भारत सरकार एक
व्यक्ति के लिए दो अलग-२ पहचान संख्या जारी करती रही है अर्थात् एक कंपनी के निदेशक बनने के लिए डीआईएन और एलएलपी अधिनियम 2008 तहत एक एलएलपी में नामित भागीदार बनने डीपीआईएन (DPIN).
भारत सरकार ने इस दुहराव से बचने के लिए, 9 जुलाई २०११ से प्रभावी आदेश के द्वारा डीपीआईएन (DPIN) और डीआईएन (DIN) को एकीकृत करने का निर्णय लिया. अब दोनों प्रयोजनों के लिए एक व्यक्ति को एक ही पहचान संख्या लेने की आवश्यकता होगी.
तदनुसार:
(क).
एलएलपी में नामित भागीदार बनने का इच्छुक कोई भी व्यक्ति ईफार्म: डीआईएन 1 दाखिल करके डीआईएन
प्राप्त कर सकता है. उसे अलग से कोई नया
डीपीआईएन (DPIN) जारी नहीं किया
जाएगा.
(ख).
डीआईएन (DIN) को उक्त एलएलपी अधिनियम के तहत सभी प्रयोजनों के लिए डीपीआईएन
(DPIN) के रूप में इस्तेमाल
किया जा सकेगा.
(ग).
यदि किसी व्यक्ति को डीपीआईएन (DPIN) आबंटित किया गया है तो उसे सभी प्रयोजनों के लिए डीआईएन
(DIN) के रूप में इस्तेमाल किया जा सकेगा.
(घ).
यदि एक व्यक्ति को डीआईएन (DIN) और डीपीआईएन
(DPIN) दोनों आवंटित हुए है
तो उसका डीपीआईएन (DPIN) निरस्त हो जाएगा और एलएलपी अधिनियम और अधिनियम के तहत सभी प्रयोजनों
के लिए अपने डीआईएन (DIN)
को
डीआईएन (DIN) और डीपीआईएन (DPIN) के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा .