संघ लोक सेवा आयोग में
सीसैट का विरोध कर रहे छात्रों को संबोधित करते राजनीतिक विश्लेषक वेद प्रकाश
वैदिक।
नई दिल्ली. ८ जुलाई २०१४ (नवभारत टाइम्स के सौजन्य से)
संघ लोक सेवा आयोग (संलोसेआ) में हिन्दी के साथ भेदभाव खत्म करने और सीसैट को
हटाने को लेकर छात्रों का विरोध दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। विरोध जताने के क्रम
में मुखर्जी नगर में 50 से अधिक सिविल के छात्र 6 जुलाई से ही आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं। इनमें करीब 20 लड़कियां भी शामिल हैं।
हैरत की बात यह है कि अभी तक सरकार की ओर से कोई प्रतिनिधि अनशन पर बैठे छात्रों से बात
करने तक नहीं आया है। इससे पहले भी करीब 15000 छात्र 27
जून को अपनी मांगों को लेकर रेसकोर्स भी गए थे, वहां सारी रात बैठे रहे लेकिन सरकार की ओर से न तो कोई प्रतिनिधि इनकी बातों को सुनने आया
न ही किसी प्रकार का आश्वासन ही उन्हें मिला।
छात्रो की मांग है कि बदलाव के बाद प्रारंभिक परीक्षा में शामिल किए
गए सीसैट को हटाया जाए जिसका सीधा लाभ इंजीनियरी और ‘प्रबंधन’ के छात्रों को मिल रहा है। कई बार
प्रदर्शन कर चुके इन छात्रों का कहना है कि अब उनके पास इसके अलावा कोई दूसरा
रास्ता भी नहीं हैं क्योंकि हमारी बातों को कहीं नहीं सुना जा रहा है।
इन छात्रों की संघ
लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा 24 अगस्त को है। छात्रों
का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान संघ लोक सेवा आयोग ने अपने पाठ्यक्रम में
व्यापक बदलाव किया है जिससे ग्रामीण और मानविकी पृष्ठभूमि के छात्रों के साथ हिन्दी माध्यम से
परीक्षा देने वाले छात्रों के चयन में नाटकीय रूप से गिरावट दर्ज की गई है। अब हाल
यह हो गया है कि 2013 के संघ लोक सेवा आयोग के रिजल्ट में 1122
लोगों का चयन हुआ है जिसमें हिन्दी माध्यम के छात्रों की संख्या
केवल 26 है।
चयन में इस गिरावट के लिए छात्र यूपीएसी की अंग्रेजी परस्ती को और
प्रारंभिक परीक्षा में शामिल किए गए सीसैट को जिम्मेदार मान रहे हैं। संघ लोक सेवा
आयोग की तौयारी कर रहे छात्र दुष्यंत का कहना है कि सीसैट के कारण इंजीनियरी और ‘प्रबंधन’ के छात्रों काफी लाभ मिल रहा है
जबकि मानविकी एवं हिन्दी माध्यम के छात्र इससे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
संघ लोक सेवा आयोग की तैयारी करने वाले छात्र अतहर कहते हैं कि यही
वजह है कि हम सीसैट को तत्काल प्रभाव से हटाने की मांग कर रहे हैं। अतहर ने कहा,
'हमारी मांग है कि मुख्य परीक्षा में जो अंग्रेजी अर्हता का प्रश्न
पत्र है उसे भी अन्य भारतीय भाषाओं के स्तर का बनाया जाए।'
जबकि एक और छात्र सम्पूर्णानंद कहते हैं कि संघ लोक सेवा आयोग के
प्रश्न जो मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किये जाते हैं उसका हिन्दी अनुवाद काफी
जटिल और कई जगहों पर गलत भी होता है। हमारी मांग यह है कि मूल प्रश्न पत्र हिन्दी में
ही तैयार किए जाएं। छात्रों की मानें तो साक्षात्कार में भी हिन्दी और अन्य भारतीय
भाषाओं के छात्रों को अंग्रेजी बोलने के लिए बाध्य किया जाता है। छात्र प्रारंभिक
परीक्षा की तिथि को भी आगे बढ़ाने की मांग कर रहे हैं क्योंकि आंदोलन और अनशन की
वजह से उन्हें पढ़ाई के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पा रहा है।
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