अनुवाद

बुधवार, 6 मार्च 2013

निजी बीमा कंपनियों द्वारा बीमा उत्पादों की जानकारी/फार्म/नोटिस/पॉलिसी की शर्तों का केवल अंग्रेजी में उपलब्ध करवाए जाने की शिकायत

उपभोक्ता कार्य विभाग, 
बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण, 9 वीं मंजिल, संयुक्त टावर्स, बशीर बाग, हैदराबाद -500 029 


विषय: निजी बीमा कंपनियों द्वारा बीमा उत्पादों की जानकारी/फार्म/नोटिस/पॉलिसी की शर्तों का केवल अंग्रेजी में उपलब्ध करवाए जाने की शिकायत 

मान्यवर,

देश की राजभाषा हिन्दी है. देश के ८० करोड़ से अधिक लोग हिन्दी में व्यवहार करते हैं. इस समय मेरे पास निम्न निजीकंपनियों की पॉलिसियां हैं:


१. मैक्सबूपा से स्वास्थ्य बीमा: केवल अंग्रेजी 
२. टाटा एआईजी से स्वास्थ्य बीमा: केवल अंग्रेजी 
३. भारती एक्सा से जीवन बीमा (टर्म बीमा): केवल अंग्रेजी 
४. भारती एक्सा से पेंशन योजना: केवल अंग्रेजी 
५. भाजीबीनि से जीवनबीमा - २ पॉलिसी  (हिन्दी-अंग्रेजी)

उक्त  सभी निजी कम्पनी बीमा को खरीदने के लिए मुझसे  सभी फॉर्म अंग्रेजी में भरवाए गए, सारे दस्तावेज भी अंग्रेजी में ही थे और बाद में पॉलिसी भी केवल अंग्रेजी में उपलब्ध करवाई गई, इसके लिए मुझे अपने अंग्रेजी जानने वाले दोस्तों को परेशां करना पड़ा. और फिर भी कई बातें अच्छे से समाज नहीं सका . जो जानकारी एजेंट ने दी उस पर भरोसा करना पड़ा क्योंकि सारी जानकारी केवल एक विदेशी भाषा 'अंग्रेजी में दी गई. आज भी इन कंपनियों द्वाराकिया जाने वाला सारा पत्राचार (प्रीमियम नोटिस, प्रीमियम जमा रसीद) अंग्रेजी में किया जाता है जिसके लिए मुझे दूसरे लोगों से समझना पड़ता है. मैंकंपनियों से पूछा तो उनका कहना है कि हिन्दी अथवा स्थानीय भाषा में कोई भी जानकारी उपलब्ध करवाने का कोई क़ानूनी प्रावधान नहीं है इसलिए हम आपको आपकी भाषा में समझा तो सकते हैं पर दस्तावेज तो केवल अंग्रेजी में ही मिलेंगे.

क्या मुझे मेरी भाषा में जानकारी प्राप्त करने का कोई अधिकार नहीं है?

क्या अंग्रेजी भाषा को हर बीमा खरीदने वाले ग्राहक पर थोपा जाना, ग्राहक के साथ अन्याय नहीं है?

आईआरडीए ने सभी बीमा कंपनियों/सभी पॉलिसियों के लिए हिन्दी अथवा स्थानीय भाषा में  दस्तावेज  उपलब्ध करवाने का कोई क़ानूनी प्रावधान नहीं बनाया है ?

यदि नहीं बनाया तो क्यों नहीं बनाया?

बीमा ग्राहकों  से अंग्रेजी के कारण बेईमानी और छल-कपट हो रहा है फिर भी प्राधिकरण चुप क्यों है?

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