सेवा में,
केन्द्रीय जन सूचना अधिकारी
ग्राहक सेवा विभाग
भारतीय रिज़र्व बैंक
केंद्रीय कार्यालय, पहली मंजिल,
अमर भवन, सर पीएम मार्ग
मुंबई– 400 001
विषय: सूचना का अधिकार
अधिनियम के अधीन आवेदन
महोदय,
हम जानना चाहते हैं कि राजभाषा को
प्रोत्साहन देने एवं भारत की आम जनता को उनकी अपनी भाषाओं में बैंकिंग और वित्त
सम्बन्धी सेवाएँ दिलाने के लिए भारत सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक कितने सजग व
तत्पर हैं? वैसे तो आधुनिक युग की सभी ऑनलाइन सेवाएँ केवल अंग्रेजी जानने वाले
मुट्ठीभर लोगों के लिए शुरू की करवाई जा रही हैं, सभी उच्चाधिकारी, भारतीय बैंक
संघ आदि को आम जनता की कठिनाई से कोई मतलब नहीं है अन्यथा आज ऑनलाइन सेवाएँ हिन्दी
सहित भारतीय भाषाओं में मिल रही होतीं. इसीलिए वित्तीय समावेशन केवल एक दिखावा है.
जब तक ग्राहक को उसकी भाषा में बैंकिंग
सेवाएँ नहीं मिलेंगी तो वो बैंक से जुड़ेगा ही क्यों? रिज़र्व बैंक ने आज तक
ग्राहकों को उनकी भाषा में सेवाएँ मिलें इसलिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया है और
सारे बैंक और वित्तीय संस्थान अंग्रेजी थोप रहे हैं. अंग्रेजी ना जानने वाले भारत
के ग्राहक किसी बैंक से जुड़ जाएँ तो अंग्रेजी के दम पर बैंक उसका शोषण करते ही
रहेंगे और उसे पता भी नहीं चलेगा. अतः निम्न प्रश्न जन सूचना अधिकार के अंतर्गत पूछे जाते हैं, कृपया 30 दिनों के अंदर हिन्दी में बिन्दुबार स्पष्ट उत्तर
देने की कृपा करें:
1.
वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए रिज़र्व बैंक कौन-सी मोबाइल
बैंकिंग सेवा निकट भविष्य में शुरू करने जा रहा है, जो उन बैंक ग्राहकों के लिए
होगी जो कि स्मार्टफोन (इंटरनेट और अन्य सुविधाओं से लैस मोबाइल फोन) का इस्तेमाल
नहीं करते हैं? (बिजनेस स्टैण्डर्ड हिन्दी में छपी खबर संलग्न है)
2.
उक्त सेवा को किस-किस भारतीय भाषा में उपलब्ध करवाने के लिए रिज़र्व
बैंक ने दूरसंचार कंपनियों से अनुबंध किया है?
3.
यदि उक्त सेवा केवल अंग्रेजी में शुरू होगी तो जो 95% बैंक
ग्राहक अंग्रेजी नहीं जानते है उनका वित्तीय समावेशन रिज़र्व बैंक किस प्रकार करेगा,
उसके लिए क्या योजना है?
4.
रिज़र्व बैंक ने निजी बैंकों को भारत के आम बैंक-ग्राहकों को
एसएमएस चेतावनी एवं ऑनलाइन बैंकिंग/नेट बैंकिंग सेवा अंग्रेजी के अलावा किस-२ भाषा
में उपलब्ध करवाने के निर्देश अब तक जारी किए हैं? निर्देशों की प्रति उपलब्ध
करवाएँ.
5.
