विनम्र निवेदन है कृपया निम्न ईमेल को अपने नाम -पते के साथ निम्न ईमेल पर भेज दें और गुप्त प्रतिलिपि (BCC) मुझे भेजें :
"Joint Secy, OL" <jsol@nic.in>
RAJINDER PAUL ASSISTANT DIRECTOR <rajinder.paul31@nic.in>
Shefali Dash <dash@nic.in>
Kewal Krishan <kewal.krishan@nic.in>
"sharma.vandana" <sharma.vandana@nic.in>
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सेवा में,
1. सचिव महोदया
राजभाषा विभाग
गृह मंत्रालय
नई दिल्ली
2. प्रशासनिक प्रधान,
राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केन्द्र
ए ब्लॉक, सीजीओ कॉम्प्लेक्स,
लोधी रोड, नई दिल्ली - 110 003
विषय: राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र (रासूविके) द्वारा राजभाषा अधिनियम का निरंतर उल्लंघन एवं जानबूझकर उपेक्षा करने के सम्बन्ध में
महोदय/महोदया,
भारत सरकार के संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन कार्यरत राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र (रासूविके) जिसका कार्य भारत सरकार एवं विभिन्न राज्य सरकारों के विभिन्न मंत्रालयों/ विभागों/ आयोगों/कंपनियों/सार्वजनिक बैंकों/निकायों/ शैक्षणिक संस्थानों को सूचना प्रौद्योगिकी उपलब्ध करवाना हैं. यह केंद्र हिन्दी की घोर उपेक्षा कर रहा है.
हिन्दी वेबसाइटों की टैगिंग भी अंग्रेजी में की जा रही है जिसके कारण गूगल आदि पर हिन्दी में खोज करने पर भी विभिन्न मंत्रालयों /विभागों / आयोगों / कंपनियों/ सार्वजनिक बैंकों/ निकायों/ शैक्षणिक संस्थानों आदि की वेबसाइटें नहीं मिल पाती और अंग्रेजी में नाम लिखकर खोजना पड़ता है.
रासूविके द्विभाषी वेबसाइट बनाने में कोई रूचि नहीं ले रहा, हिन्दी-अंग्रेजी की अलग-२ वेबसाइट बनाई जा रही है. यदि कानून में संशोधन करके अथवा एक राष्ट्रीय वेबसाइट नीति जैसा कुछ बना कर रासूविके के लिए अनिवार्य कर दिया जाये कि वह जो भी सरकारी वेबसाइट बनाएगा, उसे तब तक लोकार्पित नहीं किया जाएगा जब तक कि उसके साथ उसका हिन्दी संस्करण तैयार नहीं कर लिया जाता.
नियम हो कि दोनों भाषाओं में सामग्री एकसाथ प्रदर्शित होगी, इससे लाभ होगा कि अधिकारियों को झक मारकर हिन्दी में भी सामग्री को अद्यतित करना होगा वरना फिलहाल हो कई सालों तक हिन्दी वेबसाइट की कोई अधिकारी सुध नहीं लेता. इस बात को राजभाषा विभाग अच्छी तरह से जानता है. इसी तरह कोई भी ऑनलाइन फॉर्म/सेवा/मोबाइल एप्लीकेशन तब तक सरकारी वेबसाइट पर नहीं शुरू की जाएगी जबतक कि वह १००% द्विभाषी रूप में तैयार नहीं हो. ऐसा नियम बनने से राजभाषा अधिनियम के उल्लंघन को स्त्रोत पर ही रोक दिया जाएगा और यह राजभाषा विभाग के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगी.
मेरी शिकायत के बिंदु:
(क). रासूविके का प्रतीक (लोगो) भी केवल अंग्रेजी में NIC बनाया गया है.
(ग). केवल अंग्रेजी में बनाई गयीं वेबसाइटें:
(घ). रासूविके द्वारा आयोजित सभी कार्यक्रमों/संगोष्ठियों/ सम्मेलनों/बैठकों आदि के बैनर, अतिथियों की मेज नाम -पट्टिकाएँ भी केवल अंग्रेजी में तैयार की जाती हैं,आमंत्रण पत्र, बिल्ले, अन्य आयोजन सम्बन्धी साहित्य भी केवल अंग्रेजी में ही तैयार किया जाता है, ऐसे सभी सम्मलेन आदि में भाग लेने वालों द्वारा भरे जाने वाले भौतिक-पीडीएफ फॉर्म एवं ऑनलाइन फॉर्म भी केवल अंग्रेजी में ही तैयार किये जाते हैं. ऐसे सम्मेलनों के लिए भी वेबसाइट अंग्रेजी में शुरू की जाती है.ताज़ा उदाहरण वेबरत्न पुरस्कार २०१४ के सभी दस्तावेज एवं ऑनलाइन फॉर्म केवल अंग्रेजी में जरी किए गए हैं.
(ङ). भारत का राष्ट्रीय पोर्टल पर हिन्दी में कम सामग्री एवं हिन्दी वेबसाइट का अंग्रेजी के बाद खुलना, हिन्दी वेबसाइट पर अन्य वेबसाइट के लिंक केवल अंग्रेजी वेबसाइटों के दिए जाते हैं ना कि हिन्दी वेबसाइटों के.
(च). रासूविके द्वारा हिन्दी भाषी राज्यों में जो हिन्दी वेबसाइट बनाई जाती है उसमें ज्यादातर विकल्प अंग्रेजी में ही दिए जाते हैं.
(छ). स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, राष्ट्रपति-प्रम के अभिभाषणों जैसे समारोहों के वेबकास्ट हेतु बनाए गए पोर्टल भी केवल अंग्रेजी में बनाए गए हैं.
(ज). रासूविके द्वारा बनायी जा रही वेबसाइटों में से अधिकतर वेबसाइटों पर ऑनलाइन प्ररूप, ऑनलाइन सदस्यता प्ररूप, ऑनलाइन शिकायत प्ररूप, ऑनलाइन दान, ऑनलाइन प्रतिक्रिया प्ररूप आदि की सुविधा हिन्दी में ना होकर केवल अंग्रेजी में उपलब्ध करवाई जाती है. सभी ऑनलाइन प्रारूप-प्रपत्र हिन्दी-अंग्रेजी में अगल-२ नहीं बनाए जाने चाहिए बल्कि एकसाथ दोनों भाषाओं में बनने चाहिए, इसे आसानी से किया जा सकता है.
आपसे शीघ्र और सकारात्मक तथा कारगर कार्यवाही की अपेक्षा है.
भवदीय
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