अनुवाद

रविवार, 29 जून 2014

रिज़र्व बैंक से सवाल: ग्राहकों को अपनी भाषा में बैंकिंग सेवाएँ कब मिलेंगी?

सेवा में,
केन्द्रीय जन सूचना अधिकारी
ग्राहक सेवा विभाग
भारतीय रिज़र्व बैंक 
केंद्रीय कार्यालय, पहली मंजिल,
अमर भवन, सर पीएम मार्ग
मुंबई– 400 001

विषय: सूचना का अधिकार अधिनियम के अधीन आवेदन

महोदय,

हम जानना चाहते हैं कि राजभाषा को प्रोत्साहन देने एवं भारत की आम जनता को उनकी अपनी भाषाओं में बैंकिंग और वित्त सम्बन्धी सेवाएँ दिलाने के लिए भारत सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक कितने सजग व तत्पर हैं? वैसे तो आधुनिक युग की सभी ऑनलाइन सेवाएँ केवल अंग्रेजी जानने वाले मुट्ठीभर लोगों के लिए शुरू की करवाई जा रही हैं, सभी उच्चाधिकारी, भारतीय बैंक संघ आदि को आम जनता की कठिनाई से कोई मतलब नहीं है अन्यथा आज ऑनलाइन सेवाएँ हिन्दी सहित भारतीय भाषाओं में मिल रही होतीं. इसीलिए वित्तीय समावेशन केवल एक दिखावा है.

जब तक ग्राहक को उसकी भाषा में बैंकिंग सेवाएँ नहीं मिलेंगी तो वो बैंक से जुड़ेगा ही क्यों? रिज़र्व बैंक ने आज तक ग्राहकों को उनकी भाषा में सेवाएँ मिलें इसलिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया है और सारे बैंक और वित्तीय संस्थान अंग्रेजी थोप रहे हैं. अंग्रेजी ना जानने वाले भारत के ग्राहक किसी बैंक से जुड़ जाएँ तो अंग्रेजी के दम पर बैंक उसका शोषण करते ही रहेंगे और उसे पता भी नहीं चलेगा. अतः निम्न प्रश्न  जन सूचना अधिकार के अंतर्गत पूछे जाते हैं, कृपया 30 दिनों के अंदर हिन्दी में बिन्दुबार स्पष्ट उत्तर देने की कृपा करें:

1.    वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए रिज़र्व बैंक कौन-सी मोबाइल बैंकिंग सेवा निकट भविष्य में शुरू करने जा रहा है, जो उन बैंक ग्राहकों के लिए होगी जो कि स्मार्टफोन (इंटरनेट और अन्य सुविधाओं से लैस मोबाइल फोन) का इस्तेमाल नहीं करते हैं? (बिजनेस स्टैण्डर्ड हिन्दी में छपी खबर संलग्न है)
2.    उक्त सेवा को किस-किस भारतीय भाषा में उपलब्ध करवाने के लिए रिज़र्व बैंक ने दूरसंचार कंपनियों से अनुबंध किया है?
3.    यदि उक्त सेवा केवल अंग्रेजी में शुरू होगी तो जो 95% बैंक ग्राहक अंग्रेजी नहीं जानते है उनका वित्तीय समावेशन रिज़र्व बैंक किस प्रकार करेगा, उसके लिए क्या योजना है?
4.    रिज़र्व बैंक ने निजी बैंकों को भारत के आम बैंक-ग्राहकों को एसएमएस चेतावनी एवं ऑनलाइन बैंकिंग/नेट बैंकिंग सेवा अंग्रेजी के अलावा किस-२ भाषा में उपलब्ध करवाने के निर्देश अब तक जारी किए हैं? निर्देशों की प्रति उपलब्ध करवाएँ.
5.    भारत रिज़र्व बैंक ने सार्वजनिक क्षेत्र बैंकों को भारत के बैंक ग्राहकों को एसएमएस चेतावनी एवं ऑनलाइन बैंकिंग/नेट बैंकिंग सेवा अंग्रेजी के अलावा किस-२ भारतीय भाषा में उपलब्ध करवाने के निर्देश अब तक जारी किए हैं? और अब तक सार्वजनिक क्षेत्र के किस-२ बैंक ने ग्राहकों को उनकी भाषा में ये दोनों सेवाएँ देना आरंभ कर दिया है? निर्देशों की प्रति उपलब्ध करवाएँ.
6.    भारत रिज़र्व बैंक ने निजी बैंकों के लिए वेबसाइट बनाने के सम्बन्ध में क्या नियम बनाए हैं और निजी बैंकों की वेबसाइट अंग्रेजी के अलावा किस-२ भाषा में बनाई जानी चाहिए? निर्देशों की प्रति उपलब्ध करवाएँ.
7.    केवल अंग्रेजी में नेट बैंकिंग/एसएमएस अलर्ट/क्रेडिट कार्ड/एटीएम पर्ची आदि की सुविधा (सच्चाई में असुविधा) से भारत के उन 95% ग्राहकों के अधिकारों का भी हनन हो रहा है, जो बैंकों की सेवाएँ लेते हैं तथा अंग्रेजी का एबीसी भी नहीं जानते. इस सम्बन्ध में कानून का उल्लंघन रोकने एवं ग्राहकों को बैंकिंग सेवाएँ भारतीय भाषाओं में दिलवाने हेतु रिज़र्व बैंक क्या कदम उठा रहा है?
8.    निजी बैंक/ सरकारी बैंक व अन्य वित्तीय संस्थानों द्वारा जो सेवाएँ हिन्दी एवं स्थानीय भाषाओं में देने के लिए अनिवार्य नियम बनाए गए हैं उनके अनुपालन के रिजर्व बैंक ने क्या प्रभावी कदम उठाए हैं? उनकी निगरानी कैसे की जाती है?
9.    मेरे बैंक ने मुझे नेट बैंकिंग, एसएमएस अलर्ट एवं क्रेडिट कार्ड मासिक विवरण की सुविधा हिन्दी में देने से साफ़ मना कर दिया है और बैंक ने मुझे अपना खाता बंद करने की सलाह दी है, कृपया बताएँ कि मैं बैंक इस भेदभाव के खिलाफ रिजर्व बैंक में किससे संपर्क करूँ?
 
