प्रति,
केन्द्रीय जन सूचना अधिकारी ,
गृह मंत्रालय, भारत सरकार
नार्थ ब्लाक, नई दिल्ली - 110 001.
नार्थ ब्लाक, नई दिल्ली - 110 001.
विषय: सूचना का अधिकार अधिनियम २००५ के अंतर्गत जानकारी प्राप्त करने हेतु आवेदन
महोदय,
उपर्युक्त विषयान्तर्गत मुझे निम्नलिखत जानकारी लिखित में केवल हिंदी में प्रदान करने की कृपा करें:
भारतीय संविधान, राजभाषा अधिनियम १९६३, भारत सरकार की राजभाषा नीति के अनुसार भारत की राजभाषा हिंदी एवं लिपि देवनागरी है पर आज़ादी के ६५ वर्षों के बाद केंद्र सरकार के मंत्रालयों/विभागों/कंपनियों/स् वायत्त निकायों/संस्थानों/आयोगों आदि के कामकाज को देखकर ऐसा बिलकुल नहीं लगता कि भारत की राजभाषा हिंदी है. केंद्र सरकार के हर काम में अंग्रेजी को ही प्राथमिकता दी जाती है, हर कामकाज मूलरूप से अंग्रेजी में ही किया जाता है; हिंदी का इस्तेमाल सिर्फ और सिर्फ अनुवाद की भाषा के रूप में ही किया जाता है.
मेरे प्रश्न हैं:
१. भारत की वास्तविक राजभाषा कौन सी है?
२. भारत सरकार के हर कामकाज में केवल अंग्रेजी को प्राथमिकता क्यों दी जा रही है?
३. क्या भारत सरकार संविधान संशोधन करके अंग्रेजी को भारत की मूल राजभाषा बनाने की कोई योजना बनाना चाहती है अथवा कभी किसी व्यक्ति अथवा संस्था ने ऐसा कोई प्रस्ताव भेजा है?
४. यदि संविधान के अनुसार हिंदी भारत की राजभाषा है और राजभाषा अधिनियम/राजभाषा नीति में लिखा है कि भारत सरकार अपने हर कामकाज में हिंदी को अनिवार्य प्राथमिकता देगी तो बताएं कि:
i. भारत सरकार के सभी मंत्रालयों/विभागों/कंपनियों/स् वायत्त निकायों/संस्थानों/आयोगों की हिंदी वेबसाइटें अंग्रेजी वेबसाइट पहले कबसे खुलने लगेंगी? [अभी इन्टरनेट पर वेब पता लिखने पर सीधे अंग्रेजी वेबसाइट खुलती है और हिंदी का विकल्प दिया जाता है]
ii. पैनकार्ड एवं पासपोर्ट जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों को पूर्णरूप से द्विभाषी (हिंदी-अंग्रेजी) कब से बनाया जाएगा?
iii. हिंदीतर राज्यों में आधार कार्ड एवं मतदाता पहचान-पत्र पर संबंधित राज्य की राजभाषा एवं अंग्रेजी को स्थान दिया गया है, उसमें संबंधित राज्य की राजभाषा के साथ-२ हिंदी को स्थान कब से दिया जाएगा?
iv. वाहन पंजीयन/ चालक अनुज्ञप्ति (रजिस्ट्रेशन/ ड्राइविंग लाइसेंस) केवल अंग्रेजी में ही क्यों बनाए जाते हैं उन्हें पूर्णरूप से द्विभाषी (हिंदी-अंग्रेजी) कब से बनाया जाने लगेगा?
v. दिल्ली स्थित केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों/कार्यालयों में एवं हिन्दीभाषी राज्यों में राजभाषा अधिनियम/राजभाषा नीति का पालन कड़ाई के साथ कब शुरू करवाया जाएगा?
vi. भारत सरकार द्वारा भारत में आयोजित किये जाने वाले सभी राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों/आयोजनों के आमंत्रण-पत्र, कार्यक्रमों/आयोजनों के मंच बैनर, मंचासीन होने वाले अतिथियों के नाम की पट्टिकाएँ आदि द्विभाषी (हिंदी-अंग्रेजी) रूप में बनाना कब से शुरू किया जाएगा?
केंद्र सरकार के कार्यालयों में राजभाषा हिंदी की वर्तमान स्थिति:
· केंद्र सरकार के कई विभागों/ निकायों/मंत्रालयों द्वारा हिंदी में प्राप्त हुए पत्रों के उत्तर भी अंग्रेजी में दिए जाते हैं.
· हिंदी में वेबसाइट बनाना सन २००० के लगभग से प्रारंभ हुआ पर अभी तक भारत सरकार के कई प्राधिकरणों/विभागों/कंपनियों/ स्वायत्त निकायों/संस्थानों/आयोगों ने अपनी हिंदी वेबसाइटें चालू नहीं की हैं.
· जिन्होंने हिंदी वेबसाइट शुरू की हैं, वे समय पर अद्यतन नहीं की जाती, हिंदी वेबसाइटें आधी-अधूरी तथा ढेर सारी त्रुटियों से भरी हुई हैं.
· कई विभागों/निकायों ने क़ानूनी औपचारिकता पूरी करने के लिए हिंदी वेबसाइट के नाम पर गूगल अनुवादक अपनी वेबसाइट पर जोड़ रखा है, जिसका अनुवाद कोई समझ ही नहीं सकता? भारत सरकार की हिन्दी वेबसाइटें अधूरेपन का रोना रो रही हैं.
· आदरणीय प्रधानमंत्रीजी की खुद की वेबसाइट इसी वर्ष हिंदी में शुरू की गई है जबकि अंग्रेजी वेबसाइट सालों से चल रही है.
· और तो और आज दिनांक तक माननीय राष्ट्रपति महोदय/राष्ट्रपति सचिवालय की वेबसाइट हिंदी में उपलब्ध नहीं हैं.
· केंद्र सरकार के अधिकतर विभागों/ निकायों/मंत्रालयों में स्टेशनरी(लेखन-सामग्री) जैसे रबर की मोहरें, पत्र-शीर्ष (लेटरहेड), स्टीकर, रजिस्टर, फ़ाइल आवरण, लिफ़ाफ़े, भारत सरकार द्वारा आयोजित सभी राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों/आयोजनों के आमंत्रण-पत्र, कार्यक्रमों/आयोजनों के मंच बैनर, मंचासीन होने वाले अतिथियों के नाम की पट्टिकाएँ (टेबल नेम प्लेट्स), जारी होने वाली प्रेस विज्ञप्तियाँ/ कार्यालयीन आदेश/ नियम/सूचनाएँ/उपनियम आदि केवल अंग्रेजी में ही तैयार किये जाते हैं.
· कुछेक विभागों/ निकायों/मंत्रालयों/कंपनियों के प्रतीकचिन्ह केवल अंग्रेजी में ही बनाए गए हैं.
· केंद्र सरकार के कई विभागों/ निकायों/मंत्रालयों द्वारा हिंदीभाषी राज्यों की राज्य सरकारों से किये जाने वाले समझौते/करार/अनुबंध/ पत्र-व्यवहार आदि केवल अंग्रेजी में होते हैं जबकि कानूनन हिंदीभाषी राज्यों और केंद्र सरकार के बीच सबकुछ (पत्राचार अथवा करार) केवल हिंदी में होना चाहिए.
स्थान:
दिनांक: ....नवम्बर २०१२ आवेदक
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पत्र-व्यवहार का पता: ...................
आवेदन शुल्क का विवरण: १० रुपये मूल्य का भारतीय डाक आदेश (पोस्टल ऑर्डर) संलग्न है.
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