न्यायालय
के निर्णय हिंदी में देने की अपील
न्यायालय
के निर्णयों को हिंदी में देने के लिए
अदालत से गुजारिश करने के लिए एक हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा। उत्तराखंड के
पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता चंद्रशेखर
उपाध्याय यह मुहिम शुरू करने वाले हैं।
उन्होंने बताया कि वह प्रदेश के सभी नागरिकों से अपील करेंगे कि वह उच्च न्यायालय के माननीय मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर यह मांग करें कि वह अपने निर्णय हिंदी में सुनाएं, ताकि आम आदमी अपनी भाषा में उस निर्णय को जान सके जो उसके बारे में लिया जाता है।
उन्होंने बताया कि वह प्रदेश के सभी नागरिकों से अपील करेंगे कि वह उच्च न्यायालय के माननीय मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर यह मांग करें कि वह अपने निर्णय हिंदी में सुनाएं, ताकि आम आदमी अपनी भाषा में उस निर्णय को जान सके जो उसके बारे में लिया जाता है।
नैनीताल
उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से
आग्रह
चंद्रशेखर
ने बताया कि पत्र के माध्यम से नैनीताल उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से आग्रह किया जाएगा कि वह 14
सितंबर 2013 से उच्च न्यायालय के सभी न्यायमूर्तिगण की संपूर्ण
कार्यवाही हिंदी में करने और निर्णय हिंदी में देने का निर्देश दें। उन्होंने
प्रदेश के लोगों से अपील की है कि वह इस आशय का पोस्टकार्ड या अन्य संचार माध्यम
से अपनी अपील नैनीताल उच्च न्यायालय के
मुख्य न्यायाधीश तक पहुंचाएं।
उपाध्याय ने बताया कि पहला पोस्टकार्ड चिपको आंदोलन के प्रणेता पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा और जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर जूनापीठाधीश्वर आचार्य अवधेशानंद गिरी से लिखवाकर मुख्य न्यायाधीश को भेजा जाएगा। उन्होंने वीर सैनिकों के परिवारों से भी अपील की है कि वे न्यायाधीश को इस आशय का पोस्टकार्ड भेजें। चंद्रशेखर ने बार काउंसिल सहित सभी जनपदों की बार एसोसिएशन से भी अपील की कि वह अपने हस्ताक्षरयुक्त पोस्टकार्ड मुख्य न्यायाधीश को भेजें।
उपाध्याय ने बताया कि पहला पोस्टकार्ड चिपको आंदोलन के प्रणेता पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा और जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर जूनापीठाधीश्वर आचार्य अवधेशानंद गिरी से लिखवाकर मुख्य न्यायाधीश को भेजा जाएगा। उन्होंने वीर सैनिकों के परिवारों से भी अपील की है कि वे न्यायाधीश को इस आशय का पोस्टकार्ड भेजें। चंद्रशेखर ने बार काउंसिल सहित सभी जनपदों की बार एसोसिएशन से भी अपील की कि वह अपने हस्ताक्षरयुक्त पोस्टकार्ड मुख्य न्यायाधीश को भेजें।
युवाओं से भी अपील की
उन्होंने
प्रत्येक बुद्धिजीवी, प्रबुद्ध नागरिक,
स्वयंसेवी संगठन, सामाजिक संगठन, गैर सरकारी संस्थाओं के साथ ही युवाओं से भी अपील की है। उन्होंने
मुख्यमंत्री, लोकसभा के पांचों सदस्यों, सभी राज्यसभा सदस्यों, विधायक और जनप्रतिनिधियों से
भी अपील की है कि वह इस आशय का पत्र माननीय न्यायाधीश को भेजने का कष्ट करें।
नैनीताल में उत्तराखंड उच्च
न्यायालय
www.highcourtofuttarakhand.gov.in
ईमेल: highcourt-ua@nic.in और
hcprotocol-ua@nic.in
ईपीएबीएक्स सं. 05942-235388 फैक्स:
231692
क्र.
|
नाम
व पदनाम
|
विस्तार
|
पीएसटीएन
फोन
|
1.
|
माननीय मुख्य न्यायाधीश
|
कार्यालय -213
आवास 322
|
कार्यालय -231691
आवास 231694
|
2.
|
माननीय न्यायमूर्ति श्री कल्याण
ज्योति सेनगुप्ता
|
कार्यालय -249
|
कार्यालय -233363
आवास 231696
|
3.
|
माननीय न्यायमूर्ति श्री प्रफुल्ल.
सी. पंत
|
कार्यालय 310
आवास 319
|
कार्यालय -233364
आवास 233057
|
4.
|
माननीय न्यायमूर्ति श्री बी.एस.
वर्मा
|
कार्यालय -253
|
कार्यालय -239655
आवास 233377
|
5.
|
माननीय न्यायमूर्ति श्री वी.के.
बिष्ट
|
कार्यालय 210
|
कार्यालय -232775
आवास 232774
|
6.
|
माननीय न्यायमूर्ति श्री सुधांशु
धूलिया
|
कार्यालय -335
|
कार्यालय -232511
आवास 235548
|
7.
|
माननीय न्यायमूर्ति श्री आलोक
सिंह
|
कार्यालय -247
|
कार्यालय -239171
आवास 237151
|
8.
|
माननीय न्यायमूर्ति श्री एस.के.
गुप्ता
|
कार्यालय -252
|
कार्यालय -231695
आवास 231693
|
9.
|
माननीय न्यायमूर्ति श्री यू.सी.
ध्यानी
|
कार्यालय -323
|
कार्यालय -233361
आवास 233362
|
10.
|
महापंजीयक (श्री राम सिंह)
मो. 9760455056
मो.
9456591996
|
कार्यालय -205
आवास 321
|
कार्यालय 232085
/ फैक्स: 237721
आवास 231721
|
ईमेल का एक प्रारूप:
माननीय मुख्य न्यायाधीश
उत्तराखंड उच्च न्यायालय, नैनीताल
विषय: उत्तराखंड उच्च न्यायालय में नागरिकों की भाषा में न्याय पाने का अधिकार
महोदय,
उत्तराखंड राज्य की भाषा हिंदी है और सभी सरकारी कामकाजों में भी हिंदी को ही इस्तेमाल किया जाता है. निचली अदालतों में न्यायालयीन कामकाज हिंदी में होता है और राज्य के काफी कम नागरिक ही अंग्रेजी जानते हैं. इसलिए उच्च न्यायालय से निवेदन है कि अंग्रेजी ना जानने वाले नागरिकों को न्याय पाने के अधिकार में अंग्रेजी की अनिवार्यता समाप्त की जाए.
न्यायालय हिंदी में निर्णय देने की पहल करे तथा आम जनता को हिंदी में अपने मामले रखने की अनुमति दी जाए. अंग्रेजी के नाम पर आम नागरिकों के न्याय पाने के अधिकारों का हनन ना हो इसे सुनिश्चित किया जाए.
धन्यवाद
भवदीय
नाम
पता
फोन