10. रिज़र्व बैंक ने द्विभाषी वेबसाइट (एकसाथ दोनों भाषाएँ होनी चाहिए) की बजाय वेबसाइट दो भाषाओं (हिंदी-अंग्रेजी में अलग-२) में बनाई है जो राजभाषा सम्बन्धी प्रावधानों का उल्लंघन है  और भारत की राजभाषा हिन्दी की उपेक्षा करते हुए अंग्रेजी वेबसाइट को प्राथमिकता दी गई है. अंग्रेजी वेबसाइट निरंतर और त्वरित अद्यतित की जाती है. इस उल्लंघन के लिए कौन ज़िम्मेदार है? (हिंदी में सूचना कानून की जानकारी २०१० के बाद अद्यतित नहीं की गई, ऐसे अनेक उदाहरण हैं)
11. देशभर में क्षेत्रीय ग्रामीणों बैंकों को बैंकिंग सेवाएँ, वेबसाइट, नेटबैंकिंग की सेवाएँ किस-२ भाषा में उपलब्ध करवाने के निर्देश जारी किए गए हैं? क्षेत्रीय ग्रामीणों बैंकों में अंग्रेजी की कतई आवश्यकता नहीं है पर लगभग सारे क्षेत्रीय ग्रामीणों बैंकों में ८०-९०% कामकाज अंग्रेजी में किया जा रहा है. ग्रामवासियों पर अंग्रेजी किस नियम के तहत थोपी जा रही है? दस्तावेज उपलब्ध करवाएँ?

आवेदक:

शनिवार, 28 जून 2014

आयकर विभाग द्वारा आम जनता पर अंग्रेजी थोपने की शिकायत

प्रति,
1.        माननीय प्रधानमंत्री महोदयभारत सरकारनई दिल्ली 
2.        माननीय वित्त मंत्री महोदयभारत सरकारनई दिल्ली  
3.        सचिवराजभाषा विभागभारत सरकारनई दिल्ली 
4.        संयुक्त सचिवराजभाषा विभागभारत सरकारनई दिल्ली 
5.        निदेशक (शिकायत)राजभाषा विभागभारत सरकारनई दिल्ली 

विषय :  आयकर विभाग द्वारा आम जनता पर अंग्रेजी थोपने की शिकायत  
  
महोदय,

इन शिकायतों को दूर करवाने के प्रभावी कदम उठाएँआवेदक एवं अनेक नागरिक इन मुद्दों पर पिछले कई वर्षों से माँग कर रहे हैं पर अब तक कोई हल नहीं निकला हैकोई सुधार नहीं हुआ. सरकार को व्यापक जनहित में भारत की प्रमुख भाषाओं में सभी ऑनलाइन सेवाएँ उपलब्ध करवानी चाहिए पर कम से कम फिलहाल अंग्रेजी के बदले द्विभाषीय (हिन्दी-अंग्रेजी) की व्यवस्था लागू की जाए.

प्रमुख शिकायतें:
1.        आयकर विभाग एवं केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर मंडल की सभी ऑनलाइन सेवाएँ (आयकर विवरणी जमा करनापैन कार्ड का ऑनलाइन आवेदनटीडीएस विवरणी ऑनलाइन जमा करनाऑनलाइन टीडीएस प्रमाण-पत्र निकालना आदि) केवल अंग्रेजी में उपलब्ध करवाई गई हैं यह अंग्रेजी ना जानने वाले नागरिकों के साथ सीधा अन्याय है उन्हें इन सेवाओं का लाभ लेने से वंचित किया जा रहा है. 
2.        आयकर विभाग की हिन्दी वेबसाइट का समय पर अद्यतन ना होना और हिन्दी सामग्री में अंग्रेजी में जानकारी डालनाअंग्रेजी पीडीएफ फाइलें जोड़ना. 
3.        विशेष: आयकर विभाग ने अभी एक और कारनामा किया है ऑनलाइन आयकर विवरणी दाखिल करने की वेबसाइट पर हिन्दी सामग्री 'गूगल हिन्दी अनुवादकका प्रयोग करके डाली गई है जो राजभाषा कानून के अनुपालन के नाम पर किया गया एक बेहूदा मजाक हैहिन्दी वेबसाइट की पाठ्य सामग्री भगवान भी नहीं समझ सकते क्योंकि वह केवल दिखावे के लिए बनाई गई है(आज ही वेबसाइट के स्क्रीनशॉट लिए हैंवही ६ अनुलग्नक देखें)
4.        आयकर विभाग ने सभी आयकर विवरणी दाखिल करने के ऑनलाइन फॉर्म केवल अंग्रेजी में तैयार किए हैं जबकि नियम द्विभाषी प्रारूप का है.
5.        आयकर के ऑनलाइन फॉर्म जमा करने पर अभिस्वीकृति केवल अंग्रेजी में जारी होती है और आयकर सम्बन्धी ईमेल भी अंग्रेजी में मिलते हैं.
6.        अख़बारों में छपी खबर के अनुसार पैनकार्ड को हिन्दी-अंग्रेजी द्विभाषीय बनाने के निर्देश जारी हुए हैंउस को शीघ्र अमल में लाया जाए.
7.        आयकर विभाग द्वारा अपने सभी प्रतीक-चिह्न (जैसे इनकम टैक्स डिपार्टमेंटटीडीएसविभाग की स्वर्ण जयंती आदि के लोगो) अंग्रेजी में बनाए गए हैंअथवा द्विभाषी ना बनाकर हिन्दी अंग्रेजी में अलग-२ बनाए गए हैं ताकि अंग्रेजी का चिह्न इस्तेमाल किया जाता रहे.
आपके उत्तर की प्रतीक्षा में,

भवदीय
प्रवीण जैन 
ए -103, आदीश्वर सोसाइटी 
श्री दिगंबर जैन मंदिर के पीछे,
सेक्टर-9वाशीनवी मुंबई - 400 703






शुक्रवार, 27 जून 2014

भारत में उपभोक्ता को अपनी भाषा में उत्पाद सम्बन्धी जानकारी पाने का अधिकार क्यों नहीं?

कृपया इस पत्र को ईमेल द्वारा हमारे प्रम #नमो को भेज दें

#प्रधानमंत्री जी <pmosb@gov.in>
#प्रधानमंत्री जी <publicwing.pmo@gov.in>

सेवा में 
प्रधानमंत्री जी 
भारत सरकार 
नई दिल्ली 

विषय: उपभोक्ता को अपनी भाषा में उत्पाद सम्बन्धी जानकारी पाने का अधिकार क्यों नहीं?

महोदय

देश भर में सभी बड़ी कम्पनियाँ /फार्मा कम्पनियाँ/विनिर्माता आदि अपने उपभोक्ता उत्पादों पर सारी जानकारी केवल अंग्रेजी में छापते हैं जिसे देश की 95 प्रतिशत जनता ना तो पढ़ सकती है ना समझ सकती है, उपभोक्ताओं पर अंग्रेजी थोपकर उनका शोषण किया जा रहा है.

हम लोग कम्पनियों को शिकायत करते हैं तो उनका कहना है “देश में ऐसा कोई कानून नहीं जो कहे कि #ग्राहक की #भाषा में जानकारी दो, तो हम तो कानून के हिसाब से अंग्रेजी में छापते हैं. जो कानून है वह अंग्रेजी अथवा हिन्दी में लेबल छापने के लिए कहता है, #हिन्दी में छापकर हम अपना खर्चा क्यों बढ़ाएँयदि अनिवार्य नियम बन जाए तो हम छापेंगे, पर अभी नहीं छाप सकते. आपको इसलिए आप सरकार को लिखिए, वैसे भारत सरकार में कोई भी नहीं सोचता कि ग्राहक को उसकी अपनी भाषा में जानकारी मिले वर्ना क्या वे अंग्रेजी अनिवार्य करते? फिर भी कोशिश करके देख लो.”

क्या जिनको #अंग्रेजी नहीं आती है उनके कोई उपभोक्ता अधिकार नहीं हैं? क्या अंग्रेजी ना जानने वाली देश की आबादी को अपनी भाषा में अथवा भारत की राजभाषा #हिन्दी में उत्पाद सम्बन्धी कोई जानकारी पाने का हक नहीं? क्या जागो ग्राहक जागो का नारा केवल दिखावा है? आप ही बताएँ खाने के सामान पर लिखा best before six months या directions of use देश के कितने लोग पढ़ या समझ सकते हैं? पिछले ६७ सालों में हर जगह #अंग्रेजी थोपी गई है और सरकारों ने कभी नहीं चाहा कि जनता को उसके अधिकार मिलें; हमें आशा है आप विरोधियों से डरे बिना जनहित में कठोर निर्णय करेंगे, हमने आपको पूर्ण बहुमत इसीलिए दिया है.


आपसे अनुरोध है सभी खाद्य पदार्थों और दवाओं पर वस्तु का नाम, कीमत, वज़न, उपयोग, निर्माण-अवसान तिथि, निर्माता आदि की जानकारी हिन्दी एवं प्रमुख भारतीय भाषाओं में छापने का अनिवार्य नियम बनाया जाए, कम्पनियाँ तो विरोध करेंगी क्योंकि वे नहीं चाहती हैं कि जनता को/उपभोक्ता को सवाल-जवाब करने का मौका मिले, देश में अंग्रेजी उपभोक्ताओं/ग्राहकों के शोषण का बड़ा हथियार है इसलिए उनके विरोध से सख्ती से निपटा जाए ताकि ग्राहकों को उनके अधिकार मिल सकें, वरना उपभोक्ता कानून केवल दिखावा बने रहेंगे.

भवदीय,

अपना नाम लिखें :

पता लिखें :
ईमेल:

शुक्रवार, 13 जून 2014

बैकिंग सेवाएँ जब तक भारतीय भाषाओं में नहीं दी जाती, वित्तीय समावेशन सिर्फ सपना है

वित्त मंत्रालय (वित्तीय सेवाएँ विभाग)

विषयसूचना का अधिकार अधिनियम के अधीन आवेदन

महोदय,
हम जानना चाहते हैं कि राजभाषा को प्रोत्साहन देने एवं भारत की आम जनता को उनकी अपनी भाषाओं में बैंकिंग और वित्त सम्बन्धी सेवाएँ दिलाने के लिए सरकार कितनी सजग व तत्पर है? वैसे तो आधुनिक युग की सभी ऑनलाइन सेवाएँ केवल अंग्रेजी जानने वाले मुट्ठीभर लोगों के लिए शुरू की जा रही हैं और वित्तीय समावेशन केवल एक दिखावा है. जब तक ग्राहक को उसकी भाषा में बैंकिंग सेवाएँ नहीं मिलेंगी तो वो बैंक से जुड़ेगा ही क्यों? और जुड़ जाए तो अंग्रेजी के दम पर बैंक उसका शोषण करते ही रहेंगे और उसे पता भी नहीं चलेगा. अतः निम्न प्रश्न  जन सूचना अधिकार के अंतर्गत पूछे जाते हैंकृपया30 दिनों के अंदर हिन्दी में बिन्दुबार स्पष्ट उत्तर देने की कृपा करें:

