अनुवाद

शुक्रवार, 22 मार्च 2013

छत्‍तीसगढ़ उच्‍च न्‍यायालय की वेबसाइट अब हिन्‍दी में उपलब्ध है

छत्‍तीसगढ़ उच्‍च न्‍यायालय के मुख्‍य न्‍यायाधिपति माननीय श्री न्यायमूर्ति यतीन्द्र सिंह जी के पदभार ग्रहण करते ही छत्‍तीसगढ़ के न्‍यायालयीन कार्यों  में तेजी से कसावट आई है एवं मुख्‍य न्‍यायाधिपति माननीय श्री न्यायमूर्ति यतीन्द्र सिंह जी ने व्‍यापक जनहित में आवश्‍यक न्‍यायिक एवं प्रशासनिक फेरबदल किये हैं।


इसी कड़ी में उन्‍होंनें सर्वप्रथम छत्‍तीसगढ़ उच्‍च न्‍यायालय के न्‍याय निर्णयों को ऑनलाइन करने का महत्‍वपूर्ण कार्य करवाया है। इस वेबसाइट में उन्‍होंने आरएसएस फीड के द्वारा महत्‍वपूर्ण निर्णय / ए.एफ.आर. एवं प्रशासनिक सूचनाएं प्रस्‍तुत करवा कर इसे त्‍वरित व सर्वसुलभ कर दिया है।

हिन्‍दी भाषा प्रेमियों के लिए अति प्रसन्‍नता की बात है कि अब उच्‍च न्‍यायालय की वेबसाइट में हिन्‍दी भाषा का भी विकल्‍प जुड़ गया है।

वर्षों से उच्‍च न्‍यायालय की वेबसाइट का उपयोग मात्र वादसूची देखने के लिए ही हो पा रहा था किन्‍तु अब यह देश के अन्‍य न्‍यायालयों की वेबसाइटों जैसी उपयोगी हो गई है।

आप भी देखें ...

किरायानामा / किराया अनुबंध पत्र



यह अनुबंध फ्लैट मालिक .............................. आ. .................................... निवासी ..................................आगे प्रथम पक्ष कहलायेगा तथा किरायेदार  ............... आ ........................................ निवासी .............................................................. जो आगे द्वितीय पक्ष कहलायेगा, के मध्य आज दिनांक ......... को निम्नानुसार लिखी गई :-


१. यह कि फ्लैट क्र. ..........शांतिनिकेतन, मालवीयनगर के तृतीय तल में स्थित है.

२. यह कि उक्त फ्लैट क्र. .......... को किरायेदार द्वितीय पक्ष नें निवास हेतु किराये पर लिया है जिसका किराया रु. .........../- अक्षरी .............. रु. मात्र माहवार होगा तथा किरायेदारी अंग्रेजी माह की पहली तारीख से शुरु होकर उसी माह की अंतिम तारीख को खत्म होगी.

३. यह कि द्वितीय पक्ष, प्रथम पक्ष को अग्रिम रुप से हर माह की पांच तारीख तक अनिवार्य रुप से चेक के द्वारा किराया पटा देगा. इस हेतु से द्वितीय पक्ष, प्रथम पक्ष को प्रत्येक माह के किराये की राशि के रुप में चेक क्र. ............................. से .............................. तक, बैंक ....................................., का चेक अग्रिम रुप से प्रदान कर रहा है . यदि किरायेदार द्वितीय पक्ष के द्वारा लगातार दो माह तक किराया का भुगतान नहीं किया जाता है तो प्रथम पक्ष फ्लैट मालिक को यह अधिकार होगा कि वह उक्त फ्लैट क्र. .......... को अपने कब्जे में ले लेगा ऐसी स्थिति में उस फ्लैट में रखे गये सामानों की किसी भी प्रकार की जिम्मेदारी प्रथम पक्ष की नहीं होगी इसमें द्वितीय पक्ष को कोई आपत्ति नहीं होगी और न ही वह कोई उजर या दावा कर सकेगा.

४. यह कि द्वितीय पक्ष उक्त फ्लैट क्र. ..........को निवास हेतु उपयोग में लायेगा तथा फ्लैट को बिना प्रथम पक्ष के लिखित रजामंदी के कोई तब्दीली नही करेगा, तब्दीली या तोड़फोड़ होने पर निष्कासन व नुकसानी का देनदार होगा .

