अब इस खबर को देखकर
अपना सर धुनिये. हिन्दी सम्बन्धी इस समाचार में पत्रकार ने हिन्दी का ही चीरहरण कर
डाला है. अरे भाई ज़रूरत क्या है ऐसी घटिया भाषा की. मत छापो हिंदी के नाम पर
अंग्रेजी में लिखो, हमें कोई आपत्ति
नहीं है. हमें पढ़ना ही होगा तो अंग्रेजी अखबार पढ़ेंगे, ऐसी अधकचरी भाषा का क्या मतलब?
मैं पहले कई हिन्दी अख़बारों का पाठक रहा हूँ, पर पिछले कुछ समय से बड़ी निराशा हो रही है इसलिए अख़बार पढ़ना मजबूरी में बंद कर दिया है, ट्विटर और फेसबुक पर ही काम चला लेता हूँ. मैंने सोचा था इन अख़बारों के संपादकों से बात करके कुछ लाभ होगा पर ऐसा संभव नहीं हुआ.
कुछ हिन्दी अख़बार समूह ने हमेशा भाषा का एवं समाचारों का स्तर बना कर रखा है पर अब उनके समाचार-पत्रों एवं वेबस्थलों पर प्रचलित हिन्दी शब्दों के स्थान पर अंग्रेजी शब्दों का एवं रोमन का प्रयोग धीरे-धीरे बढ़ाया जा रहा है जो हिन्दी जैसी समृद्ध भाषा को पंगु ही बनाने वाला है. इन अख़बारों में ऐसा शायद अन्य हिन्दी मीडिया समूह की रणनीति की देखादेखी किया जा रहा है.
परिवर्तन स्वाभाविक हो तो ठीक होता है पर जबरन किया जाए तो मेरी दृष्टि में अनुचित है. अंग्रेजी शब्द यदि हमारी भाषा के शब्दकोष में वृद्धि करते हों तो उनका स्वागत है पर वे यदि हमारे शब्दों को ही खाने लग जाएं तो फिर बहुत चिंता का विषय है. बाड़ ही खेत हो खाने लगे तो फिर खेत को कोई चाहकर भी नहीं बचा सकता है.
भारत में आज तक किसी अंग्रेजी मीडिया अथवा अखबार ने अंग्रेजी को सरल और ग्राह्य बनाने के लिए देशी भाषाओं के अतिप्रचलित शब्द अथवा सही उच्चारण को बनाए रखने के लिए उनकी लिपियों का प्रयोग शुरू नहीं किया है और ना ही कभी इसकी कल्पना की जा सकती है पर हिन्दी मीडिया को इसमें क्या नज़र आ रहा है ? वह समझ से परे है.
बहुत से अंग्रेजी मीडिया समूहों ने भाषाई अख़बारों का अधिग्रहण किया है. कुछ बड़े हिन्दी अख़बारों ने भी अंग्रेजी अख़बार शुरू किये हैं. इन सभी ने एक रणनीति के तहत समाचार अथवा ऑनलाइन सामग्री में साठ प्रतिशत अंग्रेजी शब्द और दस से बीस प्रतिशत रोमन लिपि के इस्तेमाल का आदेश अपने पत्रकारों/संवाददाताओं को दिया हुआ है. इस बात का खुलासा एक प्रसिद्ध व्यक्ति ने अपने लेखों में कई बार किया है. उनका खुलासा एकदम सही भी है क्योंकि अब हिन्दी जैसा कुछ बचा नहीं है.
अपनी भाषाओं में नए शब्द गढ़ना अब बिलकुल बंद हो चुका है, प्रचलित शब्द भी प्रचलन बाहर कर दिए गए हैं और उम्मीद है कि यदि यही स्थिति रही तो आने वाले समय में (शायद पाँच वर्ष बाद) ही लोगों को हिन्दी की ज़रूरत ही नहीं रहेगी, देवनागरी की आवश्यकता ही नहीं होगी? जब अंग्रेजी शब्द ही लिखना है तो, अंग्रेजी को ही पढ़ना है तो कोई अंग्रेजी अखबार ही पढ़ेगा उसे हिंग्रेजी की वेबसाइट अथवा अखबार पढ़ने की क्या आवश्यकता ?
- आईआईटी बॉम्बे ने फर्स्ट टाइम जारी किया हिंदी में ब्रॉशर
- ब्रॉशर में हिंदी की प्रिंटिंग में कई शब्द हो रहे गायब
ravi.priya@inext.co.in
DEHRADUN : जेईई एडवांस एग्जाम की जिम्मेदारी इस बार आईआईटी बॉम्बे को जिम्मे है. स्टूडेंट्स की सहूलियत के लिए इस बार इंफॉर्मेशन ब्रॉशर को इंग्लिश के साथ ही हिंदी में भी जारी किया है. ब्रॉशर का हिंदी वर्जन सीधे तौर पर हिंदी मीडियम में पढ़ रहे स्टूडेंट्स को ध्यान में रखते हुए जारी किया गया, लेकिन यह जेईई एडवांस इंफॉर्मेशन ब्रॉशर का यह हिंदी संस्करण स्टूडेंट्स के किसी काम नहीं आ रहा है. दरअसल, इसकी भाषा और पीडीएफ फॉर्मेट को स्टूडेंट्स पढ़ ही नहीं पा रहे हैं. ऐसे में कुछ पल्ले न पड़ने से यह कैंडिडेट्स भी इंग्लिश वर्जन ही देखने को मजबूर हो रहे हैं.
एडवांस एग्जाम ख्ब् मई को होगा
आईआईटी बॉम्बे इस बार जेईई एडवांस की जिम्मेदारी संभाल रही है. एग्जाम के बाद देश भर के क्म् आईआईटी संस्थानों के साथ ही आईएसएम धनबाद की इंजीनियरिंग की सीट्स पर एडमिशन मिलेगा. एडवांस एग्जाम ख्ब् मई को ऑर्गनाइज किया जाएगा. पिछले दिनों एग्जाम को लेकर डिटेल्ड नोटिफिकेशन और इंफॉर्मेशन जेईई एडवांस की वेबसाइट पर अपलोड किया था.
ब्रॉशर का हिंदी वर्जन भी वेबसाइट पर
यह इंग्लिश लैंग्वेज में था, लेकिन इसी के साथ ही हिंदी मीडियम कैंडिडेट्स के लिए हिंदी में विवरण दिए जाने की सुविधा भी वेबसाइट पर दी गई थी, जिसके चलते हाल ही में फ्क् अक्टूबर को जेईई एडवांस के इंफॉर्मेशन ब्रॉशर का हिंदी वर्जन भी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है. खास बात यह कि यह पहली बार हैं कि जब एडवांस एग्जाम की जानकारी के लिए हिंदी भाषा में भी इंफॉर्मेशन ब्रॉशर जारी किया गया.
कई अक्षर हैं गायब
ब्रॉशर के पीडीएफ फॉर्मेट में कई अक्षर मिसिंग शो कर रहा है, जिससे छात्रों और टीचर्स दोनों ही परेशान हैं. ब्रॉशर के अधिकतर शब्द टूट रहे हैं. इसके अलावा कहीं ई की मात्रा नहीं हैं तो कहीं शब्द के बीच से अक्षर गायब हैं. ऐसे में स्टूडेंट्स को खासी परेशानी उठानी पड़ रही हैं, लेकिन इसके बाद भी स्टूडेंट्स को जानकारी पूरी तरह से समझ नहीं आ रही तो मजबूर होकर इंग्लिश वर्जन को डाउनलोड कर जरूरी जानकारी जुटा रहे हैं.
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हिंदी मीडियम से तैयारी कर रही हूं. आसानी से समझने के लिए वेबसाइट से इंग्लिश की जगह हिंदी वर्जन ब्रॉशर डाउनलोड किया था, लेकिन इसे ओपन करने के बाद कुछ समझ ही नहीं आया. कहीं शब्द गायब हैं तो कहीं मात्राएं ही दिखाई नहीं दे रही.
- मनीषा चौहान, स्टूडेंट, सरस्वती विद्या मंदिर
हिंदी ब्रॉशर डाउनलोड किया था, लेकिन यह तो समझ ही नहीं आ रहा है. इससे अच्छा तो इंग्लिश ब्रॉशर है. कम से कम शब्दों तो सहीं से प्रिंट हैं. हिंदी ब्रॉशर में तो शब्दों को लेकर बेहद कन्फ्यूजन है.
- मानस कुकरेती, स्टूडेंट, स्टार लैंड स्कूल
दरअसल, अभी जो हिंदी इंफॉर्मेशन ब्रॉशर अपलोड किया गया है. उसमें फॉन्ट का प्रॉब्लम आ रहा. जिस वजह से बच्चों को पीडीएफ फाइल में शब्दों गायब नजर आ रहें हैं. कई बच्चों ने इसे लेकर शिकायत की है. मामले में आईआईटी बॉम्बे को लेटर भी लिखकर प्रॉब्लम की जानकारी दी जाएगी. ताकि इस प्रॉब्लम का हल निकाला जा सके.
- वैभव राय, डायरेक्टर, वीआर क्लासेज
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