तथ्य जाँच-
सामाजिक
माध्यमों, समाचार पत्रों में जो छपा है और टीवी पर जो दिखाया
जा रहा है क्या वो सच है?
परम पूज्य मुनिश्री
प्रमाणसागर जी महाराज भाग्योदय तीर्थ चिकित्सालय सागर (मप्र) के परिसर में 2 महीने से
विराजमान थे।
परम पूज्य मुनि श्री 108 प्रमाणसागर जी महाराज लगभग 2 माह से अपने बहुचर्चित और लोकप्रिय कार्यक्रम शंका समाधान में पूरे देश के जैन समाज के लोगों को शारीरिक दूरी (सोशल डिसटेंस) अपनाने व कोरोना महामारी की भयावता के प्रति सावधान कर रहे थे। पिछले 2 महीनों से शासनादेश से पूरे देश के जिनालय बन्द हैं, फिर भी कुछ लोग चोरी छुपे मन्दिर जाने का प्रयास कर रहे थे, तब भी मुनिश्री ने समाज को सरकार के नियमों के पालन की नसीहत दी थी।
परम पूज्य मुनि श्री 108 प्रमाणसागर जी महाराज लगभग 2 माह से अपने बहुचर्चित और लोकप्रिय कार्यक्रम शंका समाधान में पूरे देश के जैन समाज के लोगों को शारीरिक दूरी (सोशल डिसटेंस) अपनाने व कोरोना महामारी की भयावता के प्रति सावधान कर रहे थे। पिछले 2 महीनों से शासनादेश से पूरे देश के जिनालय बन्द हैं, फिर भी कुछ लोग चोरी छुपे मन्दिर जाने का प्रयास कर रहे थे, तब भी मुनिश्री ने समाज को सरकार के नियमों के पालन की नसीहत दी थी।
7 मई 2020
को भाग्योदय तीर्थ चिकित्सालय में कोरोना पीड़ित मिला जिसे भोपाल
संदर्भित किया गया, वहाँ पहुँचकर उसकी मृत्यु हो गई। अस्पताल
का एक प्रयोगशाला कर्मी भी चपेट में आ गया और 10-12 चिकित्सकों
को भी स्व-एकांतवास (क्वारेंटाइन) में जाना पड़ा। महाराजश्री ने इस पर विचार किया
कि यहाँ रुकना संकट का कारण बन सकता है, इसलिए उन्होंने वहाँ
से विहार करने का निश्चय किया। समाज के लोगों ने मुनिश्री के पद-विहार के लिए
प्रशासन से अनुमति ली, इस अनुमति में उनके साथ कुल 20 लोगों को चलने की अनुमति दी गई और इस प्रकार 9 मई 2020 को प्रातः 6 बजे सागर से विहार आरंभ हुआ। जैन मुनि
किसी भी प्रकार के वाहन का प्रयोग नहीं करते हैं और सदैव पैदल चलते हैं। कुछ चैनलों पर एंकर बोल रहे थे कि मुनिश्री धार्मिक पदयात्रा निकाल रहे थे, धार्मिक कार्यक्रम आयोजित कर रहे थे जबकि जैन साधु सदैव ही पैदल चलते हैं, उन्होंने अलग से कोई आयोजन नहीं किया था।
जैन मुनि कठोर तपश्चर्या
का पालन करते हैं, 24 घंटे में एक बार ही आहार-जल ग्रहण करते हैं।
अस्वस्थ होने पर भी आहार के समय ही शुद्ध आयुर्वेदिक औषधि ही ग्रहण करते हैं,
वह भी 24 घंटे में एक बार। वे किसी भी अस्पताल
में कभी उपचार नहीं करवाते हैं। चूँकि भाग्योदय तीर्थ चिकित्सालय में कोरोना
संक्रमण का खतरा बढ़ने की संभावना थी इसीलिए मुनिश्री ने विहार करना ही उचित समझा।
विहार आरंभ करने से पूर्व
मुनिश्री प्रमाणसागर जी महाराज द्वारा सभी श्रावकों को निर्देश दिए गए थे और कहा
