अनुवाद

बुधवार, 11 दिसंबर 2013

अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय में नहीं होता जनभाषा में काम


To: jatchaudhary1@yahoo.comsecy-ol@nic.in, "Joint Secy, OL" <jsol@nic.in>, poonam juneja <junejapoonam9@gmail.com>



दिनांक : 17 नवम्बर 2013 

प्रति,
निदेशक (शिकायत)
राजभाषा विभागगृह मंत्रालय,
भारत सरकार,
नई दिल्ली 

विषय : अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा राजभाषा सम्बन्धी प्रावधानों की अनदेखी और अंग्रेजी को बढ़ावा

आदरणीय महोदय,

भारत की राजभाषा हिन्दी है तथा विभिन्न राज्यों की अपनी राजभाषाएँ हैंभारत में लगभग तीन प्रतिशत लोग अंग्रेजी जानते हैं और सत्तानवे प्रतिशत लोग अंग्रेजी नहीं जानते हैं. यहाँ ध्यान देने योग्य है कि देश कि छप्पन करोड़ जनता की मातृभाषा हिन्दी है और लगभग पच्चीस करोड़ लोग हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान रखते हैं.

इन तथ्यों से पता चलता है कि देश के सत्तानवे प्रतिशत नागरिकों पर अंग्रेजी थोपने की बजाए उन्हें उनकी भाषा में अथवा कम से कम हिन्दी भाषा में दी जानी चाहिए पर ऐसा नहीं हो रहा है उन पर अंग्रेजी थोपी जा रही है. 

यहाँ यह कहना उचित होगा कि अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय मंत्रालय का कामकाज अंग्रेजी में ही हो रहा है और शायद मंत्रालय यह मानकर चल रहा है कि भारत के सभी अल्पसंख्यक इंग्लैंड से अंग्रेजी पढ़कर आए हैं ऐसे में मंत्रालय हिंदी में काम कैसे कर सकता है आखिर मंत्रालय के अधिकारियों के सम्मान का प्रश्न है. मंत्रालय को अल्पसंख्यकों के विकास की चिंता नहीं है बल्कि अंग्रेजी की चिंता है इसलिए अंग्रेजी में काम करते चलो और जब कभी ज़रूरत पड़े तो दो-चार दस्तावेजों को हिंदी में अनुवाद करवा दो पर हम हिंदी में काम तो करेंगे ही नहीं, फिर अनुवादकों की सेवाएँ कब काम आएंगी?

राजभाषा हिन्दी है और काम अल्पसंख्यकों के विकास का है फिर भी प्राथमिकता अंग्रेजी को, सारी योजनाएँ अंग्रेजी में पहले बनती हैं, सभी योजनाओं की जानकारी केवल अंग्रेजी में अंग्रेजी वेबसाइट पर डाली जाती है, सारे आवेदन, शपथपत्र के प्रारूप केवल अंग्रेजी में अंग्रेजी वेबसाइट पर डाले गए हैं, अंग्रेजी दस्तावेज पहले बनेंगे, परिपत्र अंग्रेजी में जारी होंगे. ऐसा देश है मेरा !!!

अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा निरंतर राजभाषा अधिनियमराजभाषा नियमराजभाषा नीति और राजभाषा विभाग के निर्देशों का उल्लंघन किया जा रहा है:

उल्लंघन के उदाहरण:
1.    अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की वेबसाइट केवल अंग्रेजी में बनाई गई है और वेबसाइट पर दो-चार दस्तावेजों के अतिरिक्त अन्य कोई भी जानकारी हिंदी में उपलब्ध नहीं हैना ही हिंदी वेबसाइट बनाने के लिए मंत्रालय ने कोई काम किया गया है, आगामी दशकों में भी हिंदी वेबसाइट बनाने की भी कोई योजना मंत्रालय की नहीं है. वैसे भी मंत्रालय की स्थापना के सात वर्षों में कोई काम नहीं हुआ.
2.    एक-दो अपवाद छोड़कर  अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के सभी निविदा-पत्र, परिपत्र, कार्यालय ज्ञापन, करार, अनुबंध(ताज़ा अनुबंध अक्टूबर 2013 में हुआ) , समझौते, प्रेस विज्ञप्तिविज्ञापन, कार्यक्रमों के बैनरपोस्टर, दिशा-निर्देश, फॉर्म, सूचना का अधिकार अधिनियम सम्बन्धी सभी विवरण/ सूचना अधिकारियों के नाम पते आदि का केवल अंग्रेजी में जारी किए जा रहे हैं. वेबसाइट पर हिंदी में विज्ञप्तिनीतिनियमभर्ती सूचनाअधिसूचना कुछ भी उपलब्ध नहीं है. कृपया मंत्रालय द्वारा राजभाषा विभाग को भेजी गई राजभाषा अनुपालन की त्रैमासिक रिपोर्टों की छानबीन करते हुए भौतिक परीक्षण किया जाए ताकि इन रिपोर्टों की सत्यता सामने आ सके.
3.    सभी ऑनलाइन सेवाएँ केवल अंग्रेजी में उपलब्ध हैं.
4 . अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा रबर की मुहरें, लिफ़ाफ़े और योजनाओं के लाभ लेने हेतु सभी आवेदन फॉर्म द्विभाषी ना छपाकर केवल अंग्रेजी में जारी किए/छापे गए हैं.
5. अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा आयोजित कार्यक्रमों की सम्पूर्ण कार्यवाही अंग्रेजी में की जाती है, बैनर-पोस्टर-बैज-आमंत्रण-पत्र-पाठ्य सामग्री, प्रेस विज्ञप्ति, शिलान्यास-पट आदि केवल अंग्रेजी में तैयार किये जाते/की जाती है.
६. अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा हिन्दी में प्राप्त ईमेल के कोई जवाब नहीं दिए जाते।

आपसे अनुरोध है कि अब ६६ साल बीत गए हैं हिंदी के नाम पर ढोंग करने वाले मंत्रालयों पर कार्यवाही सख्त कीजिए ताकि भारत के नागरिकों को उनकी भाषा में सेवाएं मिलें और सच्चे लोकतंत्र की स्थापना हो, संविधान निर्मातओं की राजभाषा हिंदी की स्थापना की भावना पूरी हो, ये भारत है अंग्रेजों का देश नहीं कि हम पर ६६ साल बाद भी अंग्रेजी थोपी जा रही है.
केंद्रीय हिंदी सलाहकार समिति की बैठक तुरंत बुलवाइए, वर्षों से नहीं हुई है, कुछ ठोस कीजिए, सिर्फ चिट्ठी भेजने भर से कुछ नहीं होगा।
कृपया तुरंत कार्यवाही की जाए और की गई कार्यवाही से मुझे अवगत करवाया जाए.

भवदीय