मुंबई. 25 मार्च 2020.
भारत सरकार के विभाग किसी आपदा को भी अंग्रेजी के विस्तार और विकास के मौके की तरह इस्तेमाल करते हैं। इस संबंध में एक जागरुक व सामाजिक कार्यकर्ता विधि जैन ने स्वास्थ्य मंत्रालय, लोक सभा अध्यक्ष, उपराष्ट्रपति व राष्ट्रपति को पत्र में कहा है कि सरकार के संवेदना शून्य अधिकारी अंग्रेजी की गुलामी में इतने मस्त हैं कि भयावह रोग से नागरिकों के बचाव में भी भाषाई भेदभाव कर रहे हैं।
कोरोना विषाणु से भारत में भी लोगों की मौत और उसके चपेट में आने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। किसी भी साधारण इंसान को सावधानी बरतने के लिए लगता है कि उसे भी कोरोना विषाणु और उसके चपेट में आने के लक्षणों को जान लेना चाहिए। लेकिन वह इसके लिए कहां जाए?
सीधा सा जवाब मिलता है कि स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट पर अवश्य जवाब मिलेगा। विधि जैन मध्यम वर्ग की एक महिला हैं। उन्होंने भी भरोसा किया कि भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट पर जाकर कोरोना विषाणु के बारे में और उसके खतरे के बारे में जरूर जानकारी मिलेगी। लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी। उन्होंने पूरी वेबसाइट खंगाल मारी ताकि उन्हें कोरोना विषाणु के खतरों के बारे मे पढ़ने और सुनने को मिल सके, लेकिन सिर्फ निराशा मिली।
दरअसल विधि जैन एक सक्रिय भारतीय भाषासेवी हैं और पिछले 10 वर्षों से जैनाचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की प्रेरणा से भारतीय भाषाओं के लिए निरंतर संघर्ष कर रही हैं। जब उन्होंने वेबसाइट खंगाला तो उन्हें वहां हिंदी में आधिकारिक जानकारियां नहीं मिली। हालांकि, कहने को हिंदी भारत सरकार की राजभाषा है। इस अनुभव के बाद विधि जैन ने भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्री से पूछा कि क्या कोरोना विषाणु केवल अंग्रेजी जानने वालों को होता है? क्या भारत में कोरोना विषाणु उन्हें चपेट में नहीं लेता है, जो अपने देश की भाषाओं को जानते हैं?
विधि जैन ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव को एक पत्र लिखकर ये सवाल पूछे हैं। उसमें उन्होंने संयुक्त सचिव को यह जानकारी दी है कि स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट पर कोरोना विषाणु के संबंध में नागरिकों को जो भी सुझाव, सलाह और निर्देश दिए गए हैं, वे केवल अंग्रेजी में ही हैं। आखिर ऐसा क्यों? विधि जैन ने वेबसाइट पर कोरोना से संबंधी जितने भी लिंक दिए गए हैं, वो भी मंत्रालय को भेजा है।
इनमें केवल एक पोस्टर है जिसमें बताया गया कि कोरोना विषाणु से बचाव के लिए क्या करें और क्या नहीं करना चहिए। वे लिखती हैं कि, “मंत्रालय की वेबसाइट पर कोरोना विषाणु से संबंधित जानकारी केवल अंग्रेजी में दी गई है, मंत्रालय की प्रेस विज्ञप्तियां और दस्तावेज केवल अंग्रेजी में जारी किए जा रहे हैं। यात्रा परामर्श अंग्रेजी में जारी किए जा रहे हैं। क्या जिनको अंग्रेजी नहीं आती है, वे लोग कोरोना विषाणु से संक्रमित नहीं होंगे, इसलिए मंत्रालय के अधिकारी केवल अंग्रेजी में सूचनाएं जारी कर रहे हैं?
कोरोना विषाणु के चपेट में आने वालों की संख्या ज्यों ज्यों बढ़ रही है, भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालय और विभाग लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं। लेकिन हैरानी है कि वे सभी आधिकारिक सूचनाएँ, आदेश, विज्ञप्तियाँ अंग्रेजी में ही दिए जा रहे हैं। महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड के एक उपभोक्ता ने बताया कि 7 मार्च से 9 मार्च के बीच उन्हें कोरोना विषाणु के संबंध में चार एसएमएस मिले। लेकिन उनमें क्या लिखा है उन्हें समझना मुश्किल है क्योंकि वे सभी के सभी अंग्रेजी में हैं, जो कि उन्हें अच्छी तरह नहीं आती है। किसी ऐसे संदेश को समझ लेना असंभव है। भारत सरकार के ही एक अन्य विभाग ने एक संदेश भेजा है, वह भी अंग्रेजी में है।
दरअसल भारत सरकार के विभाग किसी आपदा को भी अंग्रेजी के विस्तार और विकास के मौके की तरह इस्तेमाल करते हैं। विधि जैन ने अपने पत्र में लिखा है, “भारत सरकार के संवेदना शून्य अधिकारी अंग्रेजी की गुलामी में इतने मस्त हैं कि इस भयावह रोग से नागरिकों के बचाव में भी भाषाई भेदभाव कर रहे हैं, सारी मशीनरी अंग्रेजी जानने वाले संभ्रांत लोगों के लिए काम कर रही है, यह शर्मनाक है।”
भारत में कोरोना विषाणु के तेजी से फैलने की लगातार खबरें आ रही हैं, लेकिन हिन्दी के अलावा अन्य भारतीय भाषाओं में भी कोरोना विषाणु से संबंधित जानकारियों और चेतावनी संदेशों का घोर अभाव हैं। केवल भारत सरकार का स्वास्थ्य मंत्रालय ही नहीं बल्कि राज्य सरकारों की तरफ से भी लोगों को उनकी भाषाओं में कोरोना से जुड़ी सलाह और जानकारियाँ नहीं मिल रही हैं।
कोरोना जैसी महामारी पैर पसार रही है परंतु भारत सरकार के सभी मंत्रालय, विभाग और संस्थान राजभाषा अधिनियम 1963 का उल्लंघन करते हुए प्रेस नोट, आदेश व अधिसूचनाएँ केवल अंग्रेजी में जारी कर रहे हैं, गत् 60 दिनों में कोरोना के संबंध में भारत सरकार के किसी भी मंत्रालय, विभाग और संस्थान ने हिन्दी में एक भी आधिकारिक दस्तावेज जारी नहीं किया।
विधि जैन ने बताया कि मैं इस संबंध में लगातार शिकायत कर रही हूँ पर अधिकारियों को आम जनता की शिकायतों से कोई लेना-देना नहीं है। लोक शिकायत पोर्टल पर 8 मार्च 2020 की शिकायत क्र. डीएचएलटीएच/ई/2020/01519, प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी गई 16
मार्च 202 की शिकायत क्र. पीएमओपीजी/ई/2020/0127172, रा जभाषा विभाग
के 23 मार्च 2020 के पत्र
और राष्ट्रपति सचिवालय को दायर की गई 25 मार्च 2020 की याचिका क्र. पीआरएसईसी/ई/2020/06079 पर अब तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है। अंग्रेजी न जानने वाले 97 प्रतिशत भारतीय नागरिकों के बीच गलत सूचनाएँ व अफवाहें फैल रही हैं।
विधि जैन व अनेक नागरिकों की लगातार शिकायतों के 16 दिनों बाद राजभाषा विभाग के एक अधिकारी ने स्वास्थ्य मंत्रालय को पत्र लिखा है। परंतु स्वास्थ्य मंत्रालय ने अभी भी हिन्दी में सूचनाएँ जारी करना प्रारंभ नहीं किया है।