अनुवाद

बुधवार, 12 फ़रवरी 2014

अल्पसंख्यकों को योजनाओं की जानकारी देने में पूरी तरह विफल हुई सरकार

publicwing.pmo@gov.in

१० फरवरी २०१४ 

प्रति,
डॉ मनमोहन सिंह 
माननीय प्रधानमंत्री 
भारत सरकार,
प्रमका,
दक्षिणी खंड [साउथ ब्लाक] 
नई दिल्ली - 110011 

विषय : अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय हुआ अल्पसंख्यकों को योजनाओं की जानकारी देने में पूरी तरह विफल: राजभाषा सम्बन्धी प्रावधानों का उल्लंघन  

आदरणीय महोदय,

भारत की राजभाषा हिन्दी है तथा विभिन्न राज्यों की अपनी राजभाषाएँ हैंभारत में लगभग तीन प्रतिशत लोग अंग्रेजी जानते हैं और सत्तानवे प्रतिशत लोग अंग्रेजी नहीं जानते हैं. यहाँ ध्यान देने योग्य है कि देश कि छप्पन करोड़ जनता की मातृभाषा हिन्दी है और लगभग पच्चीस करोड़ लोग हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान रखते हैं. 

आप अल्पसंख्यकों के विकास के लिए अनेक कदम उठा रहे हैं पर उनका लाभ अल्पसंख्यकों तक नहीं पहुँच रहा है क्योंकि अप्ल्संख्यक कार्य मंत्रालय की अल्पसंख्य्कों के विकास में शायद रूचि नहीं है इसलिए लोगों को सभी योजनाओं की जानकारी केवल अंग्रेजी में दी जा रही है, अंग्रेजी ऐसी भाषा है जिसे देश के एक प्रतिशत अल्पसंख्यक भी नहीं जानते, सरकार क्यों नहीं लोगों को लोगों की भाषा में जानकारी नहीं देना चाहती, उसे अंग्रेजी के भक्तिगान की इतनी चिंता क्यों है?

प्रधानमंत्री जी! आप भी भारत की जनता को समझ नहीं सके और इन दस सालों में लोगों पर अंग्रेजी को बुरी तरह थोपा गया इसलिए आपकी योजनाओं का लाभ जनता को नहीं मिला। जब नागरिक को योजना की जानकारी उसकी भाषा में नहीं मिलेगी तो वह उसका लाभ क्या ख़ाक उठा पाएगा? आपकी कितनी भी योजनाएं लागू कर दीजिए उनका लाभ जनता तक नहीं पहुंचेगा जब तक सरकारी अधिकारी उन योजनाओं के दस्तावेज, फॉर्म, ऑनलाइन आवेदन, वेबसाइट आदि की सुविधा हिन्दी भाषा में उपलब्ध नहीं करवा देते। आपने हिन्दी में नहीं बताया तो समझ लीजिए आपने कुछ भी नहीं बताया, आपकी सारी मेहनत बेकार चली जाएगी।

आपकी सरकार ने राजभाषा अधिनियम के पालन के लिए एक भी ठोस कदम नहीं उठाया, स्थिति तो इतनी बुरी है आपके कार्यालय (प्रधानमंत्री कार्यालय) से आम नागरिकों के हिन्दी में लिखे पत्रों और आवेदनों के जवाब अंग्रेजी भेजे जाते हैं, आपके कार्यालय में रबर की मुहरें तक केवल अंग्रेजी में बनी इस्तेमाल की जा रही है, जब आपके कार्यालय में हिन्दी का यह हाल हो तो फिर सरकार के अन्य मंत्रालयों से जनता क्या उम्मीद कर सकती है? इतने अनिवार्य नियमों का उल्लंघन किस बात को दर्शाता है, यही कि सरकार राजभाषा के लिए एकदम उदासीन है और उसे केवल अंग्रेजी में काम करना है, जनता को अंग्रेजी नहीं आती तो यह जनता की अपनी समस्या है, सरकार को इस बात से कोई सरोकार नहीं.

यहाँ यह कहना उचित होगा कि अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय मंत्रालय का कामकाज अंग्रेजी में ही हो रहा है और शायद मंत्रालय यह मानकर चल रहा है कि भारत के सभी अल्पसंख्यक इंग्लैंड से अंग्रेजी पढ़कर आए हैं ऐसे में मंत्रालय हिंदी में काम कैसे कर सकता है आखिर मंत्रालय के अधिकारियों के सम्मान का प्रश्न है. मंत्रालय को अल्पसंख्यकों के विकास की चिंता नहीं है बल्कि अंग्रेजी की चिंता है इसलिए अंग्रेजी में काम करते चलो और जब कभी ज़रूरत पड़े तो दो-चार दस्तावेजों को हिंदी में अनुवाद करवा दो पर हम हिंदी में काम तो करेंगे ही नहीं, फिर अनुवादकों की सेवाएँ कब काम आएंगी?

राजभाषा हिन्दी है और काम अल्पसंख्यकों के विकास का है फिर भी प्राथमिकता अंग्रेजी को, सारी योजनाएँ अंग्रेजी में पहले बनती हैं, सभी योजनाओं की जानकारी केवल अंग्रेजी में अंग्रेजी वेबसाइट पर डाली जाती है, सारे आवेदन, शपथपत्र के प्रारूप केवल अंग्रेजी में अंग्रेजी वेबसाइट पर डाले गए हैं, अंग्रेजी दस्तावेज पहले बनेंगे, परिपत्र अंग्रेजी में जारी होंगे. ऐसा देश है मेरा !!!

अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा निरंतर राजभाषा अधिनियमराजभाषा नियमराजभाषा नीति और राजभाषा विभाग के निर्देशों का उल्लंघन किया जा रहा है:

उल्लंघन के उदाहरण:
1.    अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की वेबसाइट केवल अंग्रेजी में बनाई गई है और वेबसाइट पर दो-चार दस्तावेजों के अतिरिक्त अन्य कोई भी जानकारी हिंदी में उपलब्ध नहीं हैना ही हिंदी वेबसाइट बनाने के लिए मंत्रालय ने कोई काम किया गया है, आगामी दशकों में भी हिंदी वेबसाइट बनाने की भी कोई योजना मंत्रालय की नहीं है. वैसे भी मंत्रालय की स्थापना के सात वर्षों में कोई काम नहीं हुआ. लोकसभा चुनावों से पहले वेबसाइट हिन्दी में उपलब्ध करवाई जाए.
2.    एक-दो अपवाद छोड़कर  अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के सभी निविदा-पत्र, परिपत्र, कार्यालय ज्ञापन, करार, अनुबंध(ताज़ा अनुबंध अक्टूबर 2013 में हुआ), समझौते, प्रेस विज्ञप्तिविज्ञापन, कार्यक्रमों के बैनरपोस्टर, दिशा-निर्देश, फॉर्म, सूचना का अधिकार अधिनियम सम्बन्धी सभी विवरण/ सूचना अधिकारियों के नाम पते आदि का केवल अंग्रेजी में जारी किए जा रहे हैं. वेबसाइट पर हिंदी में विज्ञप्तिनीतिनियमभर्ती सूचनाअधिसूचना कुछ भी उपलब्ध नहीं है. कृपया मंत्रालय द्वारा राजभाषा विभाग को भेजी गई राजभाषा अनुपालन की त्रैमासिक रिपोर्टों की छानबीन करते हुए भौतिक परीक्षण किया जाए ताकि इन रिपोर्टों की सत्यता सामने आ सके.
3.    सभी ऑनलाइन सेवाएँ केवल अंग्रेजी में उपलब्ध हैं.
4 . अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा रबर की मुहरें, लिफ़ाफ़े और योजनाओं के लाभ लेने हेतु सभी आवेदन फॉर्म द्विभाषी ना छपाकर केवल अंग्रेजी में जारी किए/छापे गए हैं.
5. अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा आयोजित कार्यक्रमों की सम्पूर्ण कार्यवाही अंग्रेजी में की जाती है, बैनर-पोस्टर-बैज-आमंत्रण-पत्र-पाठ्य सामग्री, प्रेस विज्ञप्ति, शिलान्यास-पट आदि केवल अंग्रेजी में तैयार किये जाते/की जाती है.
६. अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा हिन्दी में प्राप्त ईमेल के कोई जवाब नहीं दिए जाते।
७. मंत्रालय में हिन्दी में प्राप्त पत्रों एवं आर टी आई आवेदनों के उत्तर अंग्रेजी में लिखने वाले एवं हिन्दी में लिखे ईमेल का जवाब ना देने वाले अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए.
आपसे अनुरोध है कि अब ६६ साल बीत गए हैं हिंदी के नाम पर ढोंग करने वाले मंत्रालयों पर कार्यवाही सख्त कीजिए ताकि भारत के नागरिकों को उनकी भाषा में सेवाएं मिलें और सच्चे लोकतंत्र की स्थापना हो, संविधान निर्मातओं की राजभाषा हिंदी की स्थापना की भावना पूरी हो, ये भारत है अंग्रेजों का देश नहीं कि हम पर ६६ साल बाद भी अंग्रेजी थोपी जा रही है.

आपसे अनुरोध है केंद्रीय हिंदी समिति की बैठक तुरंत बुलवाइए, जो ढाई वर्षों से नहीं हुई है। कृपया तुरंत कार्यवाही की जाए और की गई कार्यवाही से मुझे अवगत करवाया जाए.


भवदीय

प्रतिलिपि:
  1. मंत्री महोदय, अल्पसंख्यक कार्य 
  2. राज्य मंत्री महोदय, अल्पसंख्यक कार्य 
  3. सचिव, अल्पसंख्यक कार्य 
  4. सचिव, राजभाषा विभाग 
  5. संयुक्त सचिव, राजभाषा विभाग 
  6. निदेशक (शिका/नी), राजभाषा विभाग