भारत रिज़र्व बैंक ने सार्वजनिक क्षेत्र बैंकों को भारत के बैंक
ग्राहकों को एसएमएस चेतावनी एवं ऑनलाइन बैंकिंग/नेट बैंकिंग सेवा अंग्रेजी के
अलावा किस-२ भारतीय भाषा में उपलब्ध करवाने के निर्देश अब तक जारी किए हैं? और अब
तक सार्वजनिक क्षेत्र के किस-२ बैंक ने ग्राहकों को उनकी भाषा में ये दोनों सेवाएँ
देना आरंभ कर दिया है? निर्देशों की प्रति उपलब्ध करवाएँ.
6.
भारत रिज़र्व बैंक ने निजी बैंकों के लिए वेबसाइट बनाने के
सम्बन्ध में क्या नियम बनाए हैं और निजी बैंकों की वेबसाइट अंग्रेजी के अलावा
किस-२ भाषा में बनाई जानी चाहिए? निर्देशों की प्रति उपलब्ध करवाएँ.
7.
केवल अंग्रेजी में नेट बैंकिंग/एसएमएस अलर्ट/क्रेडिट
कार्ड/एटीएम पर्ची आदि की सुविधा (सच्चाई में असुविधा) से भारत के उन 95% ग्राहकों
के अधिकारों का भी हनन हो रहा है, जो बैंकों की सेवाएँ लेते हैं तथा अंग्रेजी का
एबीसी भी नहीं जानते. इस सम्बन्ध में कानून का उल्लंघन रोकने एवं ग्राहकों को
बैंकिंग सेवाएँ भारतीय भाषाओं में दिलवाने हेतु रिज़र्व बैंक क्या कदम उठा रहा है?
8.
निजी बैंक/ सरकारी बैंक व अन्य वित्तीय संस्थानों द्वारा जो
सेवाएँ हिन्दी एवं स्थानीय भाषाओं में देने के लिए अनिवार्य नियम बनाए गए हैं उनके
अनुपालन के रिजर्व बैंक ने क्या प्रभावी कदम उठाए हैं? उनकी निगरानी कैसे की जाती
है?
9.
मेरे बैंक ने मुझे नेट बैंकिंग, एसएमएस अलर्ट एवं क्रेडिट
कार्ड मासिक विवरण की सुविधा हिन्दी में देने से साफ़ मना कर दिया है और बैंक ने
मुझे अपना खाता बंद करने की सलाह दी है, कृपया बताएँ कि मैं बैंक इस भेदभाव के
खिलाफ रिजर्व बैंक में किससे संपर्क करूँ?
10.
रिज़र्व बैंक ने द्विभाषी वेबसाइट (एकसाथ दोनों भाषाएँ होनी
चाहिए) की बजाय वेबसाइट दो भाषाओं (हिंदी-अंग्रेजी में अलग-२) में बनाई है जो
राजभाषा सम्बन्धी प्रावधानों का उल्लंघन है और भारत की राजभाषा हिन्दी की उपेक्षा करते हुए
अंग्रेजी वेबसाइट को प्राथमिकता दी गई है. अंग्रेजी वेबसाइट निरंतर और त्वरित
अद्यतित की जाती है. इस उल्लंघन के लिए कौन ज़िम्मेदार है? (हिंदी में सूचना कानून
की जानकारी २०१० के बाद अद्यतित नहीं की गई, ऐसे अनेक उदाहरण हैं)
11.
देशभर में क्षेत्रीय ग्रामीणों बैंकों को बैंकिंग सेवाएँ,
वेबसाइट, नेटबैंकिंग की सेवाएँ किस-२ भाषा में उपलब्ध करवाने के निर्देश जारी किए
गए हैं? क्षेत्रीय ग्रामीणों बैंकों में अंग्रेजी की कतई आवश्यकता नहीं है पर लगभग
सारे क्षेत्रीय ग्रामीणों बैंकों में ८०-९०% कामकाज अंग्रेजी में किया जा रहा है.
ग्रामवासियों पर अंग्रेजी किस नियम के तहत थोपी जा रही है? दस्तावेज उपलब्ध
करवाएँ?
आवेदक: