प्रति: jatchaudhary1@yahoo.com, secy-ol@nic.in, "Joint Secy, OL" <jsol@nic.in>, poonam juneja <junejapoonam9@gmail.com>प्रति: jairam@sansad.nic.in, secylr@nic.in
दिनांक : १४ नवम्बर २०१३
प्रति,
निदेशक (शिकायत)
राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय,
भारत सरकार,
नई दिल्ली
विषय : ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा राजभाषा सम्बन्धी प्रावधानों की अनदेखी और अंग्रेजी को बढ़ावा
आदरणीय महोदय,
भारत की राजभाषा हिन्दी है तथा विभिन्न राज्यों की अपनी राजभाषाएँ हैं, भारत में लगभग तीन प्रतिशत लोग अंग्रेजी जानते हैं और सत्तानवे प्रतिशत लोग अंग्रेजी नहीं जानते हैं. यहाँ ध्यान देने योग्य है कि देश कि छप्पन करोड़ जनता की मातृभाषा हिन्दी है और लगभग पच्चीस करोड़ लोग हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान रखते हैं.
इन तथ्यों से पता चलता है कि देश के सत्तानवे प्रतिशत नागरिकों पर अंग्रेजी थोपने की बजाए उन्हें उनकी भाषा में अथवा कम से कम हिन्दी भाषा में दी जानी चाहिए पर ऐसा नहीं हो रहा है उन पर अंग्रेजी थोपी जा रही है.
यहाँ यह कहना उचित होगा कि ग्रामीण विकास मंत्रालय का कामकाज अंग्रेजी में ही हो रहा है और शायद मंत्रालय यह मानकर चल रहा है कि भारत के सभी ग्रामीण नागरिक इंग्लैंड से अंग्रेजी पढ़कर आए हैं ऐसे में मंत्रालय हिंदी में काम कैसे कर सकता है आखिर मंत्रालय के अधिकारियों के सम्मान का प्रश्न है. मंत्रालय को ग्रामीण विकास और ग्रामवासियों की चिंता नहीं है बल्कि अंग्रेजी की चिंता है इसलिए अंग्रेजी में काम करते चलो और जब कभी ज़रूरत पड़े तो दो-चार दस्तावेजों को हिंदी में अनुवाद करवा दो पर हम हिंदी में काम तो करेंगे ही नहीं, फिर अनुवादकों की सेवाएँ कब काम आएंगी?
राजभाषा हिन्दी है और काम ग्रामीण विकास का है फिर भी प्राथमिकता अंग्रेजी को, पहले अंग्रेजी वेबसाइट खुलेगी, अंग्रेजी वेबसाइट पहले अद्यतित होगी, अंग्रेजी दस्तावेज पहले बनेंगे, परिपत्र अंग्रेजी में जारी होंगे. ऐसा देश है मेरा !!!
ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा निरंतर राजभाषा अधिनियम, राजभाषा नियम, राजभाषा नीति और राजभाषा विभाग के निर्देशों का उल्लंघन किया जा रहा है:
उल्लंघन के उदाहरण:
1. मनरेगा की वेबसाइट केवल अंग्रेजी में बनाई है और वेबसाइट पर कोई भी जानकारी हिंदी में उपलब्ध नहीं है, ना ही हिंदी वेबसाइट बनाने के लिए कोई काम किया गया है.
2. एक-दो अपवाद छोड़कर मनरेगा के सभी निविदा-पत्र, परिपत्र, कार्यालय ज्ञापन, करार, समझौते, प्रेस विज्ञप्ति, विज्ञापन, बैनर, पोस्टर, दिशा-निर्देश, फॉर्म, सूचना का अधिकार अधिनियम सम्बन्धी सभी विवरण/ सूचना अधिकारियों के नाम पते आदि का केवल अंग्रेजी में जारी किया जाना. वेबसाइट पर हिंदी में विज्ञप्ति, नीति, नियम, भर्ती सूचना, अधिसूचना कुछ भी उपलब्ध नहीं है. कृपया मंत्रालय द्वारा राजभाषा विभाग को भेजी गई राजभाषा अनुपालन की त्रैमासिक रिपोर्टों की छानबीन करते हुए भौतिक परीक्षण किया जाए ताकि इन रिपोर्टों की सत्यता सामने आ सके.
3. ऑनलाइन पंजीयन व्यवस्था केवल अंग्रेजी में उपलब्ध करवाना.
4. मंत्रालय की मुख्य वेबसाइट के हिंदी संस्करण के ज़्यादातर पृष्ठों पर कोई भी जानकारी उपलब्ध ही नहीं है, केवल पृष्ठ (टैब) का नाम लिख दिया गया है उसके अन्दर कोई भी जानकारी नहीं डाली गई है, और कई पृष्ठों पर अंग्रेजी में जानकारी डाली गई है.
मंत्रालय को तुरंत राजभाषा सम्बन्धी उल्लंघनों को रोकना चाहिए.
कृपया तुरंत कार्यवाही की जाए.