महोदय,
वैसे तो राजभाषा विभाग द्वारा निरंतर राजभाषा के क्रियान्वयन के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं और किए जा रहे हैं. मैं यहाँ जो सुझाव भेज रहा हूँ शायद बहुत सी बातें उनमें शामिल होंगी.
सूचना–प्रौद्योगिकी का समय है, विश्व बदल रहा, नयी चुनौतियाँ सामने हैं. आशा और विश्वास है कि हम होंगे कामयाब एक दिन. हिन्दी केवल भारत ही नहीं विश्व की सबसे बड़ी/सबसे अधिक बोली जाने जाने वाली भाषा बनेगी.
इसी दृढ विश्वास के साथ आपके सामने निम्न सुझाव रख रहा हूँ:
क) केन्द्र सरकार के प्रत्येक कार्यालय की वेबसाइट हिन्दी में बने, हिन्दी वेबसाइटों के लिए स्पष्ट 'दिशा-निर्देश' जारी किये जाएँ जिसमें मुख्यत निम्नलिखित बातों को शामिल किया जाए:
- हिन्दी वेबसाइट पहले खुले और अंग्रेजी का विकल्प दिया जाए. दुनिया के हर देश (इटली, जापान, जर्मनी, फ़्रांस, कनाडा, रूस, अरब देशों में सभी सरकारी वेबसाइटें उनकी अपनी राजभाषा में ही खुलती हैं)
- केन्द्र सरकार के कार्यालयों द्वारा हिन्दी वेबसाइट के नाम पर 'गूगल अनुवादक' का लिंक वेबसाइट पर जोड़ने पर रोक लगाई जाए बल्कि संविधान द्वारा मान्य हिन्दी के अतिरिक्त अन्य भारतीय भाषाओं के अनुवाद के लिए हर वेबसाइट पर 'गूगल अनुवादक' जोड़ा जाए. गूगल अनुवादक में भारत की प्रमुख भाषाएँ प्रदर्शित हों ना कि गूगल में उपलब्ध सभी भाषाएँ हर वेबसाइट पर दी जाएँ.
- हिंदी वेबसाइट को भी अंग्रेजी वेबसाइट के साथ-2 अथवा पहले अद्यतन किया जाए ना कि हिंदी वेबसाइट को बाद में अद्यतन किया जाए, कई हिंदी वेबसाइट 2-4 दिन नहीं सालों से अद्यतन नहीं की गयी हैं।
- हिंदी वेबसाइट पर सम्पूर्ण सामग्री हिंदी में डाली जाए।
- हिंदी वेबसाइट केवल यूनिकोड फॉण्ट में बनायीं जाए।
- हिंदी वेबसाइट पर कोई भी परिपत्र-सूचना-विज्ञप्ति केवल हिंदी अथवा द्विभाषी रूप में ही अपलोड की जाए।
- सरकारी वेबसाइट के हिंदी एवं अंग्रेजी के संस्करणों पर उपलब्ध सभी पीडीऍफ़/एचटीएमएल अथवा वर्ड फॉर्म अनिवार्य रूप से द्विभाषी ही अपलोड किये जाएँ। केवल अंग्रेजी के पीडीऍफ़/एचटीएमएल अथवा वर्ड फॉर्म पर रोक लगायी जाए।
- सरकारी वेबसाइट के हिंदी एवं अंग्रेजी के संस्करणों पर उपलब्ध सभी ई-फॉर्म अनिवार्य रूप से द्विभाषी ही अपलोड किये जाएँ। केवल अंग्रेजी के ई-फॉर्म पर रोक लगायी जाए। कार्पोरेट कार्य मंत्रालय की 'एमसीए21' परियोजना एवं पासपोर्ट सेवा के केवल गिनेचुने ई-फॉर्म में हिंदी का विकल्प दिया गया है बाकी सारे फॉर्म अंग्रेजी में हैं। आयकर विभाग के सभी फार्म द्विभाषी बनवाए जाएँ।
- सरकार की हिंदी वेबसाइट पर अन्य सरकारी वेबसाइट के अंग्रेजी संस्करण के लिंक दिए जाते हैं, इसके लिए स्पष्ट अनिवार्य निर्देश किया जाए कि हिंदी वेबसाइट पर लिंक भी 'हिंदी वेबसाइटों' के ही दिए जाएँगे।