५. यह कि द्वितीय पक्ष उक्त फ्लैट क्र. .......... को किसी अन्य को सबलेट नही कर सकेगा और न ही कोई भागीदारी या किसी अन्य प्रयोजन हेतु रखेगा और न ही वहां कोई ऐसा कार्य व्यवसाय करेगा जिससे कि प्रथम पक्ष को आपत्ति हो.

६. यह कि द्वितीय पक्ष उक्त फ्लैट क्र. ..........में लगे विद्युत कनेक्सन व फिक्चर एवं अन्य सामान जो प्रथम पक्ष के द्वारा उपलब्ध कराये गये हैं, में फेरबदल या तब्दीली नहीं कर सकेगा ऐसा करने के लिये उसे प्रथम पक्ष से अनुमति प्राप्त करना होगा.

७. यह कि उक्त फ्लैट क्र. ..........में लगे विद्युत मीटर का किरायेदारी अवधि का जो भी बिल आवेगा उसका भुगतान नियमित रुप से नियत समय में विद्युत मंडल को करना होगा . बिल का भुगतान नही करने पर जमा सुरक्षा राशि से उक्त बिल का भुगतान कर फ्लैट का कब्जा वापस ले लिया जावेगा.


८. यह किराये का अनुबंध ग्यारह माह के लिए प्रभावशील रहेगा जो कि .......................... से प्रारंभ होकर ................................. को समाप्त होगा, उपरोक्त ग्यारह माह पूर्ण होने के पूर्व द्वितीय पक्ष के अनुरोध पर यदि प्रथम पक्ष उक्त दुकान को पुन: द्वितीय पक्ष को किराये में देने हेतु राजी होगा तब द्वितीय पक्ष अगले ग्यारह माह के लिये नया अनुबंध करा कर किराये में ले सकता है .

९. यह कि प्रथम पक्ष जब भी उक्त फ्लैट क्र. ..........को खाली कराना चाहेगा तो एक माह की पूर्व नोटिस देकर उक्त फ्लैट को अपने आधिपत्य में ले सकता है ऐसी स्थिति में द्वितीय पक्ष उस समय तक देय किराया, विद्युत शुल्क व अन्य शुल्क प्रथम पक्ष को पटा देगा व उक्त फ्लैट का कब्जा प्रथम पक्ष को दे देगा. ऐसे ही जब भी द्वितीय पक्ष उक्त फ्लैट को खाली करना चाहेगा तब एक माह पूर्व नोटिस देकर समस्त देनदारियों को प्रदान कर फ्लैट खाली कर सकता है.

१०. यह कि द्वितीय पक्ष, प्रथम पक्ष एवं शांतिनिकेतन,परिसर प्रबंधन से हुये साफ सफाई एवं सुरक्षा, सुन्दरता संबंधी अनुबंध के नियम एवं शर्तों का पालन करेगा एवं समय-समय पर परिसर प्रबंधन द्वारा जारी किये गये निर्देशों का भी पालन करना पड़ेगा एवं इस हेतु निर्धारित किया गया मैंटिनेंस चार्ज की राशि का भुगतान परिसर प्रबंधन को प्रति माह करना होगा.

११. यह कि द्वितीय पक्ष किरायेदार नें प्रथम पक्ष को सुरक्षा राशि के रुप में रु. .............../- अक्षरी रुपये ..................... मात्र चेक क्र. ..................., बैंक ......................., दिनांक ........ के द्वारा भुगतान कर दिया है जिसे प्रथम पक्ष स्वीकार करता है जिस पर किसी भी प्रकार का ब्याज देय नहीं होगा, इस राशि को किरायेदारी की समाप्ती के बाद उक्त फ्लैट क्र. .......... के संबंध में किसी भी प्रकार की देनदारी को काटकर बचत राशि का भुगतान कर दिया जावेगा.

यह किराया अनुबंध दोनों पक्षों नें सोंच समझ कर तथा पूरे होशो हवाश में निम्नलिखित गवाहों के समक्ष लिख दिया ताकि वक्त पर काम आवे.

