अनुवाद

शुक्रवार, 8 मार्च 2013

जैन धर्म को अल्पसंख्यकधर्म घोषित न किये जाने के विरोध में भगवान आदिनाथ के जन्म-कल्याणक 4 अप्रैल 2013 से जंतर-मंतर पर आमरण-अनशन



आदरणीय डॉमनमोहन सिंह जी
प्रधानमंत्री, भारत सरकार
प्रधानमंत्री कार्यालय,साउथ ब्लाक,रायसीना हिल,
नई दिल्ली- 110001

विषयभारत सरकार द्वारा जैन धर्म को राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय अल्पसंख्यकआयोग अधिनियम1992 के खंड 2 सी के अंतर्गत अल्पसंख्यकधर्म घोषित  किये जाने के विरोध में जैन धर्म के प्रवर्तक भगवान आदिनाथ के जन्म-कल्याणक 4 अप्रैल 2013 से जंतर-मंतरनई दिल्लीपर आमरण-अनशन

निवेदन है कि दिनांक 23 अक्टूबर,1993 को भारत सरकार द्वारा पांच धार्मिक समुदायों को
जनगणना के आधार पर धार्मिक अल्पसंख्यक घोषित किया गया थालेकिन जैनों को नहीं जबकि जैन
भी धार्मिक रूप से अल्पसंख्यक थे!

इस विषय में विश्व जैन संगठन के साथ-2 जैन समाज की अन्य कई संस्थाओं और अनुयायियों
ने राष्ट्रपति जीआपको  अल्पसंख्यक मंत्रालय को पत्र /ज्ञापन भेजेजैन समाज के वरिष्ठ लोगो केकई प्रतिनिधिमंडल भी आपसे मिलेविश्व अल्पसंख्यक दिवस के अवसर पर 18 दिसम्बर 2012 कोसंगठन द्वारा एक विशाल अधिकार रैली और सभा का आयोजन दिल्ली और देश के अन्य राज्यों में
किया गया जिसमे जैन धर्म के सभी पंथों के संतो ने भी शामिल होकर सरकार को प्रेरणा की
और आपको एक ज्ञापन भी भेजा गया लेकिन आज तक आपकी सरकार द्वारा कोई कार्यवाहीनहीं की
गयीजिससे भारत केसकल जैन समाज में दुःख व्याप्त है!

जैन धर्म भारत का एक प्राचीन और स्वतंत्र धर्म हैजैन धर्म के प्राचीन और स्वतंत्र होने के विभिन्न अकाट्य प्रमाण उपलब्ध हैभारत के ही नहीं अपितु विश्व के कई साहित्यकार,इतिहासकारोंराजनीतिज्ञ,अन्य धर्मों के ग्रंथों और विभिन्न राज्यों के उच्च न्यायालयों और भारत के उच्चतम न्यायालय ने भी अपने कई निर्णयों में जैन धर्म को प्राचीन और स्वतंत्र धर्म माना है!

अल्पसंख्यक मंत्रालय जैन धर्म को अल्पसंख्यकता देने में टी.एम.ए.पाई के एक फैसले को अवरोध बताता है जबकि माननीय उच्चतम न्यायालय ने ही दिनांक 29 जुलाई 2004 को मुक़दमा संख्या 4730/1999 में साफ-अपने आदेश में लिखा है कि टी.एम.पाई मुक़दमे में राष्ट्रीय स्तर पर अल्प्संख्यकता देने सम्बन्धी विषय को लिया ही नहीं गयाइतना ही नहीं उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार को इस विषय को दस वर्षो से लंबित होने के कारण चार महीने के अन्दर निर्णय लेने के आदेश दिए परन्तु फिर केंद्र सरकार ने आज तक कोई निर्णय नहीं लिया!

