अनुवाद

बुधवार, 6 मार्च 2013

राष्ट्रपति सचिवालय भी नहीं करता राजभाषा नियमों का पालन


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From: प्रवीण जैन <cs.praveenjain@gmail.com>Date: 2012/9/5
Subject: हिंदी दिवस १४ सितम्बर को है !!! President of India's website is not available in India's Official Language
To: usgrievance@rb.nic.inCc: secyol@nic.insrpps_secyol@nic.injsol@nic.injsol2-mha@nic.insudhir.malhotra@nic.insushmaswaraj@hotmail.comletter.editorsahara@gmail.comletter@naidunia.comhindi.letters@bbc.co.uk, World Hindi Secretariat Mauritius <whsmauritius@gmail.com>, hindi@tehelka.com, Dinesh Sharma <info@swatantraawaz.com>, Hindi Homepage <mail@hindihomepage.com>, 
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दिनांक: ५ सितम्बर २०१२

शिक्षक दिवस

 


प्रति,
श्री चिराब्रत सरकार
अवर सचिव,
राष्ट्रपति सचिवालय
नयी दिल्ली 

 



विषय: राष्ट्रपतिजी एवं उनसे सम्बद्ध वेब साइटों की राजभाषा 'हिंदी' में अनुपलब्धता सम्बन्धी शिकायत एवं कार्यवाही हेतु निवेदन 


आदरणीय महानुभाव


भारत के महामहिम राष्ट्रपतिजी की आधिकारिक वेबसाइट भारत की राजभाषा हिंदी में उपलब्ध नहीं है और राष्ट्रपति भवन से कोई भी प्रेस विज्ञप्ति हिंदी में जारी नहीं होती है,घोर आश्चर्य और शर्म की बात है इस देश के लिए. जब देश के प्रथम नागरिक के पास ही हिंदी की इतनी भारी उपेक्षा हो रही हो तो देश में सरकारी कामकाज में हिंदी की स्थिति का अंदाजा लगाना कठिन नहीं है. संसदीय राजभाषा समिति की संस्तुति संख्या 44 को स्वीकार करने वाले राष्ट्रपति के आदेश को प्रसारित करते हुए राजभाषा विभाग के (राजपत्र में प्रकाशित) पत्रांकI/20012/07/2005-रा.भा.(नीति-1) दिनांक 02.07.2008 में कहा गया है-जब भी कोई मंत्रालय विभाग या उसका कोई कार्यालय या उपक्रम अपनी वेबसाइट तैयार करे तो उसे अनिवार्य रूप से द्विभाषी तैयार किया जाए। जिस कार्यालय की वेबसाइट केवल अंग्रेजी में हैउसे द्विभाषी बनाए जाने की कार्यवाही की जाए।”  फिर भी राजभाषा को लागू करने में कोई कठिनाई आती है तो केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो अथवा आउटसोर्सिंग से इस प्रसंग में सहायता भी ली जा सकती है।  क्या यह संविधान के मूल उद्देश्यों और राजभाषा अधिनियम तथा स्वयं राष्ट्रपतिजी के आदेश का उल्लंघन नहीं है? 


जनगणना के आंकड़ों के अनुसार देश में अंग्रेजी भाषी लोग मात्र 0.021% ही हैं। इस दृष्टिकोण से भी अत्यंत अल्पमत कीऔर विदेशी भाषा जनता पर थोपना जनतंत्र का स्पष्ट निरादर है। देश की राजनैतिक स्वतंत्रता के 65 वर्ष बाद भी देश के राष्ट्रपति भवन की कार्यवाहियां ऐसी भाषा में संपन्न की जा रही हैंजो 1% से भी कम लोगों में बोली जाती है। इस कारण देश के महामहिम राष्ट्रपति की गतिविधियों से अधिकांश जनता अनभिज्ञ है  और पारदर्शिता का अभाव रहता है। राष्ट्रपति भवन में सैकड़ों बड़े अधिकारी काम कर रहे हैं पर किसी को भी हिंदी के सांविधिक प्रयोग की भी फ़िक्र नहीं है. राजभाषा विभाग के आला अधिकारी भी शिकायत किये जाने पर एक साल में भी कोई प्रतिक्रिया नहीं देते


मैं पिछले साल से लिख रहा हूँ, राष्ट्रपति सचिवालय के हेल्पलाइन पोर्टल (http://www.helpline.rb.nic.in/) पर तीन बार शिकायत दर्ज करवा चुँका हूँ पर कोई नतीजा नहीं निकला

१. पहली बार:पंजीयन संख्या:PRSEC/E/२०११/१६७७६ = १९ अक्तूबर २०११  

२. दूसरी बार: पंजीयन संख्या: PRSEC/E/२०१२/०८२८९ = १२ जून २०१२३.

तीसरी बार: पंजीयन संख्या- PRSEC/E/2012/10662 = ४ अगस्त २०१२ 


आप सभी बड़े अधिकारियों से अनुरोध करता हूँ कि आगामी १४ सितम्बर २०१२ (हिन्दी दिवस) से महामहिम राष्ट्रपति एवं उनसे सम्बद्ध/अधीनस्थ सभी विभागों/कार्यालयों की वेबसाइटें हिंदी में उपलब्ध करवाएं एवं सम्बद्ध अधिकारियों पर कर्तव्यहीनता और जिम्मेदारी पूरी ना कर पाने के एवज में कड़ी कार्यवाही की जाए. [जो अब तक हिंदी वेबसाइट उपलब्ध नहीं करवा सके,]  


साथ ही इस बात का ध्यान रखा जाए कि वेबसाइट पहले अनिवार्य रूप से हिंदी में खुले और बाद में 'अंग्रेजीका विकल्प उपलब्ध करवाया जाए जैसा कि दुनिया के विकसित देशों (फ़्रांसचीनकोरियाजापानजर्मनीसिंगापुर, अरब देश आदि) में होता है कि हर सरकारी वेबसाइट पहले उनकी अपने देश की राजभाषा में वेबसाइट खुलती है और बाद में अंग्रेजी का विकल्प उपलब्ध करवाया जाता है.


आज सुबह मैंने राजभाषा विभाग के श्री डी.के. पाण्डेयसंयुक्त सचिव (रा.भा.-I) एवं मुख्य सतर्कता अधिकारी से फोन पर बातचीत भी की और उनसे मेरी दो शिकायतों पर कार्यवाही का ब्यौरा माँगा पर उनके पास कोई जवाब नहीं था, उन्होंने कहा देखकर बताऊँगा. मैं कहा आपके पास मेरी शिकायतें पिछले एक साल पड़ी हुई हैं पर अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई. बड़ी अजीब स्थिति है कि इतनी बड़ी बात का संज्ञान तक किसी बड़े अधिकारी ने आजतक नहीं लिया. 


केंद्र सरकार के कई विभागों/कंपनियों/संस्थानों/उपक्रमों आदि की वेबसाइटें आज भी हिंदी में नहीं है, इसलिए राजभाषा विभाग के आला अधिकारियों की कर्तव्य के प्रति सजगता जग जाहिर हो चुकी है. 


आपके सकारात्मक उत्तर की शीघ्र अपेक्षा करता हूँ.

भवदीय

 

सीएस. प्रवीण कुमार जैन,