गवाह :-

प्रथम पक्ष

द्वितीय पक्ष

आरंभ संजीव at 7:45 AM http://img1.blogblog.com/img/icon18_email.gif

न्‍यासों का कराधान:



  • धर्मार्थ अथवा धार्मिक न्‍यास की कर योग्‍य आय का पता लगाना :-
    • न्‍यास की आय की परिकलना करना। यहां, ''आय'' में धर्मार्थ अथवा धार्मिक उद्देश्‍यों से पूर्णतया अथवा अंशतय सृजित किसी न्‍यास/संस्‍था द्वारा प्राप्‍त किया गया स्‍वैच्छिक अंशदान होता है। किसी न्‍यास/संस्था की आय की आयकर अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार परिकलना करना अपेक्षित है।
    • इस अधिनियम की धारा 11 और धारा 12 के अधीन आय छूट के भाग का पता लगाना न्‍यासों/संस्‍थानों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे छूट प्राप्‍त करने के लिए धारा 12 ए ए के अधीन स्‍वयं को पंजीकृत कराए। इसको न्‍यास/संस्‍था स्‍थापित करने की तारीख से एक वर्ष के भीतर फॉर्म 10  में लिखित रूप में आवेदन प्रस्‍तुत करके किया जाएगा। मुख्‍य रूप सेछूट से संबंधित प्रावधानों की योजना का निम्‍नानुसार सार प्रस्‍तुत किया जाएगा :-
      • न्‍यास को पूरी तरह से धर्मार्थ उद्देश्‍यों से सृजित किया जाएगा और न्‍यास का उद्देश्‍य धर्मार्थ उद्देश्‍य के लिए होना चाहिएजैसा कि इस अधिनियम के अधीन परिभाषित किया गया है।
      • न्‍यास को किसी विशेष धार्मिक समुदाय अथवा जाति के लाभ के लिए सृजित नहीं किया जाएगा।
      • न्‍यास को लाभ हेतु व्‍यवसाय करने के लिए सृजित नहीं किया जाएगा।
      • न्‍यास में लगाई गई संपत्तियों को न्‍यास में लगाया जाएगा। न्‍यास में केवल आय लगाए जाने की स्थिति मेंयह पर्याप्‍त नहीं होगा।
      • न्‍यास विलेख में यह प्रावधान होगा कि न्‍यास की आय अथवा न्‍यास में धारित संपत्ति को इस्‍तेमाल भारत में धर्मार्थ उद्देश्‍यों से किया जाएगा।
      • यह सुनिश्चित किया जाएगा कि न्‍यास की आय अथवा संपत्ति न्‍यासकर्ता अथवा उसके संबंधियों/अवस्‍थापकों के लाभ को सुनिश्चित नहीं करती है।
    • धर्मार्थ अथवा धार्मिक न्‍यासजो कर छूट के लिए अन्‍यथा पात्र होगाइस अधिनियम कीधारा 13 के अधीन इस छूट को छोड़ने के लिए दायी है। यह निम्‍नलिखित परिस्थितियों में लागू है :-
1.     जहां न्‍यास को 31 मार्च, 1962 के बाद सृजित किया गया हैवहां न्‍यास की आय का कोई भाग न्‍यास विलेख की शर्तों के अनुसार सीधे अथवा प्रत्‍यक्ष रूप से विशिष्‍ट श्रेणियों के व्‍यक्तियों जैसे कि न्‍यासकर्तान्‍यासी अथवा न्‍यास के प्रबंधकन्‍यास के पर्याप्‍त अंशदाता और ऐसे कर्ता के कोई संबंधीन्‍यासी आदि के लाभ को सुनिश्चित करता है।
2.     (ख) न्‍यास की किसी संपत्ति अथवा आय के किसी भाग का इस्‍तेमाल किया जाता है अथवा उसे विशिष्‍ट श्रेणियों के व्‍यक्तियों के लाभ के लिए प्रत्‍यक्ष अथवा अप्रत्‍यक्ष रूप से संबद्ध वर्ष के दौरान लागू किया जाता है।
3.     (ग) न्‍यास की निधियों (कुछ अपवादों सहित) को ऐसी निधियों के निवेश पैटर्न का उल्‍लंघन करते हुए निवेश किया जाता है।
जहां कोई धर्मार्थ अथवा धार्मिक न्‍यास उपर्युक्त (क) से (ग) में उल्लिखित परिस्थितियों में कर छूट छोड़ता है तो न्‍यास की अधि‍कतम सीमांत दर पर कर में प्रभारित किया जाएगा। न्‍यास आय के केवल उस भाग परजिस पर उसने उपर्युक्‍त परिस्थितियों के अधीनन कि न्‍यास की सम्‍पूर्ण आय परछूट छोड़ी है। अधिकतम सीमांत कर दर लगाएगा।
  • इसके अतिरिक्‍तइस अधिनियम के अन्‍य प्रावधान हैजो धर्मार्थ अथवा धार्मिक न्‍यासों की आय की कर योग्‍यता से संबंधित है। इन प्रावधानों का निम्‍नानुसार सार प्रस्‍तुत किया गया है :- 
