---------- अग्रेषित संदेश ----------
प्रेषक: प्रवीण जैन <cs.praveenjain@gmail.com>
दिनांक: 8 जनवरी 2013 5:50 pm
विषय:
प्रवासी भारतीय दिवस में प्रवासी भारतीय कार्य मंत्रालय द्वारा राजभाषा की अवहेलना
_शिकायत
प्रति: jsol@nic.in,
jsol2-mha@nic.in, sudhir.malhotra@nic.in
प्रति,
राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय
एनडीसीसी-II (नई दिल्ली सिटी सैंटर) भवन, 'बी' विंग
चौथा तल, जय सिंह रोड़
नई दिल्ली - 110001
विषय: प्रवासी
भारतीय कार्य मंत्रालय द्वारा राजभाषा अधिनियम, संविधान का
उल्लंघन सम्बन्धी शिकायत
महोदय,
७ जनवरी २०१३ को शुरू हुए 'प्रवासी भारतीय दिवस समारोह' में कहीं भी भारत की राजभाषा के दर्शन नहीं हुए, हर
जगह अंग्रेजी और सिर्फ अंग्रेजी है. इस सम्बन्ध में मैंने २२ दिसंबर २०१२ को आपको
ईमेल भी लिखा था यदि उस पर तुरंत ठोस कार्यवाही की गई होती तो शायद दृश्य बदला हुआ
होता. समझ नहीं आता कि भारत के प्रधान मंत्रीजी, विदेश
मंत्री के होते हुए, अनेक प्रशासनिक अधिकारियों की उपस्थिति के
बावजूद भी हिन्दी का ऐसा अपमान. ये तो ऐसी बात हुई कि भारत का गणतंत्र दिवस मनाया
जाए और उसमें माननीय राष्ट्रपति महोदय को आमंत्रित नहीं किया जाए.
भारत सरकार का मंत्रालय 'प्रवासी भारतीय दिवस समारोह' आयोजित कर रहा है पर यहाँ जैसे 'राजभाषा' का प्रयोग सर्वथा वर्जित है. पूरे समारोह में शायद हिन्दी कहीं नहीं है,
जैसा कि भारत में भारत सरकार द्वारा आयोजित 'अंतर्राष्ट्रीय
स्तर' के ज़्यादातर कार्यक्रमों में होता है. वर्षों से यह
होता आ रहा है. मैं ऐसा नहीं कहता कि सभी कार्यक्रम बल्कि ज़्यादातर कार्यक्रमों
में अंग्रेजी ही सर्वोपरि है. हिन्दी तो जैसे अछूत हो जाती है. मेरी माँ भाषा है
हिन्दी इसलिए अपमान सहन नहीं होता और आपको शिकायत करता हूँ क्योंकि कार्यान्वयन की
ज़िम्मेदारी आपकी है. ऐसा क्यों हो रहा है? क्यों हिन्दी को
प्राथमिकता नहीं दी जा रही?
ऐसा कब तक जारी रहेगा? शायद इस सवाल का उत्तर आप भी नहीं दे
सकते. केवल स्वप्रेरणा और प्रोत्साहन के बल पर भारत सरकार के निकायों अथवा
मंत्रालयों आदि में हिन्दी को राजभाषा का वास्तविक दर्जा तब तक नहीं मिल सकता जब
तक सूचना कानून की तरह संबंधित अधिकारियों पर मामूली/सांकेतिक ही सही परन्तु
जुर्माना अथवा अनुशासनात्मक कार्यवाही का प्रावधान नहीं किया जाता.
मैं आपसे अनुरोध करूँगा कि आप भारत के
माननीय राष्ट्रपति /प्रधानमंत्री को मेरा एक निवेदन भेजें कि वे अपने सारे भाषण
(राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों में ) हिन्दी में ही पढ़ें और उसका अनुवाद
अंग्रेजी में श्रोताओं/कार्यक्रम के उपस्थितों को जारी किया जाए, इससे निश्चित रूप से मंत्रियों और
अधिकारियों को हिन्दी के प्रयोग की प्रेरणा मिलेगी.
शिकायत में सबूत के रूप में कार्यक्रम
स्थल के चित्र संलग्न हैं. उम्मीद करता हूँ कि तुरंत कार्यवाही की जाएगी.
भवदीय:
प्रवीण कुमार जैन
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
आपसे विनम्र प्रार्थना है इस पोस्ट को पढ़ने के बाद इस विषय पर अपने विचार लिखिए, धन्यवाद !