- केन्द्र सरकार के कार्यालयों द्वारा सामाजिक मीडिया (फेसबुक,ट्विटर, यूट्यूब) का इस्तेमाल केवल अंग्रेजी में किया जा रहा है। सामाजिक मीडिया का हिंदी में इस्तेमाल अनिवार्य किया जाए।
- केन्द्र सरकार के कार्यालयों द्वारा प्राप्त इमेलों/आरटीआई आवेदन की प्राप्ति स्वीकृति के जवाबी ईमेल/पावती अनिवार्य रूप से द्विभाषी अथवा हिंदी में भेजी जाए।
- केन्द्र सरकार के कार्यालयों द्वारा धनराशि /शुल्क/शास्ति आदि की ऑनलाइन प्राप्ति की सभी रसीदें अथवा चालान अनिवार्य रूप से द्विभाषी होनी चाहिए।
- केन्द्र सरकार के कार्यालयों /कंपनियों के सभी ऑनलाइन बीजक/बिल/देयक/खरीद आदेश आदि अनिवार्य रूप से द्विभाषी होने चाहिए।
- केन्द्र सरकार के कार्यालयों /कंपनियों के सभी ऑनलाइन शिकायत अथवा सदस्यता फॉर्म आदि अनिवार्य रूप से द्विभाषी होने चाहिए।
- सरकारी वेबसाइटों के हिन्दी-अंग्रेजी दोनों संस्करणों पर बैनर अनिवार्य रूप से हिन्दी को आगे/ऊपर रखते हुए द्विभाषी बनाया जाए.
- हिन्दी और अंग्रेजी की वेबसाइटों पर आगुन्तकों की संख्या पृथक-२ दर्शाई जाए.
- हिन्दी और अंग्रेजी की वेबसाइटों पर ‘इस वेबसाइट का अंतिम बार अद्यतन:........(दिनांक) का अनुप्रयोग अनिवार्य किया जाए तक पता चल सके कि हिन्दी वेबसाइट समय पर अद्यतन की जा रही है अथवा नहीं.
ख). केन्द्र सरकार के प्रत्येक कार्यालय द्वारा बनाये जाने वाले 'प्रतीक चिह्नों' की रचना के लिए स्पष्ट 'दिशा-निर्देश' जारी किये जाएँ जिसमें मुख्यत निम्नलिखित बातों को शामिल किया जाए:
१. 'प्रतीक चिह्नों' में अनिवार्य रूप से हिन्दी/संस्कृत भाषा का इस्तेमाल होना चाहिए.
२. हिन्दी के साथ अन्य भारतीय भाषा के इस्तेमाल की छूट दी जाए.
३. किसी भी सरकारी प्रतीक चिन्ह में अंग्रेजी का इस्तेमाल वैकल्पिक होगा अनिवार्य नहीं.
४. सरकारी प्रतीक चिन्ह में यदि अंग्रेजी का इस्तेमाल किया जाता है तो हिन्दी/संस्कृत अंग्रेजी से आगे अथवा ऊपर और बड़े अक्षरों में इस्तेमाल की जाएगी.
५. सरकारी प्रतीक चिन्ह में हिन्दी-संस्कृत का इस्तेमाल प्रभाशाली और प्राथमिक आधार पर किया जाएगा.
६. केन्द्र सरकार के कई कार्यालय/विभागों ने अभी अपने चिन्ह केवल अंग्रेजी में अथवा अंग्रेजी को प्राथमिकता देते हुए बनाए हैं उन पर तुरंत प्रभाव से रोक लगाई जाए और शीघ्र सुधार करने के लिए कार्यालय/विभाग के मुखिया को नोटिस भेजे जाएँ. (संविधान एवं राजभाषा अधिनियम के उल्लंघन में बनाये गए सरकारी प्रतीक चिन्हों की सूची संलग्न है)
आशा करता हूँ इस पर आप सकारात्मक रूप से विचार करेंगे.
आपके उत्तर की प्रतीक्षा में
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