    • यदि न्‍यास की कुल आय धारा 11 और धारा 12 के प्रावधानों का आशय दिए बिनाआयकर में प्रमार्य न्‍यूनतम राशि से अधिक हैतो धर्मार्थ अथवा धार्मिक न्‍यासों के न्‍यासियों द्वारा आय विवरणी [धारा 139(4 ए के अधीन)दायर करना। इसके साथ हीन्‍यास/संस्‍थाओं जिनकी आय को धारा 11 और धारा 12 के अधीन छूट प्राप्‍त हैसे विवरणी दायर करने की अपेक्षा भी की जाती है क्‍योंकि छूट हेतु निर्धारिती के दावे का निर्धारिती से संबद्ध सामग्री प्राप्‍त होने के पश्‍चात ही,आयकर विभाग द्वारा निर्णय लिया जाएगा।विभिन्‍न न्‍यासों/संस्‍थाओं के लेखाओं की लेखा परीक्षा करने के पश्‍चात फॉर्म 10 बीमें सनदी लेखाकारों द्वारा प्रस्‍तुत लेखा परीक्षा रिपोर्ट सहित आय विवरणी दायर की जाएगी।
    • ‘’प्रतिनिधित्‍व निर्धारिती’’ के रूप में न्‍यासियों की देयता [धारा 161 के अधीनजिसमें वे न्‍यास की आय के संबंध में उनकी प्रतिनिधित्‍व क्षमता में कर के लिए दायी है।
    • धारा 80 जी के अधीनकुछ निधियोंधर्मार्थ संस्‍थाओं आदि को दान के संबंध में कटौती (विशेष छूट) की जाती है। इस धारा के अधीन पात्र बनने के लिएधर्मार्थ न्‍यासों/संस्‍थाओं को फॉर्म 10 जी में उनको योगदान प्रस्‍तुत करके वैध प्रमाणपत्र प्राप्‍त करने की जरूरत होती है। इस फॉर्म के साथ निम्‍नलिखित दस्‍तावेज संलग्‍न किए जाएंगे :-
                                                                               i.            धारा 12  के अधीन प्रदान किए गए पंजीकरण की प्रति;
                                                                             ii.            उसे शुरू करने के समय से अथवा पिछले तीन वर्षों के दौरानजो भी कम होसंस्‍थाओं/निधि/न्‍यासों की गतिविधियों पर टिप्‍पणियां और
                                                                          iii.            उसे शुरू करने के समय से अथवा पिछले तीन वर्षों के दौरानजो भी कम होन्‍यास/संस्‍था के लेखाओं की प्रतियां।
    • संपदा कर अधिनियम की धारा 5 (i) के अधीन धार्मिक अथवा धर्मार्थ प्रकृति के सार्वजनिक उद्देश्‍यों से अन्‍य कानूनी बाध्‍यता अथवा न्‍यास के अधीन धारित सम्‍पत्तियों पर भी संपदा कर प्रभारित नहीं किया जाता है। तथापिकुछ मामलों मेंसंपदा के अधिनियम की धारा 21  में यह प्रावधान है कि न्‍यास की संपदा उस स्थिति में कर में प्रमार्य हैयदि संपत्ति किसी निजी व्‍यक्ति द्वारा धारित की गई हैजो अधिनियम को उद्देश्‍य से भारत का नागरिक है और भारत में आवासी है।
    • धर्मार्थ उद्देश्‍य से भारत में स्‍थापित संस्‍थाओं को किए गए दान के संबंध मेंदानकर्ताओं को आयकर से राहत दी गई है।
    • ये इस अधिनियम की धारा 10 के अधीन सार्वजनिक धर्मार्थ/धार्मिक न्‍यासों से संबंधित विशिष्‍ट प्रावधान है। इन न्‍यासों की आय कुल आय का भाग नहीं है अथवा ऐसे न्‍यासों की आय को आयकर से छूट है।
    • धर्मार्थ अथवा धार्मिक न्‍यास के न्‍यासियों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे आयकर अधिनियम की धारा 139  के प्रावधानों के अधीन स्‍थायी लेखा संख्‍या (पीएएन) आबंटित करने के लिए निर्धारित प्राधिकारी को आवेदन प्रस्‍तुत करें।
  • कुछ मामलों मेंधर्मार्थ न्‍यास की आयजिस पर धारा 11 और धारा 12 के अधीन छूट नहीं हैकर के अंतर्गत प्रमार्य होगीमानो कि वह व्‍यक्तियों के संघ (ए ओ पी) की आय हो :- 
    • धर्मार्थ अथवा धार्मिक उद्देश्‍यों से पूरी तरह से न्‍यास के अधीन धारित संपत्ति से आय;
    • बिना किसी निवेश के कि वे न्‍यास समूह का भाग होंगेस्‍वैच्छिक अंशदानअथवा
    • व्‍यवसाय का लाभ व नफ़ा प्राप्‍त करने वाले न्‍यास अथवा संस्‍था की आयजो न्‍यास का उद्देश्‍य प्राप्‍त करने के लिए प्रासंगिक हैं और अलग वही खाते का रखरखाव किया जाता है।



