अनुवाद

मंगलवार, 4 जून 2013

विधि एवं न्याय मंत्रालय: कानून बनाने वाला मंत्रालय जब स्वयं करे कानून का उल्लंघन

प्रति,
श्रीमान निदेशक (शिकायत)
राजभाषा विभाग, 
गृह मंत्रालय 
नई दिल्ली

महोदय,

श्री एस. विजय कुमार, अवर सचिव एवं केलोसूअधि, विधि एवं न्याय मंत्रालय, न्याय विभाग, नई दिल्लीद्वारा राजभाषा अधिनियम का उल्लंघन


उक्त प्रसंग में निवेदन है कि उक्त अधिकारी को मेरा आर टी आई आवेदन जो मूल रूप से राष्ट्रपति भवन को दिनांक २७.०४.२०१३ को हिंदी में प्रेषित किया गया था उसे राष्ट्रपति भवन से ६ मई २०१३ को विधि एवं न्याय मंत्रालय, न्याय विभाग, को हस्तांतरित किया गया. मेरा आवेदन एवं राष्ट्रपति सचिवालय का पत्र हिन्दी में होने के कारण प्रत्युतर हिंदी में ही दिया जाना चाहिए था किन्तु उक्त अधिकारी ने प्रार्थी के आवेदन का उत्तर अपने पत्र दिनांक २२ मई २०१३  से अंग्रेजी भाषा में दिया है| 

ध्यान दें कि लिफाफे पर पता भी अंग्रेजी में लिखा गया और जो पत्र-शीर्ष प्रयोग में लाया गया वह भी अंग्रेजी में ही है. लिफाफे पर प्रेषक की रबर की मुहर भी केवल अंग्रेजी में लगाई गई है. चूँकि विषय सूचना के अधिकार का है अत: उन्हें निर्दिष्ट किया जाए कि उक्त उत्तर का हिंदी अनुवाद प्रार्थी को अविलम्ब भेजा जाए ताकि ३० दिन के अंदर प्रार्थी अपील का मामला होने पर प्रार्थी समय पर अपील जमा करा सके एवं भविष्य में हिंदी में प्राप्त पत्रों के उत्तर हिंदी में ही देना सुनिश्चित करें|

मैं यहाँ (क) अंग्रेजी उत्तर की लिफाफे सहित प्रति, (ख) न्याय विभाग से एक अन्य अधिकारी द्वारा श्री एस. विजय कुमार, अवर सचिव एवं केलोसूअधि को आवेदन अंतरित करने से संबंधित पत्र की लिफाफे सहित प्रति (ग) राष्ट्रपति सचिवालय से प्राप्त पत्र की प्रति (घ) मंत्रालय के राजभाषा प्रकोष्ठ के मुखपृष्ठ की स्क्रीन का स्नैपशॉट संलग्न कर रहा हूँ.
  • विधि एवं न्याय मंत्रालय को तुरंत निर्देशित किया जाए कि अपने मुख्यालय एवं अधीनस्थ सभी विभागों में केवल अंग्रेजी में छपी रबर की मुहरों को तुरन्त प्रयोग से बाहर करे और नयी द्विभाषी मुहरें प्रयोग में लायी जाएँ.
  • विधि एवं न्याय मंत्रालय को आगे यह भी निर्देशित किया जाए कि अपने मुख्यालय एवं अधीनस्थ सभी विभागों में केवल अंग्रेजी वाले पत्र-शीर्षों एवं लिफाफों का प्रयोग बंद करे और सभी प्रकार के पत्राचार में द्विभाषी पत्र-शीर्ष एवं लिफाफों को प्रयोग में लाने का प्रबंध करे.
  • आगे यह भी यह भी निर्देश भेजा जाए कि मंत्रालय की वेबसाइट १००% हिन्दी में उपलब्ध करवाई जाए. अभी वेबसाइट केवल अंग्रेजी में ही है. राजभाषा सम्बन्धी पृष्ठ तो है पर यह यूनिकोड में नहीं और फॉण्ट डाउनलोड अथवा सहायता का विकल्प भी नहीं दिया है. (अनुलग्नक में मुखपृष्ठ की स्क्रीन का स्नैपशॉट देखें)


सादर
भवनिष्ठ