भारत पहुंचे मार्क जुकरबर्ग, कल मोदी से मिलेंगे
नई दिल्ली। फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग दो दिन के भारत
दौरे पर आए हैं ताकि विश्व के सभी लोगों को आपस में संपर्क करने के लिए भारत का
सहयोग मिल सके। कनेक्टिविटी की राह में आने वाली अलग-अलग बाधाओं का जिक्र करते हुए
नई दिल्ली में आयोजित इंटरनेट डॉट ओआरजी सम्मेलन में जुकरबर्ग ने कहा कि नेटवर्क
को लेकर आर्थिक बाधाओं से भी बड़ी बाधाएं सामाजिक हैं।
जुकरबर्ग ने कहा कि लोग जब आपस में जुड़ते हैं तो वे चमत्कारिक काम कर सकते
हैं। एक-दूसरे से जुड़ाव मानव का अधिकार है लेकिन इसमें कई तरह की समस्याएं हैं।
विकसित देशों में पुरुषों की तुलना में 25%द स्त्रियां सोशल
नेटवर्क के साथ कम जुड़ीं हैं। भारत में 69 % नागरिक दुनिया
के साथ सोशल नेटवर्क के माध्यम से अभी भी जुड़े नहीं हैं। इसका कारण यह है कि उन्हें नहीं पता
है कि इंटरनेट के माध्यम से विश्व से जुड़ने के फायदे क्या हैं?
अमेरिका जैसे देश में यदि आपने कोई इंटरनेट सेवा या डाटा प्लान नहीं खरीदा
है तो भी आप स्वास्थ्य, चिकित्सा या आपात सेवा के लिए मुफ्त में सेवाएँ प्राप्त
करते हैं। यदि आपने कोई भुगतान नहीं भी किया है तो अपनी बुनियादी समस्याओं को दूर
करने के लिए निःशुल्क 911 सेवा के माध्यम से इंटरनेट का
इस्तेमाल कर सकते हैं।
हमने बुनियादी सेवाओं के लिए तंजानिया, फिलीपींस जैसे देशों में
कुछ लोगों को सहायता दी है। जुलाई में हमने जाम्बिया में एयरटेल के साथ लोगों को स्वास्थ्य,
शिक्षा व नौकरी के लिए निशुल्क बुनियादी सेवाएँ दीं, जिसके अच्छे नतीजे मिले हैं। कनेक्टिविटी से जुड़ी सामाजिक बाधाओं को ध्यान
में रखते हुए हमने फेसबुक की साज-सज्जा पर भी काफी काम किया है।
फेसबुक एंड्रॉयड ऐप को हमने कमजोर इंटरनेट कनेक्टिविटी को ध्यान में रखते
हुए पुनर्सज्जित किया है और यह अब 50 % ज्यादा तेज हो गई है।
इस से हमें दूरस्थ क्षेत्रों और ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंचने व कनेक्टिविटी में
मदद मिली है।
कनेक्टिविटी में सामाजिक बाधाओं को विस्तार देते हुए जुकरबर्ग ने कहा कि
स्थानीय भाषाओं में इंटरनेट नहीं होना एक अन्य बड़ी चुनौती है। इंटरनेट पर दुनिया की
80% पाठ्य-सामग्री मात्र दस भाषाओं में है। भारत में भी कई
लोग अपनी भाषा में कनेक्टिविटी की सुविधा नहीं मिलने की वजह से दुनिया के साथ नहीं
जुड़ पा रहे हैं। यहां 22 आधिकारिक भाषाएं, 11 लिपियाँ और सौ से ज्यादा स्थानीय बोलियां हैं। दुनिया के साथ जुड़ने और
अच्छी पाठ्य सामग्री का अनुभव लेने के लिए स्थानीय भाषाओं को संवाद की भाषा बनाए
जाने की जरूरत है। 2007 से हम लोगों को स्थानीय भाषाओं में
जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं और हमारे 65% उपयोगकर्त्ता अब
अपनी भाषा में जुड़े हुए हैं। भारत में हम 10 लाख डॉलर की स्थानीय
भाषाओं में ऐप्स विकसित करने के लिए प्रतियोगिता आयोजित करेंगे । साथ ही हम चालीस
हजार डॉलर के निशुल्क ऑनलाइन उपकरण भी देंगे।
दुनिया को कनेक्ट करने का काम केवल एक कंपनी नहीं कर सकती है। इंटरनेट के माध्यम
से दुनिया की युवा पीढ़ियों को एक-दूसरे के साथ जोड़ने के लिए सबके सहयोग की जरूरत
होगी क्योंकि यह काम आसान नहीं है। कनेक्टिविटी के लिए हमें मिलकर काम करना होगा
और उम्मीद है कि मुझे इसके लिए भारत से सहायता मिलेगी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
आपसे विनम्र प्रार्थना है इस पोस्ट को पढ़ने के बाद इस विषय पर अपने विचार लिखिए, धन्यवाद !