अनुवाद

बुधवार, 10 जुलाई 2013

मांस निर्यात नीति की समीक्षा हेतु याचिका: अपनी राय १७ जुलाई २०१३ के पहले केंद्र सरकार को ईमेल करें

कृपया इस संदेश को व्हाट्सऐप एवं फेसबुक पर अधिक से अधिक लोगों के साथ साझा करें.

मांस निर्यात नीति की समीक्षा करने सम्बन्धी याचिका समिति के सदस्य ४ जून २०१३ को रायपुर में विराजित श्वेताम्बर जैन आचार्य श्री रत्नसुन्दर सूरीजी महाराज से मिलने आए थे. इस संबंध में भारत सरकार ने आम जनता से भारत सरकार की मांस निर्यात नीति की समीक्षा के बारे में राय आमंत्रित की है. आप सभी से अनुरोध है कि आप अपनी राय और समर्थन-पत्र डाक से अथवा ईमेल द्वारा १७ जुलाई २०१३ के पहले-२ राज्य सभा की समिति तक भिजवा दें. आईए सच्चे अहिंसक एवं गोमाता के भक्त कहलाने वाले सभी मिलकर इस अभियान को सफल बनाएँ. 

यह समीक्षा याचिका श्वेताम्बर जैन आचार्य श्री रत्नसुन्दर सूरीजी महाराज ने दायर की है. हम भारत से मांस निर्यात को रोकने के लिए दायर की गयी याचिका के सम्बन्ध में अधिक से अधिक संख्या में समर्थन-पत्र उक्त समिति को भिजवाना चाहते हैं.

श्वेताम्बर जैन आचार्य श्री रत्नसुन्दर सूरीजी महाराज द्वारा दायर भारत सरकार की मांस निर्यात नीति की समीक्षा याचिका के समर्थन में आप ट्वीट्स, व्हाट्सऐप, फेसबुक आदि पर पसंदटिप्पणियां भेजें और हमारी बात को देश के करोड़ों लोगों के बीच सामाजिक मीडिया पर साझा करे. 

दिए गए प्रारूप में भारत सरकार को याचिका हेतु समर्थन- पत्र तुरंत लिखें ..... 

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समिति का ईमेल पता है:
 < rsc2pet@sansad.nic.in > 
प्रतिलिपि इस पते पर भेजें: < info@viniyogparivar.org > , pashuraksha@gmail.com 

सभी से अनुरोध है कि आप अपनी राय और समर्थन-पत्र डाक से अथवा ईमेल द्वारा १७ जुलाई २०१३ के पहले-२ राज्य सभा की समिति तक भिजवा दें. 


प्रति.
श्री आरपी तिवारी
उप निदेशक
राज्यसभा सचिवालय 
संसदीय सौध
नई दिल्ली -110001 


विषय: मांस निर्यात नीति की समीक्षा हेतु याचिका


आदरणीय सदस्य

मौजूदा मांस निर्यात नीति की समीक्षा के लिए याचिका के संबंध में सभी हितधारकों से प्रेस विज्ञप्ति द्वारा प्रतिक्रियाएं  आमंत्रित किए जाने के संदर्भ मेंमैं सुझाव देता हूँ कि अन्य देशों को मांस निर्यात करने के लिए भारत में पशुओं का वध कतई वांछनीय नहीं है और तुरंत रोका जाना चाहिए. 

"बूचड़खानों की दीवारें यदि काँच की होती तो सारा विश्व शाकाहारी बन जाता."  पर दुर्भाग्य से मांसाहारियों को कभी भी कत्लखानों के अंदर निरीह जानवरों पर होने वाले अत्याचारों और भयावह क्रूरताओं का पता नहीं चलता.

एक भारतीय नागरिक के रूप में मैंपशुओं के संरक्षण और पशु नस्लों में सुधार का अनुरोध करता हूँ तथा मांस निर्यात करने के लिए गायों, बछड़ों, अन्य दुधारू और वाहक पशुओं के वध का तीव्र निषेध करता हूँ और मांस निर्यात रोकने सम्बन्धी याचिका को अपना पूरा समर्थन देता हूँ. 

समिति से निवदन है कि वह कृपया ध्यान दे कि भारत से मांस आयात करने वाले देशों द्वारा यह अनिवार्य शर्त लगाई जाती है कि केवल स्वस्थ गायों, बछड़ों, अन्य दुधारू और वाहक पशुओं का मांस ही उन्हें भेजा जाए. स्वस्थ और उपयोगी पशुओं का वध करके उनके मांस का निर्यात करने से देश को भारी नुकसान हो रहा है जिसका आंकलन सरकार ने आज तक नहीं किया.

यही पशु देश के लिए दूध, गोबर, गोबर से बने उपले/कंडे उपलब्ध करवाते हैं, जो ईंधन का सस्ता और अच्छा स्रोत हैं; देश की करोड़ों रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत करते हैं, जो कि रसोई गैस के आयात पर खर्च होती है. गोबर की खाद, बैल और सांड का खेती आदि में उपयोग होने से डीजल और खाद के आयात पर खर्च होने वाली विदेशी मुद्रा की भारी बचत होती है. हमारे संविधान ने भी जीवदया और पशुओं के प्रति संवेदना की बात कही है उनके संरक्षण के लिए केन्द्र सरकार को निर्देशित किया है. 

