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राजग: राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन [एनडीए]संप्रग: संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन [यूपीए]तेदेपा: तेलुगु देशम पार्टी [टीडीपी]अन्ना द्रमुक: अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम[ अन्ना डीएमके]द्रमुक: द्रविड़ मुनेत्र कषगम [डीएमके]भाजपा: भारतीय जनता पार्टी [बीजेपी]रालोद : राष्ट्रीय लोक दल [आरएलडी]बसपा: बहुजन समाज पार्टी [बीएसपी]मनसे: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना [एमएनएस]माकपा: मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी [सीपीएम]भाकपा: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी [सीपीआई]राजद: राष्ट्रीय जनता दल [आरजेडी]बीजद: बीजू जनता दल [बीजेडी]तेरास: तेलंगाना राष्ट्र समिति [टीआरएस]नेका: नेशनल कॉन्फ्रेन्सराकांपा : राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी [एनसीपी]अस: अहिंसा संघअसे: अहिंसा सेनागोजमुमो:गोरखा जन मुक्ति मोर्चाअभागोली:अखिल भारतीय गोरखा लीगमगोपा:महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी [एमजीपी]पामक : पाटाली मक्कल कच्ची [पीएमके]
गोलिआ:गोरखा लिबरेशन आर्गेनाइजेशन [जीएलओ]
हिंदी संक्षेपाक्षर सदियों से इस्तेमाल होते आ रहे हैं, मराठी में तो आज भी संक्षेपाक्षर का प्रयोग भरपूर किया जाता है और नये-२ संक्षेपाक्षर बनाये जाते हैं पर आज का हिंदी मीडिया इससे परहेज़ कर रहा है, देवनागरी के स्थान पर रोमन लिपि का उपयोग कर रहा है. साथ ही मीडिया हिंदी लिपि एवं हिंदी संक्षेपाक्षरों के प्रयोग को हिंदी के प्रचार में बाधा मानता है, जो पूरी तरह से निराधार और गलत है.“मैं ये मानता हूँ कि बोलचाल की भाषा में हिंदी संक्षेपाक्षरों की सीमा है पर कम से कम लेखन की भाषा में इनके प्रयोग को बढ़ावा देना चाहिए और जब सरल हिंदी संक्षेपाक्षर उपलब्ध हो या बनाया जा सकता हो तो अंग्रेजी संक्षेपाक्षर का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए.”मैं अनुरोध करूँगा कि नए-नए सरल हिंदी संक्षेपाक्षर बनाये जाएँ और उनका भरपूर इस्तेमाल किया जाये, मैं यहाँ कुछ हिंदी संक्षेपाक्षरों की सूची देना चाहता हूँ जो हैं तो पहले से प्रचलन में हैं अथवा इनको कुछ स्थानों पर इस्तेमाल किया जाता है पर उनका प्रचार किया जाना चाहिए, आपको कुछ अटपटे और अजीब भी लग सकते हैं, पर जब हम एक विदेशी भाषा अंग्रेजी के सैकड़ों अटपटे शब्दों/व्याकरण को स्वीकार कर चुके हैं तो अपनी भाषा के थोड़े-बहुत अटपटे संक्षेपाक्षरों को भी पचा सकते हैं बस सोच बदलने की ज़रूरत है.“हिंदी हमारी अपनी भाषा है, इसके विकास की ज़िम्मेदारी हम सब पर है और मीडिया की ज़िम्मेदारी सबसे ऊपर है.”
हमारी खीज और गुस्सा बढ़ गया है, दुःख भी हो रहा है कि हमारी भाषा के पैरोकार की उसे दयनीय और हीन बना रहे हैं, वो भी बेतुके बाज़ारवाद के नाम पर. आप लोग क्यों नहीं समझ रहे कि हिंदी का चैनल अथवा अखबार हिंदी में समाचार देखने/सुननेपढ़ने के लिए होता है ना कि अंग्रेजी के लिए? उसके लिए अंग्रेजी के ढेरों अखबार और चैनल हमारे पास उपलब्ध हैं.
मैं इस लेख के माध्यम से इन सारे हिंदी के खबरिया चैनलों और अखबारों से विनती करता हूँ कि हिंदी को हीन और दयनीय बनाना बंद कर दीजिये, उसे आगे बढ़ने दीजिये.मेरा विनम्र निवेदन:
१. हिंदी चैनल/अखबार/पत्रिका अथवा आधिकारिक वेबसाइट में अंग्रेजी के अनावश्यक शब्दों का प्रयोग बंद होना चाहिए.२. जहाँ जरूरी हो अंग्रेजी के शब्दों को सिर्फ देवनागरी में लिखा जाए रोमन में नहीं.३. हिंदी चैनल/अखबार/पत्रिका अथवा आधिकारिक वेबसाइट में हिंदी संक्षेपाक्षरों के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए.