अनुवाद

बुधवार, 12 फ़रवरी 2014

क्या मोबाइल कम्पनियाँ आपको बिना बताए ठग लेती हैं ?

प्रति,

मुख्य प्रशासनिक अधिकारी 
भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण
महानगर दूरसंचार भवन 
(जाकिर हुसैन कॉलेज के बगल में) 
जवाहर लाल नेहरू (ओल्ड मिंटो रोड) मार्ग
नई दिल्ली-110 002

विषय: ट्राई ने मोबाइल/केबल/डीटीएच एवं फोन उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा हेतु कंपनियों द्वारा किस भाषा में जानकारी देना अनिवार्य किया है ?

महोदय,

भारत में  मोबाइल/केबल/डीटीएच एवं फोन उपभोक्ताओं की संख्या करोड़ों में है और देश के राजभाषा हिन्दी है तथा विभिन्न राज्यों की अपनी राजभाषाएँ हैं, भारत में लगभग तीन प्रतिशत लोग अंग्रेजी जानते हैं और सत्तानवे प्रतिशत लोग अंग्रेजी नहीं जानते हैं. यहाँ ध्यान देने योग्य है कि देश कि छप्पन करोड़ जनता की मातृभाषा हिन्दी है और लगभग पच्चीस करोड़ लोग हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान रखते हैं.

इन तथ्यों से पता चलता है कि देश के सत्तानवे प्रतिशत मोबाइल/केबल/डीटीएच एवं फोन उपभोक्ताओं  पर अंग्रेजी थोपने की बजाए उन्हें उनकी भाषा में अथवा कम से कम हिन्दी भाषा में दी जानी चाहिए पर ऐसा नहीं हो रहा है उनपर अंग्रेजी थोपी जा रही है. 

उपभोक्ताओं पर अंग्रेजी थोपने के उदाहरण:

१. किसी भी मोबाइल/केबल/डीटीएच एवं फोन कंपनी द्वारा आज तक अपनी-२ वेबसाइटों पर कोई भी जानकारी हिन्दी अथवा स्थानीय भाषा में नहीं दी गई है.

२. किसी भी मोबाइल/केबल/डीटीएच एवं फोन कंपनी द्वारा आज तक अपनी-२ वेबसाइटों पर कोई भी ऑनलाइन सेवा हिन्दी अथवा स्थानीय भाषा में नहीं दी गई है.

३. किसी भी मोबाइल/केबल/डीटीएच एवं फोन कंपनी द्वारा आज तक उपभोक्ताओं को एसएमएस अलर्ट सेवा हिन्दी अथवा स्थानीय भाषा में नहीं दी गई है.

४. किसी भी मोबाइल/केबल/डीटीएच एवं फोन कंपनी द्वारा आज तक उपभोक्ताओं को सेवाओं के बिल, ईमेल विवरण आदि  की सुविधा हिन्दी अथवा स्थानीय भाषा में पाने की व्यवस्था नहीं की गई है और कुछ कम्पनियों द्वारा बिल आदि में भाषा चुनने का विकल्प तो दिया जाता है पर ग्राहक को इस सुविधा की कोई जानकारी नहीं दी जाती और कंपनी पूर्व निर्धारित रूप से (बाई डिफाल्ट) बिल आदि केवल अंग्रेजी में भेजती है और साथ ही ग्राहकों द्वारा मांग करने पर भी मना करती हैं. जबकि होना यह चाहिए कि बिल, विवरण, एसएमएस, कनेक्शन के आवेदन फॉर्म अनिवार्य रूप से राज्य की भाषा (स्थानीय भाषा) के हिसाब से उपलब्ध करवाए जाना का नियम बनाया जाए और अंग्रेजी को थोपना बंद किया जाए. महानगरों के अंग्रेजी पढ़े लिखे लोगों को इससे कोई परेशानी भले ना होती हो पर जो लोग अंग्रेजी नहीं जानते उनके हितों की अनदेखी होती है कम्पनियाँ अंग्रेजी के नाम पर उपभोक्ताओं को ठगती रहती हैं.

५. सरकार ने सेट-टॉप बोक्स लगाने का अनिवार्य नियम बनाया है पर ग्राहकों को आवेदन फॉर्म, ग्राहक सेवा पुस्तिका, सेट-बॉक्स सञ्चालन के लिए टीवी स्क्रीन पर आने वाले विवरण, सेट टॉप बॉक्स लगाने वाली डीटीएच कम्पनी की वेबसाइट आदि किस भाषा में उपलब्ध हो इसकी घोर अनदेखी हुई है और इन सारी कंपनियों ने भी उपभोक्ताओं पर अंग्रेजी लाद दी. यदि सेट टॉप बॉक्स का अनिवार्य नियम बनाया है तो ग्राहकों को अपनी भाषा में ये सुविधाएँ मिलें इसका नियम भी बनाया जाए.

६. मोबाइल/केबल/डीटीएच एवं फोन कंपनियों द्वारा अपने ग्राहकों को अपनी सेवा शर्तें किस भाषा में दी जानी चाहिए, तत्संबंधी नियम क्या है?

कृपया बताने का कष्ट करें कि ट्राई ने ग्राहकों के हितों कि रक्षा और जागरुकता के लिए मोबाइल/केबल/डीटीएच एवं फोन कम्पनियों द्वारा अपने उपभोक्ताओं को कौन-२ सी सेवाएँ और कौन-२ से दस्तावेज अपनी भाषा में प्राप्त करने का अधिकार दिया गया है और कौन-२ सी सेवाएँ और कौन-२ से दस्तावेज ग्राहकों को केवल अंग्रेजी में ही दिया जाना अनिवार्य किया है?

कृपया बताने का कष्ट करें कि उपभोक्ता को यदि कम्पनी द्वारा कोई दस्तावेज/ फॉर्म/ सेवा-शर्तें अपनी भाषा में नहीं दी जाती हैं तो वह इसकी शिकायत किस अधिकारी को कर सकता है उनका नाम, पता, ईमेल और फोन नम्बर क्या है? ऐसी शिकायतों का निवारण कितने दिनों में होता है?

आपसे अनुरोध है कि नागरिक अधिकार-पत्र में निर्धारित अवधि में इसका निराकरण करें.

आपके शीघ्र उत्तर की अपेक्षा है. फिलहाल इस पत्र की प्राप्ति की सूचना भेजने का कष्ट करें.

भवदीय