विषय: महाराष्ट्र
डाक मंडल में हिंदी के प्रयोग सम्बन्धी.
महोदय,
डाकविभाग भारत सरकार
के अधीन है और भारत की राजभाषा हिंदी है तथा लिपि देवनागरी है. महाराष्ट्र
डाक मंडल में हिंदी की घोर उपेक्षा की जा रही है इसलिए मैं आपका
ध्यान इस ओर आकृष्ट करना चाहता हूँ.
निवेदन
भारतीय
संविधान, राजभाषा
अधिनियम १९६३, एवं उसके अधीन बनी नियमावली में प्रावधान किया गया है कि
सभी मंत्रालयों/ सरकारी एवं अर्द्ध सरकारी संस्थानों/कंपनियों/उपक्रमों/विभागों के
सभी लिफाफे, पत्र-शीर्ष (लेटरहेड), नाम पटल, साइन
बोर्ड, नाम निर्देश, मुद्राएँ (सील-ठप्पा), प्रतीक-चिन्ह,आगंतुक-पत्र(विजिटिंग कार्ड), वेबसाइटें, जारी होने वाली प्रेस विज्ञप्तियां/निविदाएँ, जनता
अथवा हितग्राहियों द्वारा भरे जाने वाले समस्त प्ररूप (फॉर्म)/ई-फॉर्म अनिवार्य
रूप से एकसाथ द्विभाषी (हिन्दी और अंग्रेजी) होने चाहिए, ना
कि अलग-अलग.
स्पीड पोस्ट और
पंजीकृत डाक आदि की रसीदें आदि जो केवल अंग्रेजी में दी जाती है वे द्विभाषी (हिंदी-अंग्रेजी) अथवा केवल हिंदी में छापी जानी चाहिए, सूचना प्रौद्योगिकी में काफी प्रगति हुई है और अब हिन्दी में लिप्यंतरण (transliteration) करना काफी सरल हो गया है इसलिए स्पीड पोस्ट और पंजीकृत डाक डाक आदि की रसीदों में प्राप्तकर्ता-प्रेषक का नाम, दिनांक, मूल्य, वज़न और पता आदि अंग्रेजी के साथ-२ देवनागरी
लिपि में भी छापा जाना चाहिए.
जापान, दुबई, सउदी, फ्रांस, चीन, जर्मनी, क़तर आदि सैकड़ों देशों में उनकी अपनी भाषा को प्रमुख
स्थान दिया गया है फिर भारत में हिन्दी को प्राथमिकता क्यों नहीं दी जाती जबकि
भारत के संविधान ने तो हिंदी को आगे रखने के लिए ही कहा है. मैं निवेदन करता हूँ
कि डाकविभाग के कामकाज में हिंदी एवं स्थानीय भाषा को प्राथमिकता दी जाए.
डाक विभाग की मुख्य
वेबसाइट (www.indiapost.gov.in), महाराष्ट्र
डाक मंडल (http://www.maharashtrapost.gov.in/) एवं फिलाटैली
कार्यालय (http://www.mumbaigpophilately.gov.in) की वेबसाइट को अविलम्ब आमूलचूल हिंदी में शुरू किया जाए .
कृपया
इस सम्बन्ध में डाक विभाग के मुख्यालय, दिल्ली
एवं मुंबई के प्रधान डाकघर को शीघ्र सूचित करें और आवश्यक कार्यवाही करवाएं.
आपसे
शीघ्र सकारात्मक उत्तर की अपेक्षा करता हूँ.
धन्यवाद.
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