अनुवाद

बुधवार, 12 जुलाई 2017

वस्तु एवं सेवा कर- आम व्यापारी पर अंग्रेजी और इंस्पेक्टर राज की काली छाया

आज देश में आर्थिक एकीकरण के लिए वस्तु एवं सेवा कर ("वसेक") लागू कर दिया गया है पर इस कर की पूरी व्यवस्था केवल अंग्रेजी में शुरू की गई है ताकि सीए की सेवा लिए बिना कोई भी व्यापारी इस कानून का पालन न कर सके और वह पूरी तरह सीए पर निर्भर रहे और राजभाषा एवं भारतीय भाषाओं एवं आम व्यापारी की सुविधा की पूर्णतः अनदेखी की गई है.
मुख्य बिंदु: 
1.वस्तु एवं सेवा कर से संबंधित पोर्टल तथा वेबसाइटें, www.gst.gov.in;  https://gstawareness.cbec.gov.in/ एवं http://www.cbec.gov.in/htdocs-cbec/gst/index केवल अंग्रेजी में बनाई गई हैं.
2. वसेक के अधिनियम केवल अंग्रेजी में ही अधिसूचित किए गए हैं.
3. वेबसाइट प्रयोग के सभी मैनुअल और प्ररूप(फॉर्म) अंग्रेजी में तैयार करके जारी किए गए हैं और वेबसाइट पर अपलोड किए गए हैं.
4.वस्तु एवं सेवा कर से संबंधित सभी प्रकार के ऑनलाइन रिटर्न केवल अंग्रेजी में तैयार किए गए हैं और उन्हें अंग्रेजी में भरना अनिवार्य है.
5. वसेक में पंजीयन की ऑनलाइन सुविधा केवल अंग्रेजी में प्रदान की गई है और उसमें नाम पता इत्यादि केवल अंग्रेजी में भरना ही अनिवार्य है कोई भी व्यक्ति उसमें हिंदी में विवरण नहीं भर सकता है, जबकि सभी फॉर्म द्विभाषी(डिगलॉट) रूप में बनाना अनिवार्य है.
6. वसेक से संबंधित पंजीयन के प्रमाण पत्र केवल अंग्रेजी में जारी किए जा रहे हैं, उनमें जानबूझकर राजभाषा की अनदेखी की गई है. 
7. वसेक से संबंधित एसएमएस, ईमेल केवल अंग्रेजी में ही भेजे जा रहे हैं जिन्हें आम व्यापारी न तो पढ़ सकते हैं न समझ सकते हैं.
8. वसेक परिषद की बैठकों में सारी कार्यवाही केवल अंग्रेजी में की गई और इन बैठकों में प्रयोग किए गए बैनर एवं मेज नामपट्ट केवल अंग्रेजी में तैयार किए गए. 
9. केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड की हिंदी वेबसाइट पर वसेक से संबंधित कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है, अंग्रेजी वेबसाइट पर सभी प्रकार की जानकारी अंग्रेजी में डाली गई है, एक दो दस्तावेज हिंदी में हैं पर उनका नाम आदि केवल अंग्रेजी में लिखा होने से उन लोगों के किसी काम के नहीं हैं जो अंग्रेजी पढ़ना भी नहीं जानते हैं.
10. केन्द्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड अब तक हिंदी में इस कर का नाम भी तय नहीं कर पाया है, पूरा देश वस्तु एवं सेवा कर लिख रहा है लेकिन बोर्ड कभी अपने विज्ञापनों में माल एवं सेवा कर लिखता है तो कभी वस्तु एवं सेवा कर. हाँ अंग्रेजी में एक ही नाम है गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) 

वस्तु एवं सेवा कर का हिंदी में संक्षेप वसेक होता है पर चूँकि हिंदी हेय, त्याज्य है इसलिए बोर्ड विज्ञापनों में रोमन में ही GST अथवा देवनागरी में जीएसटी लिख रहा है. 

वसेक छोटे बड़े सभी व्यापारियों, सभी विनिर्माताओं अर्थात लगभग सभी नागरिकों पर लागू है फिर भी इस व्यवस्था में जानबूझकर भारतीय भाषाओं की अनदेखी की गई है और आम जनता एवं आम व्यापारी पर अंग्रेजी थोपी गई हैं इससे एक बड़ी आशंका बनी हुई है कि कर अधिकारी अंग्रेजी में नोटिस जारी कर व्यापारियों को डर दिखा सकते हैं. अंग्रेजी भाषा आम जनता एवं आम व्यापारी को डराने धमकाने का पुराना हथियार है.

चूंकि पूरी व्यवस्था अंग्रेजी में है इसलिए आम व्यापारियों और आम जनता में वसेक के प्रति बहुत ही अधिक डर का माहौल है. वसेक की पूरी व्यवस्था में राजभाषा अधिनियम, नियम, राजभाषा के संबंध में राष्ट्रपति जी के आदेश एवं राजभाषा विभाग द्वारा समय-समय पर जारी किए गए निर्देशों का खुला उल्लंघन किया गया है.

प्रमं को चाहिए कि वे केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड के उच्चाधिकारियों की बैठक तुरंत आयोजित करें और वसेक संबंधित सभी प्रकार के आवेदन, प्रमाण-पत्र, ईमेल,फॉर्म, रिटर्न, वेबसाइट, ऑनलाइन सेवाएं एवं प्रेस विज्ञप्तियां इत्यादि राजभाषा अधिनियम के अनुसार बनवाने के निर्देश जारी करें. साथ ही ये सुविधाएँ सभी भारतीय भाषाओं में भी शुरू करवाई जाएं.

1 टिप्पणी:

  1. हाँ वो सत्र देखा पर उन्होंने ने हिंदी में कोई न तो स्लाइड बनाई न ही सही हिंदी का प्रयोग किया भारी वाली हिंग्रेजी में गोष्ठी हुई, जो आम व्यापारी के किसी काम की नहीं थी. हिंदी की स्थिति भारत सरकार में बद से बदतर हो रही है.

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