीशन की खासियत यह है कि आप इसे पेन ड्राइव में कॉपी कर या किसी भी अन्य डिरेक्ट्री या फ़ोल्डर में कॉपी कर कहीं पर भी चला सकते हैं. बार बार इंस्टाल करने की जरूरत नहीं.

पोर्टेबल एडीशन यहाँ से डाउनलोड करें. लिब्रे ऑफ़िस आप विंडोज, मैक या लिनक्स किसी के लिए भी डाउनलोड कर सकते हैं. परंतु नीचे कड़ी विंडोज के लिए दी जा रही है -

यहाँ पर आपको इंस्टाल योग्य लिब्रे ऑफिस तथा पोर्टेबल एडीशन दोनों को डाउनलोड करने के विकल्प मिलेंगे. आप चाहें तो इंस्टाल वर्जन भी डाउनलोड कर सकते हैं.
पोर्टेबल एडीशन का डायरेक्ट डाउनलोड लिंक है -

डाउनलोड के बाद इस फ़ाइल को चला कर किसी फ़ोल्डर में इंस्टाल करें. इंस्टालेशन सेटिंग डिफ़ॉल्ट (मल्टीलिंग्वल ही) रहने दें, और कोई परिवर्तन न करें.

अब आपको इसका  हिंदी वर्तनी जांच का शब्द संग्रह जो कि 15 हजार शब्दों वाला है उसे बदल कर पौने दो लाख शब्दों वाले शब्द संग्रह से बदलना है. इसके लिए नीचे दिए गए चरण अनुसार करें -
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फ़ाइल hi_IN.dic इस कड़ी से डाउनलोड करें -
ऊपर की लिंक काम न करे तो नीचे दी गई कड़ी पर जाएं और वहाँ से hi_IN.dic फ़ाइल डाउनलोड करें-
अब इस फ़ाइल को लिब्रे ऑफ़िस की फ़ाइल से बदलना है.
लिब्रे ऑफिस के पोर्टेबल एडीशन में यह फ़ाइल आपके चुने गए फ़ोल्डर में कुछ इस प्रकार होगा -
\LibreOfficePortable\App\libreoffice\share\extensions\dict-hi
फ़ोल्डर dict-hi के भीतर hi_IN.dic फ़ाइल है. इसे हटा दें और ऊपर लिंक से डाउनलोड किए इसी नाम की फ़ाइल वहाँ कॉपी कर दें.
अब आप लिब्रे ऑफिस का कोई भी एप्लिकेशन चलाएं - जैसे कि लिब्रे ऑफ़िस राइटर. और वहां हिंदी में ऑन - द - फ्लाई वर्तनी जांच का भरपूर लाभ लें.
यदि किसी शब्द की वर्तनी गलत दिखती है (लाल रंग से रेखांकित होती है) तो आप उस शब्द पर दायाँ क्लिक कर सही वर्तनी का विकल्प देख सकते हैं, और चुन सकते हैं या फिर अपने शब्द संग्रह में जोड़ सकते हैं.
आप इस लिब्रे ऑफ़िस का यूआई हिंदी में भी कर सकते हैं - सेटिंग में जाकर डिफ़ॉल्ट अंग्रेजी को हिंदी में बदल लें - जैसा कि इस स्क्रीन शॉट में दिखाया गया है -
और इस तरह यह आपके लिए एक संपूर्ण ऑफ़िस सूट है - खालिस हिंदी में. और हाँ. इसमें हिंदी / अंग्रेज़ी द्विभाषी स्पेल चेक की एक साथ सुविधा भी मिलती है.
लिब्रे ऑफ़िस आम उपयोग के लिए निःशुल्क जारी किया जाता है. इसका हिंदी स्पेल चेक शब्द संग्रह भी निःशुल्क उपयोग के लिए जारी किया गया है. शब्द संग्रह में योगदान कर्ताओं के नाम यहाँ देखें.


पौने दो लाख शब्दों को बढ़ाने व उन्हें शुद्ध करने के प्रयास जारी हैं ताकि आपको एक परिपूर्ण हिंदी वर्तनी जांच की सुविधा मिले. शब्द संग्रह का परिपूर्ण, अधिक शुद्ध, संशोधित नया संस्करण शीघ्र ही जारी किया जाएगा. इसके लिए इन पृष्ठों को देखते रहें.