सेवा में,
श्रीमती अरुंधति भट्टाचार्य
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक
भारतीय स्टेट बैंक
मदाम कामा रोड, मुम्बई - 400021
विषय- अंग्रेजी थोपकर ग्राहक हितों और राजभाषा सम्बन्धी कानूनों की अनदेखी करता हुआ केवल अंग्रेजी जानने वालों का बैंक ।
महोदय,
यह चौंकाने वाली बात है कि भारत सरकार के मातहत राष्ट्रीयकृत बैंक खुले रूप में भारत सरकार के राजभाषा के कानून की अवहेलना करते दिखाई देते हैं और वे विभाग व कार्यालय आदि जिन पर इन कानूनों को लागू करवाने की जिम्मेदारी है, वे चुपचाप बैठकर इसे मौन समर्थन देते दिखाई देते हैं। ऐसे कानूनों का क्या मतलब जिनका पालन बहुत कम और उल्लंघन बहुत ज्यादा होता हो ।
यहाँ यह बताना गैरजरूरी न होगा कि ज्यादातर बैंकों में ज्यादातर विज्ञापन सामग्री, होर्डिंग, सभी प्रकार के आवेदन फार्म आदि अंग्रेजी में हैं, आपके भारतीय स्टेट बैंक और समूह के बैंकों की स्थिति तो बहुत ही चिंताजनक है।
महोदया,
- स्टेट बैंक ने 2008 के बाद से अपनी हिन्दी वेबसाइट अद्यतित ही नहीं की है और हिन्दी वेबसाइट के नब्बे प्रतिशत पृष्ठों पर अंग्रेजी सामग्री और अंग्रेजी वेबपृष्ठ के ही लिंक भरे पड़े हैं.
- राष्ट्रपति जी के आदेशों के उपरांत भी अब तक सभी प्रकार के मुद्रित आवेदन, ऑनलाइन आवेदन, पासबुक एवं मासिक विवरणके हिन्दी-द्विभाषी में छापने की व्यवस्था बैंक पूरे पाँच साल बाद भी नहीं कर पाया. ऑनलाइन बैंकिंग वेबसाइट पर केवल मुखपृष्ठ हिंदी में है बाकी सबकुछ अंग्रेजी में है, यहाँ तक की ऑनलाइन बैंकिंग इस्तेमाल के लिए बनाए आगे सभी अनिवार्य नियम और शर्तें भी केवल अंग्रेजी में हैं, जो ग्राहक अंग्रेजी नहीं जानते ये शर्तें उनपर भी लागू हैं, अंग्रेजी नहीं आती तो बैंक की नहीं यह ग्राहक की समस्या है.
- एसएमएस चेतावनी, नेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, मोबाइल ऐप, ऑनलाइन खाता खोलना, ऑनलाइन शिकायत प्रणाली जैसी सभी आधुनिक सेवाएँ बैंक ग्राहकों पर अंग्रेजी में थोप रहे हैं, इन आपके बैंक को ग्राहकों की सुविधा नहीं बल्कि बैंकिंग सेवाओं के अंग्रेजीकरण की अधिक चिंता है. बैंक गर्व से लिखता है “हर भारतीय का बैंक” पर देखा जाए तो यह स्टेट बैंक “केवल अंग्रेजी जानने वालों का अंग्रेजी बैंक है”.
- एसएमएस चेतावनी आप अंग्रेजी में भेजते हैं और पन्द्रह रुपये प्रति तिमाही ग्राहक से वसूल रहे हैं भले ही ग्राहक ना उसे पढ़ सकता हो, ना समझ सकता हो? देश के अंग्रेजी ना जानने वाले करोड़ों ग्राहकों के साथ अन्याय किया जा रहा है, केवल अंग्रेजी में एसएमएस भेजा जाना असंवैधानिक है, जो भाषा मुझे नहीं आती है उसमें मुझे एसएमएस भेजा जाए और शुल्क भी वसूला जाए यह तो सरासर तानाशाही है. आपका बैंक देश के गाँव - गाँव में मौजूद है फिर भी आपको ग्रामीण क्षेत्रों के ग्राहकों भी चिंता नहीं है.
आप बैंक की सर्वेसर्वा हैं इसलिए अनुरोध है कि अपने बैंक के सम्बंधित अधिकारियों को कड़े निर्देश जारी करें और राजभाषा सम्बन्धी कानूनों का पालन करवाया जाए तथा ग्राहकों के हितों को ध्यान में रखते हुए बैंक के कामकाज में हिन्दी को प्राथमिक आधार पर प्रयोग करना सुनिश्चित किया जाए। जिन अधिकारियों की यह जिम्मेदारी है उन्हें सोते से जगाया जाए या हटाया जाए। इस पत्र को संचार जगत में भी भेजा जा रहा है अतः हम सभी की गई कार्रवाई की सूचना व परिणामों की अविलम्ब अपेक्षा करते हैं। आपके बैंक द्वारा अंग्रेजी थोपकर ग्राहक हितों की अनदेखी को रोका जाए.
भवदीय
प्रतिलिपि:
- सचिव, राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय
- सुश्री पूनम जुनेजा, संयुक्त सचिव एवं मुख्य सतर्कता अधिकारी महोदया,
- श्री भोपाल सिंह, निदेशक (शिकायत), राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय
प्रति: "chairman@sbi.co.in" <chairman@sbi.co.in>
प्रति: secy-ol@nic.in, "Joint Secy, OL" <jsol@nic.in>, "jatchaudhary1@yahoo.com" <jatchaudhary1@yahoo.com>
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