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मंगलवार, 25 जून 2013

योजना आयोग के मुख्यालय में राजभाषा अनुपालन

दिनांक: 22 जून 2013  


प्रति,केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी,
योजना आयोग, भारत सरकारकमरा नं 559, योजना भवन
संसद मार्ग, नई दिल्ली - ११०००१

विषय: सूचना का अधिकार 2005 के अधीन सूचना प्राप्त हेतु. महोदय,



उपर्युक्त विषयान्तर्गत निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर हिन्दी में प्रदान करने की कृपा करें:

1)     योजना आयोग के मुख्यालय में राजभाषा अनुपालन की क्या स्थिति है?
2)     क्या योजना आयोग ने हिन्दी सलाहकार समिति अथवा राजभाषा कार्यान्वयन समिति गठित की है? ऐसी समिति की पिछले २ वर्ष की बैठकों का विवरण प्रदान करें.
3)     योजना आयोग के मुख्यालय में राजभाषा अनुपालन के लिए कितने हिन्दी अधिकारी नियुक्त किए गए हैं उनका विवरण क्या है?
4)     योजना आयोग के सामाजिक माध्यमों (ट्विटर, फेसबुक, यूट्यूब, पिंटरेस्ट, ब्लॉग आदि) के आधिकारिक पतों की जानकारी दें और बताएँ कि ये किस-२ तिथि को शुरू किए गए?
5)     योजना आयोग के सामाजिक माध्यमों (ट्विटर, फेसबुक, यूट्यूब, पिंटरेस्ट, ब्लॉग आदि) पर जानकारी किस भाषा में डाली जाती है?
6)     योजना आयोग के सामाजिक माध्यमों (ट्विटर, फेसबुक, यूट्यूब, पिंटरेस्ट, ब्लॉग आदि) पर हिन्दी का प्रयोग कब से आरम्भ किया जाएगा?
7)     योजना आयोग के सामाजिक माध्यमों (ट्विटर, फेसबुक, यूट्यूब, पिंटरेस्ट, ब्लॉग आदि) के आधिकारिक खातों पर केवल अंग्रेजी के प्रयोग का निर्णय/आदेश किसका है, तत्सम्बन्धी नियम क्या है उसकी प्रति उपलब्ध करवाएँ?
8)     योजना आयोग ने अपनी वेबसाइट कब (दिनांक) और किस भाषा में शुरू की थी?
9)     योजना आयोग ने अपनी हिन्दी वेबसाइट कब (दिनांक) शुरू की थी?
10)    योजना आयोग की मुख्य वेबसाइट की राजभाषा में उपलब्धता, नवीनतम एवं त्रुटिविहीन जानकारी के कौन अधिकारी उत्तरदायी है, उनका नाम/पता/ईमेल सहित पूरा विवरण प्रदान करें?
11)    योजना आयोग की मुख्य हिन्दी वेबसाइट आधी-अधूरी है और समय-२ पर अद्यतन नहीं की जा रही है. कई पृष्ठों पर क्लिक करने पर अंग्रेजी वेबसाइट के पृष्ठ अथवा अंग्रेजी पीडीएफ फाइलें खुल जाती हैं, कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ हिन्दी में उपलब्ध नहीं हैं, उपलब्ध हिन्दी सामग्री में वर्तनी की ढेरों त्रुटियाँ भी हैं, मुखपृष्ठ पर भी त्रुटियाँ है. इन सभी कमियों को कब तक दूर कर लिया जाएगा? इसकी क्या योजना है?
12)    चूँकि हिन्दी भारत सरकार की राजभाषा है फिर भी योजना आयोग की वेबसाइट मूलरूप से अंग्रेजी में खुलती है. ऐसा किस नियम/प्रावधान/निर्णय/आदेश के अधीन किया जा रहा है, उसकी प्रति उपलब्ध करवाएँ?
13)    हिन्दी वेबसाइट पर १००% सामग्री हिन्दी में कब उपलब्ध होगी?
14)    योजना आयोग द्वारा संचालित सभी वेबसाइटों के नाम/पते क्या हैं ? और इनमें से कौन-२ सी वेबसाइट हिन्दी में उपलब्ध हैं तथा कौन सी वेबसाइट केवल अंग्रेजी में?
15)    योजना आयोग ने १२वीं पंचवर्षीय योजना का मसौदा किस दिन और किस भाषा में प्रकाशित किया था, तिथि सूचित करें?
16)    योजना आयोग की १२वीं पंचवर्षीय योजना का मसौदा हिन्दी में कब उपलब्ध होगा, तिथि सूचित करें?
17)    किस नियम/प्रावधान/अधिनियम के अनुसार १२वीं पंचवर्षीय योजना अंग्रेजी भाषा में पहले जारी की गई, उसकी प्रति उपलब्ध करवाएँ?
18)    योजना आयोग के मुख्यालय में प्रयोग में लाये जा रहे पत्र-शीर्ष, लिफाफे, रबर की मुद्राएँ, अधिकारियों के नामपट, फाइल आवरण पर विवरण, दिशा-सूचक निर्देश (साइनेज) आदि किस भाषा में बनाये गए हैं?
19)    योजना आयोग के मुख्यालय में प्रयोग में लाये जा रहे ऐसे पत्र-शीर्ष, लिफाफे, रबर की मुद्राएँ, अधिकारियों के नामपट, फाइल, दिशासूचक-निर्देश (साइनेज) आदि का विवरण प्रदान करें जो केवल अंग्रेजी में हैं?
20)    योजना आयोग द्वारा जारी की जाने वाली प्रेस-विज्ञप्तियाँ मूल रूप से किस भाषा में जारी की जाती हैं, इस सम्बन्ध में क्या नियम हैं?
21)    योजना आयोग द्वारा पिछले एक वर्ष में कितनी प्रेस विज्ञप्तियाँ हिन्दी में जारी की गईं?
22)    योजना आयोग द्वारा गत ३ वर्षों में कितने समारोह/सम्मेलन/प्रेस सम्मेलन आयोजित किए गए? इनमें से कितने कार्यक्रमों के आमंत्रण-पत्र, बैनर, पोस्टर केवल अंग्रेजी में बनाये गए?
23)    आगे यह भी बताएँ कि इनमें से कितने कार्यक्रमों में मुख्य-अतिथियों के नाम की मेज पट्टिका (टेबल नेम प्लेट) केवल अंग्रेजी में बनाई गई?
24)    योजना आयोग द्वारा प्रदान किए जाने वाले विभिन्न पुरस्कारों के साथ प्रदान किए जाने वाले स्मृतिचिह्न (मेमेंटो) एवं प्रशस्तिपत्र/प्रमाण-पत्रों पर किस भाषा का प्रयोग किया जाता है, तत्सम्बन्धी आदेश/नियम क्या है?
25)    योजना आयोग के अधीन/ नियंत्रण में कार्यरत निकायों की सूची प्रदान करें.
26)    योजना आयोग के अधीन/ नियंत्रण में कार्यरत निकायों में राजभाषा अनुपालन की क्या स्थिति है?
27)    योजना आयोग के अधीन/ नियंत्रण में कार्यरत कितने निकायों की वेबसाइटें राजभाषा में उपलब्ध हैं? उनका पता क्या है?
28)    जिन निकायों की वेबसाइटें हिन्दी में उपलब्ध नहीं हैं? उनकी हिन्दी वेबसाइटें कब आरंभ की जाएँगी, उसकी क्या योजना है?
29)    १२वीं पंचवर्षीय योजना में हिन्दी के विकास और प्रसार के लिए कितनी धनराशि आबंटित की गई है?
30)    योजना आयोग में कौन-२ से कार्य मूल रूप से राजभाषा में किए जाते हैं, सूचित करें?
31)    डाटा पोर्टल हिन्दी में कब उपलब्ध होगा, उसकी योजना क्या है?  
संलग्न: शुल्क हेतु १० रु का भाडाआ (आईपीओ)  


