अनुवाद

बुधवार, 6 मार्च 2013

मुम्बई मे बसने वाले आम आदमी की सबसे बड़ी समस्या

महामुम्बई की लगभग डेढ़ दो करोड़ की जनसंख्या में लगभग ६० प्रतिशत लोग किराए के मकान में रहते हैं. मुम्बई में छोटे  से छोटा फ़्लैट खरीदने के लिए तो जिंदगी भी गिरवी रखनी पड़ती है. किरादारी के सम्बन्ध में स्पष्ट कानून और नियम मुम्बई नहीं होने से किरायेदारों का भीषण शोषण होता है:

१. हर ग्यारह महीने में नया किरायानामा करना पड़ता है.

२. मकान किराये पर लेने पर मकानमालिक को मनमानी रकम सुरक्षा निधि के नाम पर देनी पड़ती है.

३. मकान किराए पर लेने पर संपत्ति दलाल (एजेंट) को २ महीने के किराये के बराबर दलाली नगदी देने पड़ती, अधिकतर दलाल चैक से पैसा नहीं लेते और ना ही कोई रसीद देते हैं. यानी नया फ़्लैट किराये पर लेने पर किरायेदार को १३ महीने का किराया चुकाना पड़ता है पर रहने को मिलता है सिर्फ ११ महीने. यदि बीच में घर खाली करना पड़े तो दलाली में से कुछ भी पैसा  वापस नहीं किया जाता है. किरायानामा के हर ११ माह में नवीनीकरण पर  एक माह की दलाली हमेशा देने पड़ती है. (दलालों पर कोई नियम कानून  लागू नहीं हैं)

४. किरायानामा के पंजीयन में भी ४-५ हज़ार की दलाली आमतौर पर किरायेदार को ही चुकानी पड़ती है यदि भाड़ा १० हज़ार प्रति माह तक है, उससे ऊपर और अधिक खर्चा.

५. ज्यादातर दलाल हर ११ महीने में मकान खाली कराने की कोशिश करते हैं क्योंकि किरायानामा के नवीनीकरण पर केवल एक माह की दलाली मिलती है जबकि नया किरायेदार लाने पर २ माह की दलाली ये लोग वसूलते हैं ऊपर से नये किरायेदार से किराया काफी बढाकर वसूला जाता है, पुराने किरायेदार को रहने दिया जाए तो किराये में वार्षिक वृद्धि केवल १०% की ही मिलती है. ये लोग मनमाने रूप से हर साल किराये बढ़ा रहे हैं और किरायेदारों का जीना मुहाल कर रखा है.

यह बड़ी गंभीर समस्या है, हर मुम्बईवासी परेशान है कृपया इस मुद्दे को उठाइए, किरायेदार/मकान मालिक और संपत्ति दलालों के नियमन के लिए कानून पास करवाइए. दलालों ने किरायेदारों का मुम्बई में रहना मुहाल कर रखा है. इनपर सख्त कानून लागू किया जाये, दलाली की रकम तय की जाए, मकान मालिक को सुरक्षा निधि की रकम निश्चित की जाए.