गोबर गैस जिसे बायोगैस के नाम से भी जाना जा सकता है, पशुओं का संरक्षण करते हुए सरकार बायोगैस को इस्तेमाल को लागू करने का क्रांतिकारी कदम उठाए,  तो देश रसोई गैस पर खर्च होने वाली अरबों रुपये की सब्सिडी को बचा सकता है. मांस निर्यात से होने वाली विदेशी मुद्रा के सामने यह राजस्व बचत सैकड़ों गुना अधिक होगी. अमरीका के कैलिफ़ोर्निया प्रान्त में वर्ष २००१ से  बायोगैस के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया गया जिसके परिणाम क्रन्तिकारी हैं सारा प्रान्त बिजली और रसोई गैस के लिए आत्मनिर्भर हो गया, वहाँ सरकार ने इस योजना को प्रोत्साहन दिया है. http://www.epa.gov/greenpower/documents/events/10nov11_californiabioenergy-abec.pdf

क्या भारत जैसे कृषि-प्रधान देश में हम इस तरह की योजनाएं लागू नहीं कर सकते? ज़रूर कर सकते हैं, बस आप कदम बढ़ाइए, सारा देश साथ देगा. दुनियाभर में आज पशुओं के संरक्षण परबहस छिड़ी हुई है और भारत में सरकार मीट लॉबी के आगे अर्थव्यवस्था के वृहत्तर हित की अनदेखी कर रही है. 

मांस निर्यात से देश को अथवा देश की अर्थव्यवस्था को भयंकर हानियाँ हो रहें, विदेशी मुद्रा की आय तो केवल दिखावा भर है. मांस निर्यात से यदि किसी को लाभ है तो वो केवल मांस निर्यात करने वाली फर्मों/कंपनियों भर को.

यहाँ यह स्पष्ट करना ठीक होगा कि मांस निर्यात पर रोक से राजस्व हानि की जो बात की जाती है वह सरासर गलत है क्योंकि आपने पशुधन के संरक्षण से होने वाले पर्यावरणीय, आर्थिक एवं सामाजिक लाभों का कोई आंकलन किया ही नहीं. आप सरकार को निर्देश जारी कर पशुओं के संरक्षण से होने वाले सभी लाभों का समीचीन आकलन करवाए और देश के सामने रखे. 


मैं याचिकाकर्ता श्वेताम्बर जैन आचार्य श्री रत्नसुन्दर सूरीजी महाराज का समर्थन करता हूँ और समिति के माननीय सदस्यों से अनुरोध करता हूँ कि भारत जैसे कृषि-प्रधान देश से मांस निर्यात को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाए.  आप शीघ्र ही मांस निर्यात नीति को प्रतिबंधित करने के लिए केन्द्र सरकार को अपनी अनुशंसा भेजें ताकि देश का भविष्य सुरक्षित हो सके.

भवदीय

(
आपका नाम) 

(आपका पता) 







निम्न लिंक पर जाकर याचिका क्र. ११ देख सकते हैं :
http://164.100.47.5/rshindisite/press_release/pet_show.aspx

अंग्रेजी में याचिका हेतु समर्थन-पत्र का प्ररूप :

To,
Shri R. P . Tiwari
Deputy Director,
Rajya Sabha Secretariat
Parliament House Annexe
New Delhi 110001


From,
Name: _______________________________________
Address:_____________________________________
_____________________________________________
_____________________________________________
Email:_______________________________________
Contactno:___________________________________

Sub : Petition Praying review of Meat Export Policy.
Respected Sir,


The assumption that animals are without rights, and the illusion that our treatment of them has no moral significance, is a positively outrageous example of Western crudity and barbarity. Universal compassion in the only guarantee of morality.”By Arthur Schopenhauer.


With the above line, in respect to the captioned petition praying review of “Meat Export Policy” I an  Indian citizen would like to give my full support to Protect, Preserve and improve animal breeds and prohibit the slaughter of cows and calves and other milch and draught cattle.
I hereby consent to the review of “Meat Export Policy” in accordance with the Constitution of India. The Constitution of India has been drafted keeping in mind the progress and welfare of the India society. Violation of the same should not be pardoned.
I request the committee to kindly take note that all the meat importing countries who import meat from india, mandate importing meat of only healthy cows and calves and other milch and draught cattle i.e who are productive enough to give good source of revenue through various means like milk, cow dung for manure and farming purposes, whereas our constitution says not to slaughter such healthy and productive cattle.
I request the committee to
1.   Put efforts in increasing the agricultural output which in turn will also provide fodder for cows, calves and other milch and draught cattle so that scarcity of fodder is reduced and animal conservation increases.
2.   Stop the meat export completely to save the farmers and the future of India.
3.   Take strong and immediate steps for preserving and improving animal breeds and prohibiting the slaughter of cows and calves and other milch and draught cattle.

It’s time to implement “Animal Safety Policy” and to rescind the “Meat export Policy”.

“If slaughterhouses had glass walls, we would all be vegetarian.” …By Anonymous

Thanking you





(Signature)