अनुवाद

बुधवार, 7 मई 2014

मतदाता पहचान-पत्र में नामों की वर्तनी में त्रुटि से मानहानि का मामला भी बन सकता है

दिनांक: ६ मई २०१४

प्रति,
मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त,
भारत निर्वाचन आयोग,
निर्वाचन सदन,              
अशोक रोडनई‍ दिल्‍ली

विषय: मतदाता पहचान-पत्र में नामों की वर्तनी में अशुद्धि से मानहानि का मामला भी बन सकता है

महोदय,

निर्वाचन आयोग द्वारा ऑनलाइन सेवाएँ एक साथ द्विभाषी रूप में ना देकर केवल अंग्रेजी दी जा रही हैं, साथ ही जो मतदाता पहचान-पत्र जारी किए गए हैं या किए जा रहे हैं उनमें हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं में भयंकर वर्तनी की त्रुटियाँ रहती हैं। नाम-पते आदि में अर्थ का अनर्थ हो रहा है। 

इसका कारण यह है कि भले ही मतदाता पहचान-पत्रनया बनवानेसुधार करवाने आदि के लिए आवेदन पत्र स्थानीय भाषा में छपे होते हैं,भले ही आम जनता इन्हें स्थानीय भाषा में भरकर आवेदन करती है किन्तु जिन फर्मों को निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाता-पहचान-पत्र की डेटा एंट्री तथा छपाई का ठेका दिया जाता हैवे कम्प्यूटर में डेटा एंट्री मूलतः अंग्रेजी में ही करते हैंफिर इसे एक नाम-लिप्यन्तरण सॉफ्यवेयर के माध्यम से हिन्दी तथा अन्य प्रान्तीय भाषाओं में लिप्यन्तरित किया जाता है जबकि अब कम्‍प्‍यूटर पर समस्‍त कार्य सीधे हिंदी और कई अन्‍य भारतीय भाषाओं की वर्णमाला (इनस्क्रिप्ट) में ही करने की अच्‍छी से अच्‍छी सुविधा उपलब्‍ध है; इससे हिन्दी तथा अन्य प्रान्तीय भाषाओं में नामपते आदि में भयंकर वर्तनी की अशुद्धियाँ रह जाती है। 

26 वर्णों की अंग्रेजी (बेसिक लेटिन) में लिखे नाम कदापि हिन्दी तथा भारतीय भाषाओं में सही रीति नहीं लिखे जा सकते। भारत को बेसिक लेटिन में यदि BHARAT लिखा जाए तो इसका उच्चारण व लिप्यन्तरण "भरतभरटभारटभराट भरातभारातभाराट" में से भी कुछ हो सकता है।

किसी व्यक्ति तथा स्थान का नाम उसकी इज्जत की बात होती है तथा यह भावनात्मक संवेदनशीलता का विषय है। नामों की वर्तनी में अशुद्धि से मानहानि का मामला भी बन सकता है और ऐसे लोगों को भारत निर्वाचन आयोग के विरुद्ध न्यायालय की शरण में जाना चाहिए ताकि उनके सम्मान के साथ हो रहे इस खिलवाड़ को तुरंत रोका जा सके।

इसके विपरीत यदि  हिन्दी (देवनागरी) या ब्राह्मी आधारित अन्य लिपि में मूलतः कम्प्यूटर में डेटा एंट्री हुई हो तो उसे अंग्रेजी (लेटिन लिपि) में एक्सेंट मार्क (accent marks) सहित सही उच्चारण सहित लिप्यन्तरित किया जा सकता है। अतः निर्वाचन आयोग को मतदाता पहचान-पत्रों की हिन्दी तथा अन्य प्रान्तीय भाषाओं में इनस्क्रिप्ट का प्रयोग करके ही मूलतः कम्प्यूटर में डेटा एंट्री करना आवश्यक है। देश मेंआधार कार्डभू-अभिलेख पत्र निर्माताओं को भी मूलतः भारतीय भाषाओं में ही डेटा एंट्री करनी चाहिए। जो ठेकेदार फर्म मूलतः हिन्दी और भारतीय भाषाओं में एंट्री नहीं करती होंउनके अनुबंध तत्काल आधार पर रद्द कर दिए जाने चाहिए। 

एक और बहुत बड़ा क़ानूनी उल्लंघन यह है कि आयोग ने भारत के प्रत्येक राज्य के मतदाता पहचान-पत्र पर अंग्रेजी के इस्तेमाल को सर्वथा अनिवार्य किया है पर राजभाषा हिन्दी का प्रयोग केवल हिन्दी भाषी राज्यों में अंग्रेजी के साथ किया जाता है, जो कि सर्वथा अनुचित और संविधान विरोधी है, भारत में प्रत्येक मतदाता पहचान-पत्र में प्रांतीय भाषा के साथ राजभाषा का प्रयोग किया जाना चाहिए. इस सम्बन्ध में मुख्य चुनाव आयुक्त यथाशीघ्र बैठक बुलाएँ एवं आवश्यक कार्यवाही करें और की गई कार्यवाही से अभ्यावेदक को अवगत करवाएँ।