था कि विहार के रास्ते में पड़ने वाले किसी भी गाँव-नगर में उनके आगमन या विहार के
दौरान कोई भी श्रावक-श्राविका रस्तों पर इकट्ठा नहीं होंगे एवं अपने घरों के
दरवाजे, छतों आदि से ही दर्शन करेंगे। विहार करते हुए मुनिश्री अंकुर कॉलोनी
(मकरोनिया), दीनदयाल नगर, कर्रापुर,
छापरी आदि नगरों में रुके भी पर सभी स्थानों पर जैन समाज ने नियमों
का पालन किया।
11 मई 2020
को सुबह 7 बजे मुनिश्री प्रमाणसागर जी महाराज
बंडा के बरा चौराहे पर पहुँचे। बरा चौराहा बंडा का व्यस्ततम चौराहा है। तालाबंदी
में छूट के बाद यहां पर सुबह 7:00 बजे से दोपहर 3:00 बजे तक पूरा बाजार खुला रहता है, चौराहे पर देशी एवं
विदेशी शराब की 2 दुकानें हैं जो वीडियो में देखी जा सकती है
जहां पर शराब लेने वालों की भीड़ थी, उसी के बाजू में सब्जी
की दुकानें लगती हैं। इन दुकानों पर सब्जी खरीदने एवं बेचने वालों की भीड़ थी।
बंडा से होकर ट्रकों, टैक्सियों में भरकर प्रतिदिन हजारों
प्रवासी मजदूर गुजरते हैं, चौराहे पर समाजसेवियों द्वारा
पूड़ी-सब्जी के पैकेट बाहर से आए मजदूरों को वितरित किए जा रहे थे, उनकी भी भीड़ थी।
जब मुनि श्री बंडा के इस
चौराहे पर पहुँचे तो यह सारी भीड़ इकत्र होकर मुनि श्री को देखने उमड़ पड़ी, सामाजिक
माध्यमों पर प्रसारित वीडियो इसी समय बनाया गया है, जिसे
देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि बंडा जैन समाज ने मुनिश्री की भव्य अगवानी की हो
और सारे नियमों को तोड़ा गया हो ।
जबकि सच्चाई यह है कि जैन समाज के लोगों ने अपनी छतों पर एवं घरों पर खड़े होकर ताली एवं थाली बजाकर मुनिश्री का स्वागत किया था। वीडियो में अधिकांश जैनेत्तर बंधु हैं जो महाराज श्री के आगमन की बात सुनकर एकत्र हो गए और इस तरह चौराहे पर भीड़ लग गई।
जबकि सच्चाई यह है कि जैन समाज के लोगों ने अपनी छतों पर एवं घरों पर खड़े होकर ताली एवं थाली बजाकर मुनिश्री का स्वागत किया था। वीडियो में अधिकांश जैनेत्तर बंधु हैं जो महाराज श्री के आगमन की बात सुनकर एकत्र हो गए और इस तरह चौराहे पर भीड़ लग गई।
इस वीडियों में आप देख
सकते हैं कि चौराहे पर मुनिश्री केवल कुछ सेकंड ही रुके, बंडा में पहले से विद्यमान अन्य जैन साधुओं ने उनका अभिनंदन किया और अगवानी करने आए कुछ व्यवस्थापकों
के साथ मुनिश्री जैन मंदिर की ओर चले गए। इसमें जैन
समाज की एवं महाराज श्री की कोई गलती नहीं है। समाज के लोगों को पहले से समझा दिया
गया था और सभी ने उसका अक्षरशः पालन भी किया।
जैन समाज को अब मुनियों के विहार व आहार में और अधिक सतर्कता से काम करना चाहिए ताकि किसी भी प्रकार की चूक न हो।
जवाब देंहटाएंआपकी बात से सहमत हूँ, दिगंबर मुनिगणों को लेकर जैनों को बहुत अधिक सतर्कता बर्तनी चाहिए।
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