मान्यवरजैसा कि आपको विदित होगा कि वर्ष 2007 में गुजरात सरकार ने धर्मान्तरण बिल पारित कर जैनों को हिन्दू धर्म का हिस्सा बनाने का प्रयास किया थाजो कि विरोध के चलते असफल हो गया थाइसके अतिरिक्त प्राचीन जैन प्रतिमाओं और तीर्थों पर नाजायज कब्जे किये जा रहे हैजैन संतो कोजान से मारने के षड़यंत्र किये जा रहे हैं और वर्तमान राजनैतिक परिवेश में कई धार्मिक संगठनों  द्वारा धार्मिक कट्टरता की बात की जा रही है जिससे जैनसमाज अपनी और अपने धर्म के भविष्य
को लेकर चिंतित हैजैन समाज एक अहिंसक समाज है अपनी बात को हमेशा अहिंसक तरीके से रखने में विश्वास रखता है!

भारत के संविधान में भारत के प्रतिऐक निवासी को धार्मिक स्वतंत्रता और विशेष रूप से धार्मिक अल्पसंख्यकों को उनके धर्मसंस्कृतितीर्थ और शिक्षण संस्थानों के संरक्षण और संवर्धन के अधिकार दिए
हैलेकिन जैन समाज आज तक इससे वंचित है और समय-2 पर अनावश्यक मुश्किलों का सामना
कर रहा हैजबकि हमेशा से जैन धर्म के अनुयायी अल्पसंख्यक होते हुए भी भारत के स्वतंत्रता
आन्दोलन में अपना पूर्ण सहयोग देने से लेकर आज तकसर्वाधिक शिक्षित होकर भारत सरकार में उच्चपदों पर आसीन होकरदेश में महत्वपूर्ण व्यवसायों में अन्य को रोजगार और सरकार को सर्वाधिक
आयकर व अन्य कर पूरी ईमानदारी से देते हुए अहिंसक तरीके से अपना जीवन व्यतीत कर रहा
है फिर भी अपने संवैधानिक अधिकारों से आज तक वंचित है!

मान्यवरदिनांक 17.5.1992 को लोक सभा में पारित राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के खंड 2 सी के अंतर्गत केंद्र सरकार को किसी भी समुदाय कोअल्पसंख्यक घोषित करने का संवैधानिक रूप से पूर्ण अधिकार प्राप्त है और इस अधिकार में कोई भी न्यायालय हस्तक्षेप नहीं कर सकता!

केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 1993 से जैनों की संवैधानिक मांग को आज तक पूरा नहीं किया गया अतविश्व जैन संगठन ने निर्णय लिया है कि यदिभारत सरकार द्वारा जैन धर्म को अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम के अनुछेद 2 सी के अंतर्गत 31 मार्च 2013 तक स्वतंत्र और अल्पसंख्यक धर्मघोषित नहीं किया गया तो जैन धर्म-रक्षकों द्वारा जैन धर्म के प्रवर्तक भगवान आदिनाथ जी के जन्म कल्याणक
वृहस्पतिवार, 4 अप्रैल 2013 से आमरण-अनशन जंतर-मंतरनई दिल्ली पर शुरू किया जायेगा,
जिसकी पूर्णतजिम्मेवारी भारत सरकार की होगी!

आपके द्वारा यदि जैन धर्म को अल्पसंख्यक धर्म घोषित किया जाता है तो हमआपको विश्वास दिलाते है कि भारत के किसी भी न्यायालय में किसीभी जैन संस्था द्वारा दायर इस विषय के मुकदमों को तुरंत वापिस ले लिया जायेगा!

धन्यबाद... न्याय की आशा में..

संजय कुमार जैन (राष्ट्रीय अध्यक्ष)
विश्व जैन संगठन (पंजी.)
मो.न.: 09312278313, 09871633501
इ-मेल   :    vishwajains@yahoo.com

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1. माननीय राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपतिभारतनई दिल्ली
2. श्रीमती सोनिया गाँधीअध्यक्ष - भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसनई दिल्ली-110001
3. माननीय गृहमंत्री , भारत सरकारकेंद्रीय सचिवालयनई दिल्ली-1
4. माननीय अल्पसंख्यक मंत्री , भारत सरकारनई दिल्ली -110003
5. समस्त लोक सभा और राज्य सभा के सदस्य
6. अध्यक्षराष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोगनई दिल्ली
7. भारत की सकल जैन समाज और संस्थाए
8. भारत का समस्त प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया