दिनांक: 25 अक्तूबर 2013 1:39 pm
विषय: दिल्ली पुलिस द्वारा भाषाई आधार पर नागरिकों के साथ भेदभाव की शिकायत
प्रति: manmohan@sansad.nic.in
दिनांक: २५ अक्तूबर २०१३
प्रति,
आदरणीय प्रधानमन्त्री जी
भारत सरकार, नई दिल्ली
विषय:दिल्ली पुलिस द्वारा भाषाई आधार पर नागरिकों के साथ भेदभाव की शिकायत
आदरणीय महोदय,
प्रधानमन्त्री का अगस्त 1999, राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय का सितम्बर 1999 का आदेश एवं संसदीय राजभाषा समिति की संस्तुति संख्या 44 को स्वीकार करने वाले माननीय राष्ट्रपतिजी के आदेश को प्रसारित करते हुए राजभाषा विभाग के (राजपत्र में प्रकाशित) पत्रांकI/20012/07/2005-रा.भा.(नीति-1) दिनांक 02.07.2008 के अनुसार जब भी कोई मंत्रालय/विभाग या उसका कोई कार्यालय या उपक्रम अपनी वेबसाइट तैयार करे तो वह अनिवार्य रूप से द्विभाषी तैयार की जाए | जिस कार्यालय का वेबसाइट केवल अंग्रेजी में है उसे द्विभाषी बनाए जाने की कार्यवाही की जाए|”
इसका आशय है कि भारत सरकार के नियमानुसार हिन्दी में वेबसाइट बनाना और उसे समय-२ पर अंग्रेजी वेबसाइट के साथ अद्यतन करना कानूनन अनिवार्य है.
यह राजभाषा अधिनियम १९६३ एवं भारत के संविधान के अनुच्छेद ३४३ एवं ३५१ का स्पष्ट उल्लंघन है. आपसे विनम्र निवेदन है कि हिन्दी वेबसाइट तुरंत उपलब्ध करवाई जाए । हिन्दी वेबसाइट पर अंग्रेजी सामग्री, अंग्रेजी पीडीएफ /वर्ड फाइलें,अंग्रेजी प्रेस-विज्ञप्तियाँ ना डाली जाएँ एवं उसके स्थान पर हिन्दी सामग्री को डाला जाए. वेबसाइट के बैनर पर "दिल्ली पुलिस"का नाम हिन्दी को ऊपर/आगे रखते हुए हिन्दी में भी प्रदर्शित किया जाए.
हिन्दी वेबसाइट पर भारत सरकार की अन्य वेबसाइट के लिंक भी संबंधित हिन्दी वेबसाइट के ही दिए जाएँ ना कि अंग्रेजी वेबसाइट के.
दिल्ली पुलिस द्वारा नागरिकों को कोई भी जानकारी हिन्दी में उपलब्ध नहीं करवाई जा रही है, जिन नागरिकों को अंग्रेजी नहीं आती वे परेशां हो रहे हैं, ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं उनके साथ भाषाई आधार पर अन्याय हो रहा है, सारी सुविधा केवल अंग्रेजी जानने वालों के मिल रही है. पुलिस थानों में छापे हुए फ़ार्म भी केवल अंग्रेजी में होते हैं. इस तरह हिन्दीभाषी समाज के साथ भारी भेदभाव किया जा रहा है. इस सम्बन्ध में कई नागरिकों और संस्थानों ने दिल्ली पुलिस के पदाधिकारियों और आपको भी शिकायत की है पर दिल्ली पुलिस पर अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है.
महोदय,
ये कैसा देश है जहाँ नागरिकों के जानकारी/जागरूक रहने के मूलभूत अधिकार का अंग्रेजी थोपकर हनन किया जा रहा है, आप ही बताइए आपको जो भाषा ना आती हो और सामने वाला आपको सारी जानकारी उसी भाषा में दे तो ऐसी जानकारी आपके किस काम की?
क्या सरकार नागरिकों को उनकी भाषा में सूचना/जानकारी पाने के अधिकार को भी सुनिश्चित नहीं कर सकती?
"दिल्ली पुलिस" के प्रतीक-चिन्ह में अनिवार्य रूप से हिंदी के अक्षर अंग्रेजी के अक्षरों से पहले/आगे होने चाहिए, अभी जो चिन्ह है उसमें हिन्दी में 'दिल्ली पुलिस' अंग्रेजी के Delhi Police के बाद इस्तेमाल हुआ है इसी तरह 'DP' अक्षर चिन्ह के बीचों बीच अंग्रेजी में है इसलिए कृपया इसमें शीघ्र सुधार किया जाए एवं हिंदी को प्राथमिकता दी जाए. इस सम्बन्ध में राजभाषा अधिनियम के प्रावधानों को http://rajbhasha.nic.in/ पर देखा जा सकता है.
दिल्ली पुलिस द्वारा राजभाषा हिंदी के उल्लंघन के और भी उदाहरण हैं:
1. पूरी दिल्ली में दिल्ली पुलिस क े सभी वाहनों/बैरिकेड्स/ ठहरिये वाले/अवरोध बोर्ड आदि पर 'दिल्ली पुलिस' एवं 'ठहरिए' शब्द केवल अंग्रेजी में ही इस्तेमाल किया जाता है।
2. कई पुलिस थानों के नाम के बोर्ड पर अंग्रेजी को हिंदी के ऊपर/पहले इस्तेमाल किया जाता है।
3. वेबसाइट पर उपलब्ध सभी फॉर्म केवल अंग्रेजी में उपलब्ध हैं जबकि राजभाषा नियमों के अनुसार ऐसे सभी फॉर्म हिंदी अथवा द्विभाषी होने चाहिए।
चूंकि दिल्ली देश की राजधानी है और देश की राजभाषा हिंदी है और इसलिए दिल्ली पुलिस की भाषा भी हिंदी हुई, इन सब कमियों को यथाशीघ्र दूर करवाया जाए।
इस सम्बन्ध में की गई कार्यवाही से मुझे अवगत करवाया जाए, ऐसी मेरी प्रार्थना है.
निवेदक:
भारत का एक सामान्य नागरिक
तुषार कोठारी