अनुवाद

शुक्रवार, 13 जून 2014

बैकिंग सेवाएँ जब तक भारतीय भाषाओं में नहीं दी जाती, वित्तीय समावेशन सिर्फ सपना है

वित्त मंत्रालय (वित्तीय सेवाएँ विभाग)

विषयसूचना का अधिकार अधिनियम के अधीन आवेदन

महोदय,
हम जानना चाहते हैं कि राजभाषा को प्रोत्साहन देने एवं भारत की आम जनता को उनकी अपनी भाषाओं में बैंकिंग और वित्त सम्बन्धी सेवाएँ दिलाने के लिए सरकार कितनी सजग व तत्पर है? वैसे तो आधुनिक युग की सभी ऑनलाइन सेवाएँ केवल अंग्रेजी जानने वाले मुट्ठीभर लोगों के लिए शुरू की जा रही हैं और वित्तीय समावेशन केवल एक दिखावा है. जब तक ग्राहक को उसकी भाषा में बैंकिंग सेवाएँ नहीं मिलेंगी तो वो बैंक से जुड़ेगा ही क्यों? और जुड़ जाए तो अंग्रेजी के दम पर बैंक उसका शोषण करते ही रहेंगे और उसे पता भी नहीं चलेगा. अतः निम्न प्रश्न  जन सूचना अधिकार के अंतर्गत पूछे जाते हैंकृपया30 दिनों के अंदर हिन्दी में बिन्दुबार स्पष्ट उत्तर देने की कृपा करें:

1.    वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए वित्त मंत्रालय कौन-सी मोबाइल बैंकिंग सेवा निकट भविष्य में शुरू करने जा रहा है, जो उन बैंक ग्राहकों के लिए होगी जो कि स्मार्टफोन (इंटरनेट और अन्य सुविधाओं से लैस मोबाइल फोन) का इस्तेमाल नहीं करते हैं?
2.    उक्त सेवा को किस-किस भारतीय भाषा में उपलब्ध करवाने के लिए सरकार ने दूरसंचार कंपनियों से अनुबंध किया है?
3.    यदि उक्त सेवा केवल अंग्रेजी में शुरू होगी तो जो 95% भारतीय नागरिक (बैंक ग्राहक) अंग्रेजी नहीं जानते है उनका वित्तीय समावेशन सरकार किस प्रकार करेगी, उसके लिए क्या योजना है?
4.    उक्त सेवा के लिए सरकार ने किस-२ दूरसंचार कंपनी से अनुबंध किए हैं?
5.    उक्त अनुबंध नियमानुसार राजभाषा एवं अंग्रेजी में तैयार किए गए हैं अथवा कानून का उल्लंघन करते हुए केवल अंग्रेजी में?
6.    भारत सरकार ने निजी बैंकों को भारत के आम बैंक-ग्राहकों को एसएमएस चेतावनी एवं ऑनलाइन बैंकिंग/नेट बैंकिंग सेवा अंग्रेजी के अलावा किस-२ भाषा में उपलब्ध करवाने के निर्देश अब तक जारी किए हैं?
7.    भारत सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र बैंकों को भारत के बैंक ग्राहकों को एसएमएस चेतावनी एवं ऑनलाइन बैंकिंग/नेट बैंकिंग सेवा अंग्रेजी के अलावा किस-२ भारतीय भाषा में उपलब्ध करवाने के निर्देश अब तक जारी किए हैं? और अब तक सार्वजनिक क्षेत्र के किस-२ बैंक ने ग्राहकों को उनकी भाषा में ये दोनों सेवाएँ देना आरंभ कर दिया है?
8.    भारत सरकार ने निजी बैंकों के लिए वेबसाइट बनाने के सम्बन्ध में क्या नियम बनाए हैं और निजी बैंकों की वेबसाइट अंग्रेजी के अलावा किस-२ भाषा में बनाई जानी चाहिए? 

9.    भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम लिमिटेड ने राजभाषा अधिनियम का उल्लंघन करते हुए अपना प्रतीक-चिह्न (NPCI) और ‘रुपे’ (RUPAY) का चिह्न एवं वेबसाइट केवल अंग्रेजी में बनाई है जो भारत के उन 95% ग्राहकों के अधिकारों का भी हनन है, जो बैंकों की सेवाएँ लेते हैं तथा अंग्रेजी का एबीसी भी नहीं जानते, इस सम्बन्ध में कानून का उल्लंघन रोकने एवं ग्राहकों को बैंकिंग सेवाएँ भारतीय भाषाओं में दिलवाने हेतु सरकार क्या कदम उठा रही है?