आजादी
के अडसठ वर्ष बीत चुके हैं पर भारत से अंग्रेजीराज समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा
है, केंद्रीय
माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (केमाशिबो) में भी अंग्रेजीराज कायम है. बोर्ड द्वारा अनेक
वेबसाइटों को केवल अंग्रेजी में बनाया गया है और जो एक-दो वेबसाइट हिन्दी में बनाई
गई हैं उन पर नवीन और ताज़ा जानकारी नहीं डाली जाती है और हिन्दी वेबसाइटों की कोई
सुध लेने वाला नहीं है.
राष्ट्रीय
पात्रता परीक्षा की वेबसाइट http://cbsenet.nic.in/ पूरी तरह से फिरंगी भाषा में है और इस पर कोई भी
जानकारी/विवरणिका/अधिसूचना/विषयों के नाम/ऑनलाइन आवेदन प्रपत्र आदि सुविधा हिन्दी
में नहीं डाली गई है. केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अधिकारी नहीं
चाहते हैं कि कोई भी ऐसा व्यक्ति इस परीक्षा में बैठे जिसने केवल हिन्दी अथवा
भारतीय भाषा माध्यम से पढ़ाई की है. केवल अंग्रेजी वेबसाइट बनाकर बोर्ड यह सन्देश देना चाहता है कि इस परीक्षा में हिन्दी अथवा भारतीय भाषा माध्यम से पढाई करने
वाले भारतीय नागरिकों के बैठने पर रोक है, अंग्रेजी वेबसाइट को देखकर तो यही लगता है. इस तरह
से ये लोग भारत के करोड़ों नागरिकों को केवल अंग्रेजी की लाठी के दम पर इन
परीक्षाओं में बैठने से वंचित कर रहे हैं. यह बहुत गंभीर मामला है. भारत की
संसद में इस पर कोई बहस क्यों नहीं होती? भारत जैसे बहुभाषी देश में हर स्तर पर फिरंगी भाषा
थोपी जा रही है और देश की सरकार को इस बात से कोई सरोकार नहीं दिखता है.
के.मा.
शि. बोर्ड द्वारा राजभाषा सम्बन्धी किसी भी प्रावधान का पालन नहीं किया जा रहा है.
शर्म की बात है कि मातृभाषा दिवस एवं संस्कृत सप्ताह जैसी पहलों के लिए बोर्ड
अंग्रेजी में परिपत्र जारी करता है. बोर्ड में राजभाषा के नाम पर केवल ढोंग चल रहा
है. ऊपर से
बोर्ड की नाम के लिए बनाई हिन्दी वेबसाइटों को जानबूझकर पीछे धकेल रखा है और बाई
डिफाल्ट अंग्रेजी वेबसाइट खुल जाती है, ऐसा करके बोर्ड भारत की राजभाषा अपमान भी कर
रहा है और चाहता है कि कोई भी हिन्दी वेबसाइटों को खोलकर ना देखे. बाई डिफाल्ट
हिन्दी वेबसाइट खुलने से जनता को इनकी सच्चाई पता चलेगी.
अन्य
विषय:
1.
बोर्ड की मुख्य हिन्दी वेबसाइट http://cbse.nic.in/hindi/hindi.html 2012 के बाद कभी भी अद्यतित नहीं की गई है.
2.
बोर्ड की मुख्य हिन्दी वेबसाइट पर हिन्दी में कोई भी
जानकारी नहीं है केवल टैब के नाम हिन्दी में लिख दिए गए है.
3. बोर्ड की मुख्य हिन्दी वेबसाइट पर परीक्षा परिणाम
केवल अंग्रेजी में जारी किए जाते हैं.
4.बोर्ड की मुख्य हिन्दी वेबसाइट पर कुछ पेजों पर केवल
जरुरी संपर्क नाम /केन्द्रीय सूचना अधिकारी के नाम आदि भी वर्ष 2011
5.
राजभाषा विभाग के अगस्त 1999 के निर्देश एवं 2008 में जारी राष्ट्रपति जी के आदेश के अनुसार सभी
वेबसाइट एवं ऑनलाइन सेवाओं को द्विभाषी रूप में उपलब्ध करवाना अनिवार्य है पर
केमाशिबोर्ड की निम्नलिखित वेबसाइट केवल अंग्रेजी में हैं और सभी ऑनलाइन सेवाएँ
केवल अंग्रेजी में हैं ताकि बोर्ड के अधिकारी हिन्दी को पूरी तरह से कामकाज और
शिक्षा प्रशासन से बाहर करना चाहते हैं,
राष्ट्रपति जी के आदेश की भी इनके लिए कोई कीमत नहीं
है इसलिए धड़ल्ले से उल्लंघन कर रहे हैं:
- http://cbseacademic.in/
- http://cbseresults.nic.in/
- http://cbseaff.nic.in/cbse_aff/welcome.aspx
- http://cbseonline.nic.in/regn/udaan.html
- http://www.cbse-international.com/cbse-iportal/auth/
- http://jeemain.nic.in/webinfo/welcome.aspx
- http://aipmt.nic.in/aipmt/Welcome.aspx (केवल नाम के लिए मुख पृष्ठ अकेला हिन्दी में है)
- http://cbsesports.in/ (इस वेबसाइट पर अवैध तरीके से केवल अंग्रेजी का लोगो अंकित किया गया है जबकि बोर्ड का प्रतीक चिह्न केवल हिन्दी में स्वीकृत किया गया है)
- http://www.sahodayaschools.org/
- http://schoolsanitation.com/
- http://cbseacademic.in/aslcorner.html
- CBSE EVIDENCES OF ASSESSMENT WEB PORTAL http://49.50.126.244/eoa/
- Heritage Education wepage http://cbseacademic.in/heritage/
- CCE resources http://cbseacademic.in/cceresources.html
- http://cbseacademic.in/healthmanual.html
- http://cbse.nic.in/aep.htm
- http://cbseacademic.in/library/
6.
राजभाषा अधिनियम की धारा 3 (3) अधीन आने वाले सभी दस्तावेज ( आदेश/परिपत्र/अधिसूचना/मैनुअल
आदि) केवल अंग्रेजी में जारी किए जा रहे हैं. उदाहरण :
7.
बोर्ड के मुख्यालय एवं क्षेत्रीय कार्यालयों में केवल
अंग्रेजी में रबर मुहरें, लिफ़ाफ़े,
पत्र-शीर्ष,
सेवा पंजी,
प्रवेश पास आदि प्रयोग किए जा रहे हैं.
मेरा
कुल मिलाकर इतना ही कहना है कि भारत में के मा शि बोर्ड जैसी संस्थाएँ अंग्रेजी
माध्यम को प्रश्रय देकर देश के करोड़ों भाषाई विद्यार्थियों की प्रतिभा का गला घोंट
रही हैं. अंग्रेजी माध्यम ने इन सडसठ वर्षों में ना जाने कितने करोड़ भाषाई माध्यम से
पढ़े प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को तीसरे दर्जे का नागरिक बना डाला है. यदि सरकार की हिन्दी को ख़त्म
करने की मंशा है और सरकार भाषाई माध्यम से शिक्षा समाप्त करना ही चाहती है तो उसे
बिना देर किए राजभाषा अधिनियम हटा देना चाहिए और पूरे देश में 'अंग्रेजी
माध्यम' लागू कर
देना चाहिए. ना रहेगा बांस और ना बजेगी बांसुरी.
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