गुरुवार, 21 मार्च 2013

लोक सभा टेलीविजन चैनल एवं लोकसभा की आधिकारिक वेबसाइट

अनुच्छेद ३५१. हिंदी भाषा के विकास के लिए निदेश
संघ का यह कर्तव्य होगा कि वह हिंदी भाषा का प्रसार बढ़ाए, उसका विकास करे जिससे वह भारत की सामाजिक संस्कृति के सभी तत्वों की अभिव्यक्ति का माध्यम बन सके और उसकी प्रकृति में हस्तक्षेप किए बिना हिंदुस्तानी आठवीं अनुसूची में विनिर्दिष्ट भारत की अन्य भाषाओं में प्रयुक्त रूप, शैली और पदों को आत्मसात करते हुए और जहां आवश्यक या वांछनीय हो वहां उसके शब्द-भंडार के लिए मुख्यत: संस्कृत से और गौणत: अन्य भाषाओं से शब्द ग्रहण करते हुए उसकी समृद्धि सुनिश्चित करे।



प्रति,
श्रीमती मीरा कुमार
लोकसभा अध्यक्षा 
भारतीय संसद 
नई दिल्ली 

विषय: लोक सभा टेलीविजन चैनल द्वारा राजभाषा की उपेक्षा की शिकायत 

महोदया,
लोक सभा टेलीविजन चैनल का शुभारंभ भारत की जनता को लोस की कार्यवाही एवं लोस की गतिविधियों से अवगत कराने के लिए किया गया था, यह एक अच्छी बात है. देश को स्वतंत्र हुए ६४ वर्षों से अधिक समय बीत गया है. राजभाषा हिन्दी की उपेक्षा हर स्तर पर हो रही है और आम जनता पर चुपचाप अंग्रेजी थोपी जा रही है.

