18 जून 2013
सूचना के अधिकार के अंतर्गत शारीरिक तौर पर अक्षम व्यक्तियों के हित में पूछे गए कुछ प्रश्नों का उत्तर हिन्दी में देने से सर्वोच्च न्यायालय प्रशासन ने मना कर दिया है। केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी (केलोसूअधि.) ने राजभाषा में उत्तर न देते हुए कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय के कार्यालय की भाषा अंग्रेजी है।
उन्होंने न्यायालय के नियमों और संविधान के अनुच्छेद 348 का सन्दर्भ भी दिया है। जबकि सूचना का अधिकार अधिनियम (सूचना कानून = सूका) के अंतर्गत सूचनाएं हिन्दी एवं अंग्रेजी, दोनों ही भाषाओं में मांगी जा सकती है।
इसके अलावा हाल ही में शीर्षस्थ न्यायालय ने ही एक मामले में स्पष्ट किया था कि भाषा आधारित दक्षता न होने पर आम जनता को किसी राज्य में कठिनाई नहीं होनी चाहिए। आवेदन, अपील या पेशकश हिन्दी -अंग्रेजी में कर सकते हैं।
उत्तर प्रदेश के हापुड़ निवासी सामाजिक कार्यकर्ता विकास शर्मा की ओर से सर्वोच्च न्यायालय से विकलांग लोगों के संबंध में सरकार, विभागों को न्यायालय की ओर से दिए गए सुझावों, आदेश व निर्णय की मांग की गई थी।
सूचना का अधिकार अधिनियम (सूका) के आवेदन में पांच प्रश्न किए गए थे, जिनके उत्तर हिन्दी में दिए जाने की मांग करते हुए यह भी पूछा गया था कि सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश, प्रशासनिक कार्यालय व आदि पदों पर कितने विकलांग लोग कार्यरत हैं।
उत्तर में अतिरिक्त पंजीयक व केलोसूअधि. ने हिन्दी में उत्तर न देते हुए स्पष्ट किया कि शीर्षस्थ न्यायालय के कार्यालय की भाषा अंग्रेजी है। अंग्रेजी में पहले और दूसरे प्रश्न के उत्तर देते हुए केलोसूअधि. ने सूचनाएं एकत्रित न किए जाने, तीसरे व चौथे को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर बताया है। जबकि पांचवें प्रश्न का कोई उत्तर ही नहीं दिया गया है।
सूचना का अधिकार अधिनियम (सूका) कार्यकर्ता के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय प्रशासन सूचना के अधिकार के अंतर्गत पूछे गए प्रश्न का उत्तर देने से मना नहीं कर सकता क्योंकि सूचना अधिकार अधिनियम (सूका) में लोक प्राधिकरणों एवं जन सूचना अधिकारियों को इस संबंध में स्पष्ट निर्देश दिया गया है।
ऐसे में हिन्दी में उत्तर देने से केलोसूअधि. मना नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि न्यायालय के कार्य की भाषा अंग्रेजी है। पर केलोसूअधि. तो सूचना का अधिकार अधिनियम (सूका) के अनुसार मांगी गई सूचनाओं का उत्तर देंगे, न कि सर्वोच्च न्यायालय के नियमों के अंतर्गत उत्तर देंगे।
शर्मा ने कहा कि वह सर्वोच्च न्यायालय केलोसूअधि. के उत्तर के विरुद्ध अपील करेंगे।
पिछले महीने मई में सर्वोच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय जारी कर एक नौसेना कर्मचारी की ओर से हिन्दी में दस्तावेज उपलब्ध कराने की मांग को सही ठहराते हुए बांबे उच्च न्यायालय के निर्णय को निरस्त कर दिया था।