सोमवार, 1 अप्रैल 2013

कौन हैं श्यामरुद्र पाठक : क्यों माँग रहे तमिल भाषा में न्याय

रिहा होते ही पाठक पहुंच जाते हैं सत्याग्रह करने 10 जनपथ 

नई दिल्ली। १ अप्रैल २०१३ 
आईआईटी की भाषा को बदल चुके श्याम रुद्र पाठक अब कानून की भाषा को बदलने के लिए सत्याग्रह कर रहे हैं। कोर्ट की भाषा देश की भाषा हो, इसके लिए वे 4 दिसंबर २०१२ से लगातार यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास 10 जनपथ के सामने धरना देने पहुंचते हैं, जहां से तुगलक रोड थाने की पुलिस उन्हें हिरासत में लेकर थाने पहुंचा देती है। इस प्रकार ११४ दिन से पुलिस पाठक को हिरासत में ले रही है और 23 घंटे बाद रिहा कर दे रही है। रिहा होने के बाद वे फिर लौटकर 10 जनपथ धरना देने पहुंच जा रहे हैं। श्याम रुद्र पाठक वह शख्सियत हैं जिन्होंने दिल्ली आईआईटी में अपनी प्रोजेक्ट रिपोर्ट हिन्दी भाषा में लिखी थी, जिसे संस्थान द्वारा स्वीकार नहीं किया जा रहा था। 

भगवत झा आजाद द्वारा यह मामला संसद में उठाया गया। इसके बाद पाठक की प्रोजेक्ट रिपोर्ट स्वीकार की गयी और आईआईटी में अंग्रेजी के अलावा हिन्दी भाषा में भी प्रोजेक्ट रिपार्ट लिखने का कानूनी हक छात्रों को मिल गया। पाठक के आंदोलन की देन है कि आईआईटी की प्रवेश परीक्षा या प्रश्नपत्र से अंग्रेजी भाषा की अनिवार्यता खत्म हो गई और वर्ष 1990 से अंग्रेजी के साथ-साथ हिन्दी भाषा में भी प्रश्नपत्र जारी होने लगा। अभियांत्रिकी में अंग्रेजी भाषा की अनिवार्यता को खत्म करा चुके पाठक अब कानून की भाषा को बदलने के लिए सत्याग्रह कर रहे हैं। 

अपने दो साथियों विनोद कुमार पांडेय और गीता मिश्रा के साथ तुगलक रोड थाने से रिहा होने के बाद सोनिया गांधी के निवास, 10 जनपथ धरना देने पहुंचने पर श्याम रुद्र पाठक को हर दिन पुलिस ने हिरासत में ले लेती है । औपचारिक बातचीत के दौरान पाठक ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद-348 में न्यायालय की भाषा अंग्रेजी है। 

वे न्यायालय की भाषा अंग्रेजी की अनिवार्यता को खत्म कराने के लिए सत्याग्रह कर रहे हैं और सरकार से संविधान में संशोधन की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल भाषाओं को अदालती कामकाज की भाषा बनाया जाए। जिससे वकीलों को अपनी भाषा में जिरह करने की छूट मिल सके और मुवक्किल को भी निर्णय की प्रति उसकी भाषा में मिल सके। ध्यातव्य है कि सत्याग्रह शुरू करने से पहले श्याम रुद्र पाठक तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी पाटिल, प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह, यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी, लोकसभा अध्यक्ष, भाजपा अध्यक्ष समेत 30 जनप्रतिनिधियों को पत्र लिखकर इस हेतु अवगत करा चुके हैं। 

21 सितम्बर २०१२ को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आस्कर फर्नांडीस ने श्री पाठक को फोन कर बातचीत के लिए कांग्रेस मुख्यालय बुलाया था। इसके बाद 23 से 30 अक्टूबर के बीच पांच दौर की बातचीत कांग्रेस मुख्यालय में हुई। इस दौरान आस्कर ने बताया कि उन्होंने सोनिया गांधी को रिपोर्ट सौंप दी है। इसके अलावा तत्कालीन विधिमंत्री सलमान खुर्शीद को भी रिपोर्ट सौंपी जा चुकी है।

बहरहाल कैबिनेट में संविधान संशोधन के लिए विधेयक लाया जाएगा या नहीं, इसको लेकर कोई आश्वासन नहीं मिला। पाठक ने फिर 14 नवम्बर को सोनिया गांधी को पत्र लिखकर ध्यान आकर्षित किया। लेकिन जवाब नहीं मिलने पर 28 नवम्बर को उन्होंने पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा आला नेताओं को पत्र लिखकर 4 दिसंबर २०१२ से सत्याग्रह करने का ऐलान कर दिया। न्याय एवं विकास अभियान संस्था के बैनर तले 4 दिसंबर २०१२ से वह लगातार अपने दो साथियों के साथ सोनिया गांधी के निवास के सामने धरना देने पहुंचते हैं और तुगलक रोड थाने की पुलिस उन्हें हिरासत में ले लेती है। महिला होने के नाते गीता मिश्रा को देर रात पुलिस अपनी जिप्सी में बैठाकर उनके घर छोड़ देती है और वह सुबह होते ही तुगलक रोड थाने आ जाती हैं।

चूंकि 24 घंटे तक पुलिस उन्हें कानूनी तौर पर थाने में नहीं रख सकती, लिहाजा 23 घंटे बाद रिहा कर दिया जाता है। मात्र तीन सत्याग्रही होने के नाते धारा 144 का उल्लंघन भी नहीं हो रहा है। ऐसे में पुलिस गिरफ्तार भी नहीं कर पा रही है। पाठक ने कहा कि उनका सत्याग्रह तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार ठोस आश्वासन नहीं दे देती। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी हमारे ऊपर शासन करने वाले विदेशियों की भाषा है। अभिजात्य वर्ग की इस भाषा को खत्म करने के लिए उनका सत्याग्रह चलता रहेगा।