प्रति,
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड
मुम्बई
विषय: हिन्दी वेबसाइट समय पर एवं अंग्रेजी वेबसाइट के साथ-२ अद्यतन क्यों नहीं की जा रही है
महोदय,
भारत सरकार के कानून के अनुसार हिन्दी में वेबसाइट बनाना और उसे समय-२ पर अंग्रेजी वेबसाइट के साथ अद्यतन करना कानूनन अनिवार्य है पर फिर भी आपकी हिन्दी वेबसाइट आधी अधूरी है, अंग्रेजी वेबसाइट हमेशा अद्यतन होती है पर हिन्दी वेबसाइट बहुत कम अद्यतन की जाती है. हिन्दी वेबसाइट पर त्रुटियाँ भी हैं और हिन्दी वेबसाइट के बहुत सारे टैब पर क्लिक करने पर अंग्रेजी वेबसाइट का पृष्ठ खुल जाता है. हिन्दी वेबसाइट पर केवल राजभाषा विभाग और राजभाषा नीति के बारे में ही लिखा गया. अंग्रेजी वेबसाइट पर सारी जानकारियां उपलब्ध हैं जबकि हिन्दी वेबसाइट पर कुछ भी जानकारी नहीं हैं, प्रेस विज्ञप्तियाँ, अधिनियम, परिपत्र, अधिसूचना आदि सबकुछ अंग्रेजी में उपलब्ध हैं क्योंकि सेबी द्वारा सभी प्रेस विज्ञप्तियां, नियम, नियमन, अधिसूचना तथा परिपत्र केवल अंग्रेजी में जारी किये जाते मैं आज तक इनमें से एक भी दस्तावेज हिंदी में अथवा द्विभाषी रूप में जारी नहीं हुआ.
सेबी का प्रतीक-चिन्ह (लोगो) SEBI अभी केवल अंग्रेजी में है, जो कि राजभाषा अधिनियम १९६३ एवं उसके अधीन बने नियम आदि के विपरीत है। जिस तरह भारतीय रिज़र्व बैंक के प्रतीक-चिन्ह में हिन्दी सबसे ऊपर है उसी तरह सेबी के प्रतीक -चिन्ह में भी सुधार किया जाना अपेक्षित है.
हिंदी वेबसाइट का अद्यतन ना होना तथा सेबी के कामकाज में हिंदी को बढ़ावा ना देना, राजभाषा अधिनियम १९६३ एवं भारत के संविधान के अनुच्छेद ३४३-३५१ का स्पष्ट उल्लंघन है.
आपसे विनम्र निवेदन है कि:
- हिन्दी वेबसाइट तुरंत अद्यतन की जाए एवं इसकी कमियों और त्रुटियों को तुरंत दूर किया जाए.
- हिन्दी वेबसाइट से अंग्रेजी सामग्री हटाई जाए एवं उसके स्थान पर हिन्दी सामग्री को डाला जाए.
- हिन्दी वेबसाइट पर भारत सरकार की अन्य वेबसाइट के लिंक भी संबंधित हिन्दी वेबसाइट के ही दिए जाएँ ना कि अंग्रेजी वेबसाइट के.
- सभी प्रेस विज्ञप्तियां, नियम, नियमन, अधिसूचना तथा परिपत्र आदि अनिवार्य रूप से द्विभाषी रूप में जारी किए जाएं।
क्या शेयर बाजार सिर्फ अंग्रेजी जानने वालों का बाजार है? केवल हिन्दी अथवा अन्य भारतीय भाषा जानने वालों को यहाँ प्रवेश निषेध है क्योंकि सेबी द्वारा बनाये गए कानून, नियम,नियमन, जारी होने वाली प्रेस विज्ञप्तियाँ, अधिनियम, परिपत्र, अधिसूचना आदि सबकुछ अंग्रेजी में ही उपलब्ध हैं.
जिस देश के ८० करोड़ लोग हिन्दी जानते हों उस देश में १ % से कम लोगों द्वारा समझी जाने वाली अंग्रेजी को थोपा जाना सही नहीं है बल्कि अन्याय है. आप तब तक शेयर बाजार में छोटे और खुदरा निवेशकों की भागीदारी सुनिश्चित नहीं कर सकते जबकि उन्हें उनकी अपनी भाषा 'हिन्दी' में जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई जाती. शेयर बाजार को देखकर समझकर लगता है कि जो व्यक्ति अंग्रेजी ना जानता हो उसे कभी भी शेयर बाजार में कतई निवेश नहीं करना चाहिए. मैं तो कहता हूँ निवेशकों के साथ यह अन्याय है कि उसे केवल अंग्रेजी में जानकारी दी जाती है.
निवेशकों को आईपीओ के विज्ञापन, आईपीओ के प्रविवरण (प्रोस्पेक्टस/ डीआरएचपी), कंपनियों के शेयर आवेदन फार्म, कंपनियों के वार्षिक खाते, म्युचुअल फंड, डीमेट खाता खोलने के सभी फार्म, शेयर प्रमाण-पत्र, नोटिस, हर दस्तावेज़ अंग्रेजी और सिर्फ अंग्रेजी में. ऐसा कब तक चलेगा? शेयर बाजार से खुदरा/छोटे निवेशकों के दूर रहने का सबसे बड़ा कारण 'अंग्रेजी' है, कोई माने या ना माने. जैसे भारतीय रिजर्व बैंक ने सरकारी एवं निजी सभी बैकों में आम जनता से जुड़े सभी लेनदेन-कामकाज में हिन्दी को अनिवार्य किया है क्या सेबी ने शेयर बाज़ार में संविधान की भावना के अनुरूप हिन्दी को आगे बढ़ाने के लिए कोई कदम उठाये हैं?
निवेशक को कोई शिकायत करनी हो तो भी उसे अंग्रेजी आना आवश्यक है वर्ना उसे शिकायत का कोई अधिकार नहीं है. शिकायत का पोर्टल भी scores.gov.in अंग्रेजी में है. या तो वकील को मोटी फ़ीस दो फिर अंग्रेजी में शिकायत लिखवाओ या फिर शिकायत ही मत करो.
राजभाषा विभाग 'गृह मंत्रालय' के वार्षिक कार्यक्रम २०१२-१३ के अनुसार सभी सरकारी वेबसाइटों का शत प्रतिशत हिन्दी में होना अनिवार्य है वर्ष २०१२-१३ के समापन में अब केवल ढाई महीने ही बचे हैं पर फिर भी आपने कोई कार्यवाही नहीं की है.
इस सम्बन्ध में की गई कार्यवाही से मुझे अवगत करवाया जाए, ऐसी मेरी प्रार्थना है.
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