अनुवाद

गुरुवार, 18 जुलाई 2013

शर्मनाक: भारत के उच्च न्यायालयों में भारतीय भाषाओं में न्याय दिए जाने की मांग करने वाला एक भारतीय दिल्ली में गिरफ्तार

श्याम रुद्र पाठक को १६ जुलाई २०१३ को दिल्ली पुलिस (दिपु) ने कांग्रेस मुख्यालय, २४ अकबर रोड से भादवि की धारा १०५/१०७ के अधीन बंदी बना लिया है वे पिछले २२५ दिनों से मांग कर रहे थे कि भारत के सभी उच्च न्यायालयों में संबंधित राज्य की राजभाषा में आम जनता को न्याय पाने का अधिकार दिया जाए  अर्थात मद्रास उच्च न्यायालय में तमिल में कार्यवाहियाँ हों और बम्बई उच्च न्यायालय में मराठी में, कोलकाता में बंगाली और कर्नाटक में 'कन्नड़' को यह अधिकार मिले.

श्याम रुद्र जैसे योद्धा के लिए हिंदी मीडिया ने भी कभी एक पट्टी की खबर भी नहीं चलाई.



निरंकुश सरकार अथवा कांग्रेस पार्टी ने श्यामरुद्र पाठक जी की बात पर ध्यान देना तो दूर उन्हें कभी अपनी बात कहने के लिए मिलने भी नहीं बुलाया. वे हर दिन सोनिया गाँधी के नाम चिट्ठी लिखकर उनके प्रहरी को देते रहे पर एक का भी उत्तर नहीं दिया गया. वे साढ़े सात महीने से धरना दे रहे थे. हर रात उन्होंने पुलिस थाने में गुजारी.

देश में भाषाओँ को लेकर अनेक संगठन हैं, अनेक क्षेत्रीय भाषाओं के समाचार चैनल और अख़बार हैं पर किसी ने भी इस मुद्दे पर पाठक जी की आवाज़ को आगे पहुँचाने का काम नहीं किया.


इन साढ़े सात महीनों में उनका स्वास्थ्य बहुत गिर चुका है वे हर दिन थाने से लौटकर कांग्रेस मुख्यालय के सामने धरना दे रहे थे, बाहर का भोजन खरीदकर खा रहे थे, उन्होंने सर्दी के तीन महीने फिर गर्मी के चार महीने फिर वर्षा को सहा- झेला, किसके लिए ?

दुनिया भर में छोटे-२ देश अपनी भाषाओं को लेकर बड़े संवेदनशील हैं पर भारत के नागरिकों के रक्त में तो जैसे अंग्रेजी प्रवाहित हो रही है, कहीं कोई हल चल नहीं कहीं कोई रोष नहीं. सब अंग्रेजी देवी के चरणों में नत-मस्तक हैं. क्या हम अपनी हिंदी, तमिल, मराठी, कन्नड़, गुजराती, अथवा बंगाली के लिए इन सरकारों के सामने अपनी आवाज़ नहीं उठाएँगे? 

देश की हर भाषा पर संकट है, भाषाई विद्यालय बंद हो रहे हैं, उच्च शिक्षा में देशी भाषाओं का कोई अस्तित्व नहीं. क्या भारत सचमुच 'इण्डिया' बन गया है?
क्या मैकाले का सपना १००% सच हो चुका है? क्या हम सब दिखने में भारतीय पर अंग्रेज बन चुके हैं? 



पर एक बात सनद रहे 'एक भाषा का अवसान केवल भाषा का अवसान नहीं बल्कि समूची सभ्यता और संस्कृति का घातक विनाश है.' आने वाली पीढ़ी हमें कभी क्षमा नहीं करेगी.


श्यामरुद्र जी की गिरफ्तारी पर सभी भारतीयों/राष्ट्रवादियों से अनुरोध है, समय निकाल कर अपनी-२ प्रतिक्रिया और विचार यहाँ रखें और सरकार के इस गैरजिम्मेदार कदम की खबर को अपने ट्विटर, फेसबुक, गूगल प्लस और व्हाट्सऐप पर सबके साथ साझा करें। २४ जुलाई २०१३ को पटियाला न्यायालय में उनकी पेशी है दिल्ली के आसपास वाले लोग उस दिन न्यायालय में सुबह १० बजे एकत्र हों. अधिक जानकारी के लिए संयोजक श्रीमती गीता मिश्रा 'रतन से संपर्क करें : ९८९१५-५७०७७ in Eng: 98915-57077

उनको संबल और समर्थन की आवश्यकता है. यही मेरी करबद्ध  प्रार्थना है.