नई दिल्ली: दैनिक जागरण. संघ
लोक सेवा आयोग (यू.पी.एस.सी.) की परीक्षाओं में हिन्दी के साथ हो रहे भेदभाव का
मुद्दा अब संसद में गूंजेगा।हिन्दी भाषा के लिए मुखर्जी नगर में दो दिन आमरण अनशन
करने वाले हजारों छात्रों की आवाज बनेंगे उत्तर पूर्वी दिल्ली के भाजपा सांसद मनोज
तिवारी। मंगलवार को वह इस आमरण अनशन में खुद पहुंच गए। उन्होंने छात्रों की समस्या
को गंभीरता से सुना। सांसद ने छात्रों को आश्वासन दिया कि वह चार दिन के अंदर-अंदर
कोई न कोई ठोस जवाब जरुर देंगे।
राष्ट्रीय अधिकार मंच के बैनर तले
अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे छात्रों का कहना है कि सरकार जब तक उनकी मांगों को
पूरा नहीं करती उनका अनशन जारी रहेगा। इनकी मांग है कि परीक्षाओं में हिंदी व अन्य
भारतीय भाषाओं के साथ भेदभावपूर्ण नीतियों को खत्म किया जाए। जिससे ज्यादा से
ज्यादा छात्रों को लाभ मिल सके।
छात्रों ने सांसद को बताया कि इस बार यूपीएससी
की परीक्षा पास करने वाले केवल 26 हिन्दी भाषी है। यूपीएससी की
परीक्षा में सी सैट आने से अंग्रेजी के छात्रों को ज्यादा फायदा मिल रहा है।
छात्रों का आरोप था हिन्दी के साथ यह सब दुव्र्यवहार पूर्व गृहमंत्री पी.चिंदबरम
के इशारे पर हुआ था। हिन्दी भाषी छात्रों को हेय दृष्टि से देखा जा रहा है।
हिन्दी भाषी छात्रों के लिए हिन्दी का विकल्प भी खत्म कर दिया गया है। अब जब देश में नई मोदी सरकार हिन्दी को बढ़ावा दे
रही है तो फिर ऐसा क्यों हो रहा है। छात्रों को आश्वासन
देते हुए सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि वह उनकी पीड़ा को गंभीरता से समझ रहे है। वह
इस मामले में संबंधित मंत्री से बात करेंगे। उम्मीद है कि हल निकल जाएगा।
इतना ही नहीं जरुरत पड़ी तो हिन्दी भाषी
छात्रों की आवाज को वह संसद तक पहुंचाएंगे। उन्होंने छात्रों के साथ हिन्दी के नाम
पर भेदभाव नहीं होने दिया जाएगा।
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