लोकसभा टीवी और लोकसभा की आधिकारिक वेबसाइट पर भी राजभाषा की निरंतर उपेक्षा की जा रही है. जब तक कोई आवाज़ नहीं उठाता, सुधार करने की सुध नहीं ली जाती इसलिए मैन आपके समक्ष अपनी शिकायत रख रहा हूँ और चूँकि आप लोकसभा की अध्यक्ष हैं आपके निर्देश पर मेरी शिकायत का निपटारा तुरंत हो सकता है, आपसे अनुरोध है कि लोकसभा, लोकसभा टीवी एवं लोकसभा की आधिकारिक वेबसाइट पर हिन्दी को प्रथम स्थान दिया जाये हर कार्यवाही में राजभाषा को अंग्रेजी से आगे रखा जाए और उसे प्राथमिकता दी जाए:

 लोकसभा टीवी से संबंधित मेरी शिकायत के बिंदु:

१. लोकसभा टीवी पर सदन की कार्यवाही के सीधे प्रसारण में 'स्क्रीन' पर केवल अंग्रेजी ही दिखाई देती है, स्क्रीन पर चलने वाली पट्टी, दिनांक, समय, सांसदों/ मंत्रियों के नाम पद आदि केवल अंग्रेजी में लिखे/प्रदर्शित किए जाते हैं, जो कि राजभाषा सम्बन्धी प्रावधानों का उल्लंघन है.
२. लोकसभा टीवी के हिन्दी कार्यक्रमों/समाचार आदि में कई बार अनावश्यक रूप अंग्रेजी के शब्दों को ठूँसा जा रहा है जबकि अनुच्छेद ३५१ कुछ और ही निदेश देता है.
३. लोकसभा टीवी की आधिकारिक वेबसाइट अंग्रेजी में पहले खुलती है और हिन्दी की वेबसाइट का विकल्प दिया गया है, जबकि राजभाषा हिन्दी है तो हिन्दी वेबसाइट ही पहले खुलनी चाहिए.
४. लोकसभा टीवी की आधिकारिक वेबसाइट पर अंग्रेजी का वर्चस्व है क्योंकि हिन्दी वेबसाइट पर प्रतिक्रिया भी आप हिन्दी में नहीं लिख सकते सिस्टम हिन्दी अक्षरों को स्वीकार ही नहीं करता, जैसे कि राजभाषा का प्रयोग निषिद्ध हो. इसी तरह हिन्दी वेबसाइट के कार्यक्रम समय तालिका टैब में कोई जानकारी नहीं डाली गयी पर अंग्रेजी का 'प्रोग्राम शेड्यूल' हमेशा अद्यतन रहता है. हिन्दी वेबसाइट पर भारत के राष्ट्रीय पोर्टल की लिंक भी अंग्रेजी वेबसाइट की दी गई है ना कि हिन्दी वेबसाइट की.
५. लोकसभा टीवी के कार्यक्रमों में अतिथियों उपस्थित व्यक्तियों अथवा प्रस्तोताओं के नाम आदि भी केवल अंग्रेजी में ही प्रदर्शित किये जाते हैं. यहाँ भी हिन्दी का प्रयोग वर्जित है.
६. लोकसभा टीवी के कार्यक्रमों के प्रसारण की समय तालिका जो एक पट्टी के रूप में चलती रहती है उसमें एक शब्द भी हिन्दी में प्रदर्शित नहीं किया जाता.

लोकसभा की आधिकारिक वेबसाइट से संबंधित मेरी शिकायत के बिंदु
१. लोकसभा की आधिकारिक वेबसाइट अंग्रेजी में पहले खुलती है और हिन्दी की वेबसाइट का विकल्प दिया गया है, जबकि राजभाषा हिन्दी है तो हिन्दी वेबसाइट ही पहले खुलनी चाहिए.
२. लोकसभा  की आधिकारिक वेबसाइट पर अंग्रेजी का वर्चस्व है क्योंकि हिन्दी वेबसाइट कुछ ऐसी जानकारियां उपलब्ध नहीं हैं जो कि अंग्रेजी वेबसाइट पर हैं , जैसे कि राजभाषा का प्रयोग निषिद्ध हो. इसी तरह हिन्दी वेबसाइट के नई घटनाएं  टैब को समय पर अद्यतन नहीं किया जाता पर अंग्रेजी का 'न्यू ईवेंट्सहमेशा अद्यतन रहता है. 

मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि लोकसभा टीवी और लोकसभा की वेबसाइट का प्रबंध करने वाले अधिकारियों को मेरी शिकायतों का निपटारा करने के निर्देश जारी करें।