1.    वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए वित्त मंत्रालय कौन-सी मोबाइल बैंकिंग सेवा निकट भविष्य में शुरू करने जा रहा है, जो उन बैंक ग्राहकों के लिए होगी जो कि स्मार्टफोन (इंटरनेट और अन्य सुविधाओं से लैस मोबाइल फोन) का इस्तेमाल नहीं करते हैं?
2.    उक्त सेवा को किस-किस भारतीय भाषा में उपलब्ध करवाने के लिए सरकार ने दूरसंचार कंपनियों से अनुबंध किया है?
3.    यदि उक्त सेवा केवल अंग्रेजी में शुरू होगी तो जो 95% भारतीय नागरिक (बैंक ग्राहक) अंग्रेजी नहीं जानते है उनका वित्तीय समावेशन सरकार किस प्रकार करेगी, उसके लिए क्या योजना है?
4.    उक्त सेवा के लिए सरकार ने किस-२ दूरसंचार कंपनी से अनुबंध किए हैं?
5.    उक्त अनुबंध नियमानुसार राजभाषा एवं अंग्रेजी में तैयार किए गए हैं अथवा कानून का उल्लंघन करते हुए केवल अंग्रेजी में?
6.    भारत सरकार ने निजी बैंकों को भारत के आम बैंक-ग्राहकों को एसएमएस चेतावनी एवं ऑनलाइन बैंकिंग/नेट बैंकिंग सेवा अंग्रेजी के अलावा किस-२ भाषा में उपलब्ध करवाने के निर्देश अब तक जारी किए हैं?
7.    भारत सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र बैंकों को भारत के बैंक ग्राहकों को एसएमएस चेतावनी एवं ऑनलाइन बैंकिंग/नेट बैंकिंग सेवा अंग्रेजी के अलावा किस-२ भारतीय भाषा में उपलब्ध करवाने के निर्देश अब तक जारी किए हैं? और अब तक सार्वजनिक क्षेत्र के किस-२ बैंक ने ग्राहकों को उनकी भाषा में ये दोनों सेवाएँ देना आरंभ कर दिया है?
8.    भारत सरकार ने निजी बैंकों के लिए वेबसाइट बनाने के सम्बन्ध में क्या नियम बनाए हैं और निजी बैंकों की वेबसाइट अंग्रेजी के अलावा किस-२ भाषा में बनाई जानी चाहिए? 

9.    भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम लिमिटेड ने राजभाषा अधिनियम का उल्लंघन करते हुए अपना प्रतीक-चिह्न (NPCI) और ‘रुपे’ (RUPAY) का चिह्न एवं वेबसाइट केवल अंग्रेजी में बनाई है जो भारत के उन 95% ग्राहकों के अधिकारों का भी हनन है, जो बैंकों की सेवाएँ लेते हैं तथा अंग्रेजी का एबीसी भी नहीं जानते, इस सम्बन्ध में कानून का उल्लंघन रोकने एवं ग्राहकों को बैंकिंग सेवाएँ भारतीय भाषाओं में दिलवाने हेतु सरकार क्या कदम उठा रही है?

बुधवार, 11 जून 2014

पंजाब केसरी ने भी हिन्दी में पैनकार्ड के समाचार को प्रमुखता दी

नवभारतटाइम्स की खबर: यहाँ पढ़ें

पंजाब केसरी का समाचार - यहाँ देखें

मुंबई: नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनते ही राष्ट्रभाषा हिन्दी के भी अच्छे दिन आ गए हैं। अब पैन कार्ड में भी आपको परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा, क्योंकि पैन कार्ड में अब जल्द ही हिन्दी में भी नाम लिखा मिलेगा।
 


सोमवार, 9 जून 2014

हिन्दी में पैनकार्ड का समाचार प्रमुख अख़बारों में

देश के प्रमुख अख़बारों ने इस समाचार को प्रमुखता दी है:

हिन्दी के सबसे पहले और सबसे विश्वसनीय पोर्टल "वेबदुनिया" में छपी खबर: यहाँ पढ़ें 

भड़ास  फॉर मीडिया के पोर्टल पर प्रकाशित विस्तृत समाचार: यहाँ पढ़ें


वैसे हिन्दी में हिंग्रेजी और रोमन की पैरवी करने वाले अख़बार ने भी इसे छापा है:

शनिवार, 7 जून 2014

आपका पैनकार्ड बनेगा हिन्दी में और दाखिल कर सकेंगे ऑनलाइन आयकर रिटर्न

मुंबई ७ जून २०१४.

भारतीय #भाषा के कद्रदानों के लिए यह एक अच्‍छी खबर है कि भाषा के क्षेत्र में #मोदी प्रभाव सरकारी अमले पर भी नजर आने लगा है। इसका प्रमाण यह है कि मोदी जी के प्रधानमंत्री बनते ही राजभाषा विभाग भी सजग और गतिशील हो गया है। सुप्रसिद्ध जैन संत आचार्य श्री विद्यासागरजी जी महाराज की प्रेरणा से मुम्‍बई निवासी भारतीय भाषा अभियान की सहयोगी श्रीमती विधि प्र. जैन द्‍वारा दिनांक १५ अप्रैल २०१४ को पैनकार्ड को पूरी तरह द्‍विभाषी बनाए एवं ऑनलाइन आयकर विवरणी दाखिल करने की सुविधा #हिन्दी में उपलब्ध करवाए जाने हेतु एक अभ्‍यावेदन राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्‍ली को भेजा गया था।

#प्रधानमंत्री के रूप में मोदी जी के शपथ लेने के अगले दिन ही राजस्व विभाग, केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के उपनिदेशक (राजभाषा) श्री आर.एन.त्रिपाठी, ने अभ्यावेदन के सभी बिन्‍दुओं पर समुचित कार्यवाही करने के निर्देश आयकर निदेशालय को दे दिए हैं।

हमारे इस प्रयास को कुछ अख़बारों ने छापा है ..यहाँ पढ़ें 

आशा है मोदी प्रभाव आयकर विभाग पर भी अवश्‍य ही असर करेगा और शीघ्र ही भारत के आयकर दाताओं को न केवल द्‍विभाषी पैनकार्ड उपलब्‍ध कराएगा अपितु आयकर के सभी ऑनलाइन प्रारूप सीधे देवनागरी लिपि में ही भरने की सुविधा भी मुहैय्‍या कराएगा साथ ही ऑनलाइन आयकर विवरणी हिन्दी में दाखिल करने की सुविधा हिन्दी में उपलब्ध हो जाएगी

ऑनलाइन आयकर विवरणी भरने और जमा करने की सुविधा केवल अंग्रेजी में होने से आम जनता परेशान  होती रहती है और अब तक आयकर सम्बन्धी सारा काम सलाहकारों के भरोसे होता है, उसे पता ही नहीं चलता कि सलाहकार क्या कर रहा है? श्रीमती जैन ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री एवं वित्त मंत्री से मांग की है कि आयकर सम्बन्धी सभी ऑनलाइन सेवाएँ अविलम्ब राजभाषा हिन्दी में और आगे देश की सभी प्रमुख भाषाओं में उपलब्ध करवाने का अनुरोध किया है.

उन्होंने बताया कि उनका अगला लक्ष्य ऑनलाइन रेल टिकट बुक करने की सुविधा १० प्रमुख  भारतीय भाषाओं में उपलब्ध करवाने के लिए अभियान चलाना है ताकि आम यात्रा बिना परेशानी के इस सेवा का लाभ उठा सके.
श्रीमती जैन, नवी मुंबई में अभियांत्रिकी (इंजीनियरिंग) की निजी कक्षाएँ मेरी कक्षा नाम से चलाती हैं और भारतीय भाषाओं के उत्थान लिए सतत प्रयास कर रही हैं. मूल रूप से सुल्तानगंज (रायसेन, मध्यप्रदेश) से श्रीमती जैन शासकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय, रीवा (मप्र) से इंजीनियरिंग में स्नातक एवं एमबीए हैं.

श्रीमती विधि जैन को बधाई। उन्‍होंने शिक्षण एवं एक गृहिणी के दायित्‍व के साथ-सा‍थ एक जिम्‍मदार नागरिक होने का जो जज्‍बा दिखाया है वह हम सबके लिए, विशेषकर उन महिलाओं के लिए अनुकरणीय है जो अपने पारम्‍परिक दायित्‍वों के साथ-साथ समाज के लिए भी कुछ रचनात्‍मक करने की इच्‍छा रखती हैं।  श्रीमती जैन से ट्विटर @praveenvidhi एवं vk.vidhi@gmail.com पर संपर्क कर सकते हैं.