१९ अप्रैल २०१३
प्रति,
माननीय
राष्ट्रपति महोदय
भारतीय
गणतंत्र
राष्ट्रपति
भवन,
नई दिल्ली
विषय:स्वास्थ्य
मंत्रालय द्वारा राजभाषा की उपेक्षा के सम्बन्ध में
शिकायत
माननीय
राष्ट्रपति महोदय,
मैं राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय को 12 जनवरी २०१३ (अधोलिखित ईमेल) से लगातार लिख रहा
हूँ कि स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा राजभाषा सम्बन्धी नियमों का उल्लंघन किया
जा रहा है साथ ही शिकायत की प्रतिलिपि स्वास्थ्य मंत्रालय को भी लगातार भेजी गई है. मैंने अनुरोध किया है कि राजभाषा सम्बन्धी प्रावधानों की उपेक्षा ना
की जाए और जहाँ-२ उल्लंघन हो रहा है उसे रोका जाए पर ३-३ अनुस्मारक भेजने के बाद
भी राजभाषा विभाग अथवा स्वास्थ्य
मंत्रालय की ओर से ना तो कोई
उत्तर मिला है और ना ही अब तक कार्यवाही की गई है.
आपसे विनम्र
प्रार्थना है कि शीघ्र निर्देश जारी करें एवं राजभाषा की उपेक्षा करने वाले संबंधित अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए.
Cc: hfm@alpha.nic.in
प्रति,
राजभाषा
विभाग, गृह मंत्रालय
एनडीसीसी-II (नई दिल्ली सिटी सैंटर) भवन, 'बी' विंग
चौथा तल, जय सिंह रोड़
नई दिल्ली - 110001
विषय: स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा राजभाषा अधिनियम का उल्लंघन के सम्बन्ध में लोक शिकायत:
महोदय,
स्वास्थ्य
एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा भारत की राजभाषा की घोर उपेक्षा
की जा रही है तथा राजभाषा सम्बन्धी संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन हो रहा है.
चूँकि यह मंत्रालय देश के आम आदमी से जुड़ा हुआ है इसलिए भी इसके कामकाज में हिन्दी
भाषा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. आम लोगों को जब स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी
उनकी अपनी भाषा में नहीं दी जाएगी तो उन्हें स्वास्थ्य
योजनाओं का लाभ क्या मिलेगा, यह
दूर की कौड़ी है.
शिकायत
के मूल बिंदु:
१.
सभी कार्यक्रमों के बैनर हिंदी में ना छापकर केवल अंग्रेजी में छापे जा रहे हैं. 10 जनवरी २०१३ , ११ जनवरी २०१३ एवं 12 जन 2013 को दिल्ली में आयोजित ब्रिक्स देशों के स्वास्थ्य सचिवों की बैठक /सम्मेलन
एवं लाल फीता एक्सप्रेस समापन समारोह के चित्र संलग्न
हैं. इनमें सभी बैनर आदि केवल अंग्रेजी में ही बनवाए गए. (अनुलग्नक देखें )
२.
लेखन सामग्री (स्टेशनरी),लिफाफा छपाई, पत्र-शीर्ष,
रबर की मुहरों आदि के निर्माण में भी अंग्रेजी
को प्राथमिकता.
३.
आधिकारिक वेबसाइट भी हिंदी में उपलब्ध नहीं है. हिन्दी वेबसाइट के नाम पर केवल
मुखपृष्ठ ही हिन्दी में बनाया गया है जिसमें सभी मदों पर क्लिक करने पर अंग्रेजी
वेबसाइट खुल जाती है. अंग्रेजी वेबसाइट पर सभी प्रेस विज्ञप्तियां एवं आंकड़े, पीडीएफ फाइलें केवल अंग्रेजी में ही उपलब्ध हैं।
४.
मंत्रालय द्वारा प्रतीक चिन्हों के चयन में भी अंग्रेजी को प्राथमिकता दी गई है राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के प्रतीक चिन्ह में अंग्रेजी ऊपर
है जबकि हिन्दी के अक्षर भी छोटे है और हिन्दी को एकदम नीचे रखा गया है. इसमें
सुधार करवाया जाए. (अनुलग्नक देखें )
५.
इसी तरह भारतीय खाद्य संरक्षा और मानक प्राधिकरण का प्रतीक चिन्ह केवल
अंग्रेजी में बनाया गया है इसमें भी अविलम्ब हिन्दी को प्राथमिकता देते हुए शामिल
करवाया जाए.(अनुलग्नक देखें )
6. इसी तरह राष्ट्रिय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) का प्रतीक चिन्ह केवल अंग्रेजी में बनाया गया
है इसमें भी अविलम्ब हिन्दी को प्राथमिकता देते हुए शामिल करवाया जाए.(अनुलग्नक देखें )
मंत्रालय से संबद्ध अन्य विभाग/संगठनों
में से किसी भी संगठन की हिन्दी में वेबसाइट उपलब्ध नहीं है:
वेबसाइटें इस प्रकार हैं:
इन
सब बातों को देखते हुए सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में
हिंदी की क्या स्थिति होगी? स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण
मंत्रालय एवं उसके अधीनस्थ सभी कार्यालयों/विभागों को कहा जाए कि सभी
वेबसाइट भारत की राजभाषा में उपलब्ध करवाएं एवं प्रतीक-चिन्हों के चयन में हिंदी
को प्राथमिकता दी जाए जो प्रतीक चिन्ह अभी केवल अंग्रेजी में हैं उनमें अविलम्ब
हिंदी को शामिल किया जाए।
राजभाषा
विभाग के वर्ष 2013-14 के वार्षिक कार्यक्रम में राष्ट्रपति सचिवालय,
प्रधान मंत्री कार्यालय एवं केंद्र
सरकार के सभी मंत्रालय, तीनों
सेनाओं, सभी सरकारी कंपनियों, सभी
सरकारी शिक्षण संस्थाओं एवं संगठनों को निर्देशित किया
जाए कि उनके द्वारा बनाए जाने वाले सभी प्रतीक-चिन्ह (लोगो) केवल हिंदी/संस्कृत में बनाये जाएं और यदि
प्रतीक-चिन्ह में अंग्रेजी को शामिल करना है तो उसमें हिंदी को प्राथमिकता दी जाए, प्रतीक-चिन्ह में हिंदी के अक्षर बड़े, ऊपर हों अथवा अंग्रेजी अक्षरों से पहले अथवा आगे होने चाहिए। केंद्र सरकार के जिन मंत्रालय, सेनाओं,
सरकारी कंपनियों, सरकारी शिक्षण संस्थाओं एवं संगठनों में अभी केवल अंग्रेजी वाले अथवा
हिंदी-अंग्रेजी के अलग-2 प्रतीक चिन्ह प्रयोग में
लाये जा रहे हैं उनको आवश्यक सुधार करने के लिए कहा जाए।
विनम्र
निवेदन: बेहतर तो होगा कि राजभाषा विभाग इस साल केंद्र सरकार के प्रतीक-चिन्ह एवं वेबसाइट दिशा - निर्देश/नीति लागू की जाए इससे समस्या का हमेशा के लिए हल काफी
हद तक हो जाएगा।
आशा
करता हूँ आप शीघ्र निर्देश जारी करेंगे।