अनुवाद

मंगलवार, 21 मई 2013

आदरणीय प्रधानमंत्री जी : आप अपने देश में हिन्दी में क्यों नहीं बोलते ?

प्रति: manmohan@sansad.nic.in

प्रति,
श्री मनमोहन सिंह,
प्रधानमंत्री,
भारत सरकार,
नई दिल्ली 

माननीय महोदय,

बड़ी विनम्रता के साथ यह बात रखा रहा हूँ. कल (२० मई २०१३) आपके और चीनी प्रम (प्रधानमंत्री) के प्रेस वक्तव्य के बाद सामाजिक मीडिया पर भारत के लोगों ने अपना दुःख व्यक्त किया कि चीन के  प्रधानमंत्री ली ने भारतीय पत्रकारों को चीनी भाषा में ही संबोधित किया पर आपने अपना पूरा वक्तव्य अंग्रेजी में दिया. मेरे मन में भी इस बात की पीड़ा थी इसलिए सीधे आपके समक्ष रख रहा हूँ.

कल जिस किसी ने भी टीवी चैनलों पर विश्व के दो सबसे अधिक जनसंख्या वाले देशों के माननीय प्रधानमंत्रियों के भाषण सुने होंगे, उसे चीन और भारत में फर्क समझ में आ गया होगा।



माननीय प्रधानमंत्री जी आप अपने ही देश में अपने ही लोगों के बीच उस भाषा में बोले जिसे मात्र ३ प्रतिशत भारतीय समझते हैं, आपने उस भाषा में बोलने का साहस नहीं किया, जिसे लगभग पूरा देश समझता है। वहीं चीनी प्रधानमंत्री उस भाषा में बोले जिसे भारत में कुछ गिने चुने लोग ही समझते होंगे.  इसे चीन के  प्रधानमंत्री ली की राष्ट्रप्रेम की भावना ही कहा जाएगा कि दूसरे देश में, अपरिचित लोगों में भी अपनी मां का सम्मान उन्होंने किया, इस बात की परवाह किए बिना कि सुनने वाले चीनी भाषा  नहीं जानते.

कल आपने भी यदि अपना वक्तव्य हिन्दी में दिया होता तो देश का मान बढ़ जाता और भारत चीन से दो कदम आगे की राह तय करता. आपको हिन्दी में बोलना कोई क़ानूनी अनिवार्यता नहीं है पर इस देश के नागरिक होने के नाते हम आपसे अनुरोध कर सकते हैं कि आप भारत की राजभाषा का इस्तेमाल करें और सरकार के कामकाज में हिन्दी के प्रयोग को प्राथमिकता के आधार पर बढ़ावा दें, आखिर हिन्दी देश के ८० करोड़ से ज्यादा नागरिकों द्वारा इस्तेमाल जो की जाती है.

ऊपर से आपके मीडिया वक्तव्य का हिन्दी रूपान्तर 20-मई, 2013 को रात्रि 20:27 बजे जारी हुआ. क्या भारत सरकार की प्रेस विज्ञप्तियाँ/आपके अथवा राष्ट्रपति जी के आधिकारिक भाषण एक समय पर एक साथ हिन्दी-अंग्रेजी में जारी नहीं किए जा सकते? यह सब हो सकता है यदि आप ऐसा आदेश जारी कर दें. 

विभिन्न मंत्रालयों द्वारा जारी की जाने वाली अंग्रेजी और हिन्दी की विज्ञप्तियों के जारी होने के समय में ४-५ घंटे से लेकर २-३ दिन तक के समय का भारी अंतर होता है, इसी तरह भारत सरकार की वेबसाइटों का हाल है हिन्दी वेबसाइटें महीनों अद्यतन नहीं की जाती पर अंग्रेजी की वेबसाइटें हमेशा और हर समय अद्यतन की जाती हैं. इसी बात से पता चलता है कि भारत सरकार राजभाषा हिन्दी को लेकर कितनी गंभीर है. हिन्दी का भारत सरकार के कामकाज में इस्तेमाल केवल औपचारिकता से अधिक कुछ नहीं है. आप सरकार के मुखिया हैं जब आप ही हिन्दी का प्रयोग नहीं करेंगे तो शेष लोगों से हम हिन्दी के प्रयोग की उम्मीद नहीं कर सकते.


भवदीय,
प्रवीण जैन, मुंबई