पिछले दो वर्षों के सतत अभियान और मित्रों के सहयोग से चुनाव आयोग को मजबूर होकर अपनी हिंदी वेबसाइट आरंभ करनी पड़ी है, इसे आप केवल शुभारम्भ मान सकते हैं अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है. जैसे आयोग ने केवल मुखपृष्ठ हिंदी में बनाया है.
मैंने सबसे पहले २०१२ में आर टी आई आवेदन लगाया था, तब भी आयोग राष्ट्रपति जी के आदेश का उल्लंघन मानने को तैयार नहीं था. उसके बाद हर ३-३ महीने के अंतर पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री कार्यालय को अनुरोध से लेकर राजभाषा विभाग को शिकायतें भेजीं गयीं और ६-६ महीने के अन्तर पर अलग-२ आर टी आई आवेदन भी जारी रहे, चार राज्यों के विधान सभा चुनाव भी निकल गए. सफलता हाथ नहीं लगी. लोकसभा के चुनाव आए और मेरी बेचैनी बढ़ी कि क्या इन चुनावों के समय भी वेबसाइट हिंदी में नहीं बनेगी, लोकतंत्र और लोकभाषा का अपमान और जनता को जनता से जुडी जानकारी जनभाषा में नहीं मिलेगी?